छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित डीएमएफ और कोयला घोटाले में फंसे 6 आरोपियों को आज बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट से सशर्त अंतरिम जमानत मिलने के बाद सौम्या चौरसिया, निलंबित आईएएस रानू साहू, समीर बिश्नोई को रायपुर केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया है। करीब दो साल बाद सभी आरोपी जेल से बाहर आए हैं। कोर्ट ने शर्त लगाई है कि सभी रिहा आरोपी अब छत्तीसगढ़ से बाहर रहेंगे।
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जानिए कोयला घोटाला मामला
ED का आरोप है कि कोयले के परिचालन, ऑनलाइन परमिट को ऑफलाइन करने समेत कई तरीकों से करीब 570 करोड़ रुपए से अधिक का कोयला घोटाला किया गया है। इस मामले में 36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है. कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन करने का आदेश खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर विश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को जारी किया था।
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सिंडिकेट बनाकर अवैध वसूली की जाती थी। पूरे मामले का मास्टरमाइंड कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया। जो व्यापारी 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा करता था उसे ही खनिज विभाग पीट पास और परिवहन पास जारी करता था। इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई। ईडी की रेड में पहले आईएएस समीर बिश्नोई फिर कोल कारोबारी सूर्यकांत तिवारी को गिरफ्तार किया गया था।
ये हैं कोयला घोटाले के आरोपी
निलंबित IAS रानू साहू और समीर बिश्नोई, पूर्व मुख्यमंत्री की उपसचिव सौम्या चौरसिया, सूर्यकांत तिवारी, संदीप नायक लक्ष्मीकांत, शिव शंकर नाग, मोइनुद्दीन कुरैशी, रोशन सिंह, निखिल चंद्राकर, परेश कुर्रे, राहुल कुमार, वीरेंद्र जायसवाल, हेमंत जायसवाल और चंद्र प्रकाश जायसवाल जेल में बंद हैं।
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क्या है DMF घोटाला
ED की रिपोर्ट के आधार पर EOW ने धारा 120 बी 420 के तहत केस दर्ज किया है। इस केस में यह तथ्य निकलकर सामने आया है कि डिस्ट्रिक्ट माइनिंग फंड कोरबा के फंड से अलग-अलग टेंडर आवंटन में बड़े पैमाने पर आर्थिक अनियमितताएं की गईं है। टेंडर भरने वालों को अवैध लाभ पहुंचाया गया। ED के तथ्यों के मुताबिक टेंडर करने वाले संजय शिंदे, अशोक कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, ऋषभ सोनी और बिचौलिए मनोज कुमार द्विवेदी, रवि शर्मा, पियूष सोनी, पियूष साहू, अब्दुल और शेखर के साथ मिलकर करोड़ों रुपए कमाए गए।
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