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रायपुर : चुनाव के वक्त बीजेपी ने महिला वोटर्स को लुभाने के लिए महतारी वंदन का कार्ड खेलकर सरकार तो बना ली लेकिन अब यही दांव सरकार को बहुत भारी पड़ रहा है। सरकार कर्ज के बोझ तले दबी है और हर महीने सूबे की 70 लाख महिलाओं को एक-एक हजार रुपए भी देने की मजबूरी भी है।
द सूत्र ने इसकी पड़ताल कर यह पता लगाया कि आखिर खाली खजाने में आखिर महतारी वंदन के 700 करोड़ आ कहां से रहे हैं। महतारी वंदन की फाइल खोली तो सच्चाई सामने आ गई। यह महतारी वंदन बच्चों,अनुसूचित जाति और आदिवासियों के फंड से हो रहा है। सरकार ने एक साल में इनके फंड से 7 हजार करोड़ काट कर महतारी वंदन में बांट दिए। इतना ही नहीं इस योजना के प्रचार प्रसार के लिए 2 करोड़ के विज्ञापन भी बांट दिए गए।
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आदिवासियों पर भारी महतारी
बीजेपी को चुनाव जिताने वाली महतारी वंदन योजना बहुत भारी पड़ रही है। इस योजना का भार बच्चे,अनुसूचित जाति के लोग और आदिवासी उठा रहे हैं। सरकार ने इस योजना का ऐलान कर पहले विधानसभा फिर लोकसभा और उसके बाद नगरीय निकाय चुनाव में एक तरफा जीत हासिल कर ली। लेकिन यह योजना सरकार को बहुत महंगी पड़ रही है।
सवाल यह खड़ा हुआ कि आखिर कर्ज के बोझ तले दबी सरकार महतारी वंदन के करीब 700 करोड़ रुपए कहां से जुटाकर 70 लाख महिलाओं को बांट रही है। द सूत्र ने इस सवाल का जवाब जानने के लिए महतारी वंदन की फाइल को खोला। हमने मार्च 2024 से फरवरी 2025 तक महिलाओं को बांटे गए फंड की पड़ताल की। इस पड़ताल में सच्चाई सामने आई तो पता चल गया कि महतारी, अनुसूचित जाति और जनजाति पर कितनी भारी पड़ रही है।
सरकार ने महिला एवं बाल कल्याण, अनुसचित जनजाति उपयोजना और अनुसूचित जाति उपयोजना के फंड से 7 हजार करोड़ की राशि काटकर महतारी वंदन में बांट दी गई। इस एक साल में महतारी वंदन योजना में करीब 7840 करोड़ रुपए बांटे गए हैं जिनमें से इन तीनों विभागों के बजट से 7 हजार 200 करोड़ रुपए निकाले गए हैं।
महतारी वंदन के लिए इस विभाग से इतना फंड निकाला
महिला एवं बाल कल्याण मद से 3591 करोड़ रुपए निकाले गए।
आदिवासियों की योजनाओं के लिए आए 2729 करोड़ रुपए काट लिए गए।
अनुसूचित जनजाति के हिस्से के 862 करोड़ रुपए महतारी वंदन में बांट दिए गए।
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विज्ञापन पर 2 करोड़ रुपए खर्च
चूंकि यह सरकार की महत्वाकांक्षी योजना थी जिसे मोदी की गारंटी का नाम दिया गया। चुनाव में वोट जुटाउ साबित हुई इस योजना के प्रचार प्रसार में भी खूब पैसा खर्च किया गया। करीब 2 करोड़ रुपए तो इसके विज्ञापन पर खर्च कर दिए गए।
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इस तरह खर्च हुए विज्ञापन पर पैसे
होर्डिंग्स - 56 लाख
ब्रांडिंग - 42 लाख
कटाउट -23 लाख
एलईडी स्क्रीन - 7 लाख
प्रिंट मीडिया -2.5 लाख
प्रकाशन - 44 लाख
वीडियो प्रचार - 19 लाख
साउंड सिस्टम - 4.25 लाख
ये है महतारी वंदन
विधानसभा चुनाव के 2023 के समय बीजेपी ने अपने मेनीफेस्टो में यह वादा किया कि उसकी सरकार बनने पर महतारी वंदन योजना शुरु की जाएगी। इस योजना में महिलाओं को 1 हजार रुपए महीने दिए जाएंगे। इस योजना को मोदी की गारंटी नाम दिया गया। इस योजना का असर हुआ और महिलाओं ने बीजेपी को खूब वोट दिए जिससे प्रदेश में बीजेपी की विष्णु सरकार बन गई।
\मार्च 2024 से इस योजना के तहत करीब 70 लाख महिलाओं को एक हजार रुपए बांटना शुरु हो गया। फिर लोकसभा चुनाव आ गए। बीजेपी फिर 11 लोकसभा सीटों में से 10 पर जीत गई। इसके बाद नगर निगम के चुनाव आए। इस चुनाव में भी बीजेपी ने सभी 10 नगर निगम में जीत हासिल कर ली।
चुनाव में जीत के लिए तो यह रामबाण औषधि साबित हुई लेकिन सवाल यह है कि रेवड़ी बांटकर सत्ता पाने के चक्कर में क्या यह आम आदमी के टैक्स के पैसों को चुनावी फायदे के लिए लुटाना नहीं है। वो भी तब जबकि कर्जदार सरकार इसके लिए गर्भवति माताओं और कुपोषित बच्चों के पोषण, आदिवासियों के विकास और अनुसूचित जाति के फंड को इस योजना में बांट रही हो।
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