छत्तीसगढ़ के स्कूलों को सुधारने का एनजीओ मॉडल फेल, नही हुआ पर्सनाल्टी डेवलपमेंट

शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले देश के जाने माने 27 एनजीओ के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने करार किया। इनमें अजीम प्रेमजी फाउंडेशन जैसे एनजीओ भी शामिल थे। लेकिन सरकार का यह एनजीओ मॉडल फेल हो गया।

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Arun Tiwari
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The NGO model of improving schools in Chhattisgarh failed the sootr
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रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने बच्चों की शिक्षा को बेहतर करने के लिए एक नया मॉडल अपनाया था। इस मॉडल के तहत बच्चों को न सिर्फ गणित, विज्ञान और भाषा की पढ़ाई लिखाई बल्कि उनको जीवन मूल्य की सीख और नेतृत्व क्षमता का विकास भी कराया जाना था। इस मॉडल के तहत शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले  देश के जाने माने 27 एनजीओ के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने करार किया। इनमें अजीम प्रेमजी फाउंडेशन जैसे एनजीओ भी शामिल थे। इन सभी एनजीओ को अलग - अलग जिलों में अपनी विशेषज्ञता के मुताबिक स्कूली बच्चों को सीख देना था। लेकिन सरकार का यह एनजीओ मॉडल फेल हो गया। एक साल बाद जब इन एनजीओ के कामकाज का असिस्मेंट किया गया तो हासिल आई। न बच्चों का पर्सनाल्टी डेवलपमेंट हुआ और न ही उनमें लीडरशिप क्वालिटी आई। सरकार ने अब इन सभी एनजीओ का करार रद्द कर दिया है। वहीं ये भी साफ कर दिया है कि यदि जिलों में शिक्षा अधिकारियों ने किसी एनजीओ से काम लिया तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। 

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इसलिए अपनाया था एनजीओ मॉडल 

छत्तीसगढ़ में शिक्षा की हालत खराब है। यह बात साल दर साल विभिन्न सर्वे रिपोर्ट में सामने आती रही है। प्रदेश में शिक्षकों की भारी कमी है और धन की कमी से यह कमी पूरी नहीं हो पा रही। कई स्कूल एकल शिक्षक के सहारे थे तो कई स्कूल बिना शिक्षक के चल रहे थे। इन सब कमियों से निपटने विष्णु सराकर ने स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण तो कर दिया। लेकिन अपने सरकारी सिस्टम से इतर एक नया मॉडल तैयार भी किया था। इस मॉडल के तहत देश के जाने माने गैर सरकारी संगठन यानी एनजीओ से करार किया था। इसका मकसद न सिर्फ बच्चों की पढ़ाई लिखाई सुधारनी थी बल्कि बच्चों का पर्सनॉल्टी डेवलपमेंट भी कराना था। यह काम का जिम्मा 27 एनजीओ को दिया गया। इन एनजीओ को न सिर्फ बच्चों को गणित,विज्ञान और हिंदी, अंग्रेजी की शिक्षा देना बल्कि व्यक्तित्व विकास, नेतृत्व क्षमता और जीवन मूल्यों की सीख भी देना था। इन एनजीओ ने सभी 33 जिलों में अपनी विशेषज्ञता के तहत काम किया। इसमें अजीम प्रेमजी फाउंडेशन भी शामिल हैं।

