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विष्णु सरकार का दूसरा बजट पेश हो गया। यह बजट लोगों को मुफ्त में पैसा बांटने का बजट नजर आया। ओपी के पिटारे विकास का खाका तो निकला लेकिन मुफ्त पैसा बांटने का बही खाता साथ में निकल आया। पांच साल की लोक लुभावन राजनीति में घोषणाएं और योजनाएं भी लोक लुभावन ही रहती हैं।
कुछ इसी तरह की बानगी विष्णु के बजट में देखी गई। केंद्र सरकार का पैसा हटा दें तो राज्य की कमाई 76 हजार करोड़ है। इस सालाना कमाई में से बजट में 40 हजार करोड़ का फंड कभी किसानों के नाम पर तो कभी महतारी के नाम पर बांटने की तैयारी कर ली। आइए आपको दिखाते हैं ये विष्णु का बजट है या मुफ्त की स्कीम।
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विष्णु का बजट है या मुफ्त की स्कीम
सीएम विष्णुदेव साय की सरकार का दूसरा बजट पेश हो गया। वित्त मंत्री ओपी चौधरी के पिटारे से बहुत कुछ निकला। 1 लाख 65 हजार करोड का ये बजट रेवेन्यु सरप्लस का बजट है। यानी जितनी कमाई है कमोबेश उतना ही खर्च है, सिर्फ 100 करोड़ की बचत है। यह अब तक का छत्तीसगढ का सबसे बड़ा बजट है।
पिछले साल के मुकाबले बजट में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है। उपरी तौर पर देखने में तो यह बजट अच्छा लगता है। कुछ नईं घोषणाएं भी शामिल हैं। पेट्रोल का रेट एक रुपए कम हो गया। शिक्षकों की भर्ती का ऐलान हो गया। रायपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में अब टेस्ट ट्यूब बेबी यानी आईवीएफ योजना भी चलेगी।
सड़कों का जाल बिछेगा और एनएसजी की तर्ज पर एसएसजी कमांडो का भी गठन होगा। लेकिन इसको बारीकी से देखें तो कुछ और ही नजर आता है। द सूत्र ने इस बजट को बारीकी से देखने की ही कोशिश की है जिसमें नजर आया कि ओपी चौधरी ने 100 पेज के हाथ से लिखे बजट में बड़ी स्मार्टनेस से लोगों को प्रदेश की कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा मुफ्त में बांट दिया।
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मुफ्त बंट रहा टैक्स पेयर का पैसा
सरकारों की कमाई आम आदमी के टैक्स के पैसे से ही होती है। और इसी आम आदमी का पैसा सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए मुफ्त में बांट रही है। कभी किसानों की उन्नति तो कभी महिलाओं के कल्याण के लिए। प्रदेश की अपनी कमाई 76 हजार करोड़ रुपए है।
65 हजार करोड़ रुपए केंद्र सरकार देगी। प्रदेश ने अपनी कमाई के 76 हजार करोड़ रुपए में से 42 हजार करोड़ रुपए मुफ्त में बांटने का प्रावधान किया है। हालांकि इसमें से कुछ योजनाएं जरुर लोगों के कल्याण के लिए उचित ठहराई जा सकती हैं जिसमें उनके इलाज,पेंशन या आवास की योजनाएं शामिल हैं।
लेकिन अधिकांश योजनाएं मोदी की गारंटी, किसानों का कल्याण और महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के नाम पर बैंक खाते में पैसा डालने की हैं। 100 करोड़ से ज्यादा तो सरकार ने लोगों को आयोध्या समेत अन्य तीर्थ दर्शन कराने के लिए रखे हैं।
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ये हैं बजट में मुफ्त की स्कीम
कृषक उन्नति - 10000 करोड़
महतारी वंदन - 5500 करोड़
खाद्य सुरक्षा - 4500 करोड़
किसान मुफ्त बिजली - 3500 करोड़
ग्रामीण आवास - 8500 करोड़
अयोध्या भ्रमण - 36 करोड़
तीर्थ दर्शन - 15 करोड़
मुख्यमंत्री गृह प्रवेश - 100 करोड़
स्वास्थ्य सुरक्षा योजना - 1500 करोड़
किसान पेंशन - 600 करोड़
तेंदुपत्ता संग्रहण - 204 करोड़
चरण पादुका - 50 करोड़
विद्युत राहत योजना 1500 करोड़
औद्योगिक सब्सिडी - 1000 करोड़
कमाई से ज्यादा खर्च
इस बजट को जरुर ओपी चौधरी ने 100 करोड़ का रेवेन्यु सरप्लस बजट बना दिया है लेकिन इसके बाद भी दो,तीन सप्लीमेंटरी बजट साल में आ ही जाते हैं। यानी साफ है कि सरकार की कुल कमाई जितनी है उससे ज्यादा खर्च है। यह तो हमने अभी मुफ्त की योजनाओं का खर्च बताया है इसके अलावा वेतन,भत्ता,पेंशन और स्थापना व्यय का खर्च अलग से शामिल है। कर्ज का लगातार बढ़ना और उसके ब्याज का भुगतान भी सरकार को करना पड़ता है। यानी आमदनी अठन्नी - खर्चा रुपैया और नतीजा ठन ठन गोपाल।