उदंती में ढाई साल बाद बाघ की वापसी, वन विभाग में खुशी

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला स्थित उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में लगभग ढाई साल बाद फिर बाघ की दहाड़ सुनाई दी। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में बाघ की दस्तक से वन विभाग में उत्साह का माहौल है।

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Krishna Kumar Sikander
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Tiger returns to Udanti after two and a half years happiness in forest department the sootr
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छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिला स्थित उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में लगभग ढाई साल बाद फिर बाघ की दहाड़ सुनाई दी। उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में बाघ की दस्तक से वन विभाग में उत्साह का माहौल है। बाघ की मौजूदगी की पुष्टि होने के बाद आस-पास के गांवों में सतर्कता बढ़ा दी गई है।

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ग्रामीणों को दिखे बाघ के पैर के निशान

वन विभाग के मुताबिक, कुल्हाड़ीघाट परिक्षेत्र के वन में 24 अप्रैल 2025 को चिरौंजी बीनने गए ग्रामीण देर्लाल सोरी ने पेट्रोलिंग पार्टी को बताया कि उसे वन में बाघ के पैर के निशान दिखाई दिए हैं। साथ ही दो भैंसों का शिकार भी हुआ है। एक दिन पूर्व सरपंच पचत राम लिंसिंह ने भी बाघ के पद चिन्ह देखे जाने की बात कही थी। इसकी सूचना मिलते ही वन विभाग की एंटी पॉचिंग टीम और पेट्रोलिंग पार्टी  पहुंची और निरीक्षण किया गया। जांच में बाघ के पैर के कई निशान मिले। इसके अलावा करीब 100 मीटर दूर दो मरी भैंसें मिलीं। बाघ ने इनका शिकार बाघ किया था। 

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वन के निकट गांवों में कराई गई मुनादी

उदंती में बाघ की चहल कदमी की जानकारी मिलने के बाद उप संचालक स्तर के अधिकारी ने भी दौरा किया। उन्होंने भी दो अलग-अलग आकार के बाघों के पैर के निशान पाए जाने की पुष्टि की। इन पैर के निशान को प्लास्टर ऑफ पेरिस से संरक्षित किया गया है। अब बाघ के मल की भी तलाश की जा रही है। वन विभाग मल के सैंपल लेकर जांच के लिए टाइगर सेल देहरादून भेजेगा। प्रदेश में यह समय चारागाह और तेंदूपत्ता संग्रहण का है। लिहाजा वन विभाग ने जंगल के आसपास के गांवों में मुनादी कराकर अकेले जंगल न जाने की सलाह दी है। साथ ही सुरक्षा बढ़ाने के लिए पेट्रोलिंग में भी तेजी लाई गई है। इसके अलावा कैमरा ट्रैप लगाए जा रहे हैं, ताकि बाघों की पहचान उनके स्ट्राइप पैटर्न के माध्यम से की जा सके।

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2022 में आखिरी बार दिखा था बाघ 

उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व में 2022 अक्टूबर में अंतिम बार बाघ के होने की तस्वीर कैमरा ट्रैप में कैद हुई थी। इसके बाद 2022 दिसंबर के अंत में मल सैंपल एकत्र किया गया था। तब के बाद से अब जाकर बाघ होने की बात पता चली है। यहां के जंगलों में बाघ की वापसी जैव विविधता के लिए शुभ संकेत है। साथ ही इससे टाइगर रिजर्व की अहमियत बढ़ गई है।

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