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फेल हुआ एनजीओ मॉडल 

 सरकार का ये एनजीओ मॉडल फेल हो गया। सरकार ने जिस मकसद से इन एनजीओ के साथ करार किया था वो मकसद पूरा नहीं हो पाया। स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण और स्कूली शिक्षा की समीक्षा बैठक में ये सामने आया है कि इनमें से अधिकांश एनजीओ ने अपना काम ही नहीं किया है। बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ उनकी पर्सनाल्टी डेवलपमेंट में कोई सुधार नहीं आया है। सरकार ने शिक्षा विभाग के साथ हुए इनके सभी करार रद्द कर दिए हैं। इसके अलावा जिन नए एनजीओ ने आवेदन दिया था उन आवेदनों को भी खारिज कर दिया गया है। सरकार ने ये पाया कि एनजीओ पढ़ाई लिखाई सुधारने के लिए उसमें दखलंदाजी कर रहे थे। ये एनजीओ शिक्षकों को अपने काम में लगाए रखते थे। वहीं जब तब शिक्षकों का प्रशिक्षण कराते रहते थे जिससे पढ़ाई पर असर पड़ता था। री इंडिया जैसे एनजीओ ने तो अपने हिसाब से शिक्षकों की भर्ती का फर्जीवाड़ा भी कर दिया था। जिला शिक्षा अधिकारियों की रिपोर्ट में ये बातें सामने आई हैं। कुछ एनजीओ ने जरुर अच्छा काम किया लेकिन अधिकांश ने सिर्फ अपना प्रचार प्रसार ही किया। 

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इन एनजीओ को करना था ये काम  

 आह्वान ट्रस्ट : बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा पर फोकस

अर्पण : व्यक्तिगत शिक्षा सुरक्षा कार्यक्रम

अजीम प्रेमजी फाउंडेशन : पेशेवर विकास, भाषा, नेतृत्व, मूल्यांकन, अंक शास्त्र,मूल्य शिक्षा

संपर्क फाउंडेशन : गणित और अंग्रेजी सामग्री निर्माण, मूल्यांकन,नीति प्रभाव, शिक्षकों का व्यवसायिक विकास

लैंग्वेज एंड लर्निग फाउंडेशन : बुनियादी साक्षरता, हिंदी,गणित की शिक्षा, बहुभाषी शिक्षा

रुम टू रीड इंडिया ट्रस्ट : सामाजिक समावेशन, जीवन कौशल

अपराजिता फाउंडेशन : जीवन मूल्य

इंडस एक्शन इनीशिएटिव : समाजिक समावेशन

प्रथम बुक्स : ट्रांसलेशन

लीप फॉर वर्ड : अंग्रेजी साक्षरता

रॉयल कामनवेल्थ सोसाइटी फॉर ब्लाइंड : विद्यालय नेत्र स्वास्थ्य कार्यक्रम

स्टेप अप फॉर इंडिया : समावेशी अंग्रेजी कार्यक्रम

समर्थ चैरिटेबल ट्रस्ट : बालिका शिक्षा

एड इंडिया फाउंडेशन : व्यवहार परिवर्तन,संचार,शिक्षक ट्रेनिंग

द अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन : आदिवासी बच्चों का समग्र विकास,स्कूल के बाहर बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ना

मैजिक बस इंडिया फाउंडेशन : 21वीं सदी का जीवन कौशल

इंडिया एजुकेशन कलेक्टिव : बुनियादी शिक्षा

शिक्षार्थ ट्रस्ट : बहुभाषा

उद्यम लर्निंग फाउंडेशन : रोजगार परक शिक्षा

हुमाना पीपल टू पीपल : ड्रॉपआउट चाइल्ड लर्निंग

वीतरागा रिसर्च फाउंडेशन : रिसर्च

श्री रमना ट्रस्ट : तकनीक के साथ मानसिक स्वास्थ्य

लैंड एंड हैंड इंडिया : बच्चों को व्यवसायिक शिक्षा

श्री अरविंदो सोसाइटी : प्रेक्टिस बेस्ड एजुकेशन

फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल : मोटिवेशन,कंपलीट डेवलपमेंट,पायलट कैंप इन सिलेक्शन, सपोर्ट एग्जाम प्रिपरेशन

ट्रांसफॉर्म रुरल इंडिया : लर्निंग आउटकम एंड क्वालिटी

इग्निटिंग ड्रीम्स ऑफ यंग माइंड्स फाउंडेशन : स्पेस एजुकेशन अवेयरनेस

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शिक्षा विभाग के पास इस साल एनजीओ के करीब 30 आवेदन आए थे। विभाग ने इनसे किसी भी प्रकार के एनओयू साइन न करने का फैसला किया है। सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों को भी चेता दिया है कि यदि उन्होंने अपने हिसाब से किसी एनजीओ को काम दिया या फिर उससे काम लिया तो वे भी कार्रवाई के लिए तैयार रहें। 

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