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Photograph: (the sootr)
कभी नक्सलियों की राजधानी के नाम से बदनाम रहे कर्रेगुटा के जंगलों से अब नक्सलियों का पूरी तरह से सफाया हो गया है। छत्तीसगढ़ सरकार अब इस क्षेत्र को नए सिरे से विकसित करने जा रही है। सरकार द्वारा कर्रेगुता के जंगलों के सात सौ एकड़ भूमि पर एक अत्याधुनिक वारफेयर स्कूल बनाने जा रही है।
छत्तीसगढ़-तेलंगाना राज्य की सरहद पर स्थित यह क्षेत्र किसी समय नक्सलियों के शक्ति केंद्र के रूप में जाना जाता था, लेकिन अब इस क्षेत्र में भविष्य के जवान ट्रेनिंग लेंगे। जिससे इस क्षेत्र में जहां स्थायी शांति कायम रहेगी, वहीं प्रदेशभर के युवाओं को नक्सलियों से निपटने के लिए वास्तविक वातावरण में प्रशिक्षण मिल सकेंगा।
वॉर फेयर स्कूल का महत्व:
कर्रेगुटा पहाड़ी की भौगोलिक स्थिति और दुर्गम इलाका हमेशा नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बना था। अब, इस स्थान पर सुरक्षा बलों को गुरिल्ला युद्ध, जंगल में लड़ाई और आधुनिक हथियारों के प्रयोग की ट्रेनिंग दी जाएगी। यह केंद्र न केवल राज्य की सुरक्षा को सुदृढ़ करेगा, बल्कि सुरक्षा बलों की क्षमता को भी दोगुना करेगा।
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स्थानीय विकास और रोजगार के अवसर:
इस परियोजना से न केवल नक्सलवाद पर काबू पाया जाएगा, बल्कि स्थानीय गांवों के लिए सड़क की बेहतर सुविधा भी सुनिश्चित होगी। 5.5 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क का निर्माण किया जाएगा, जो आसपास के गांवों को भी मुख्य सड़क से जोड़ देगा। इसके अलावा, स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
नक्सलवाद के खिलाफ सरकार का दृढ़ संकल्प:
छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि कर्रेगुटा में वॉर फेयर स्कूल का निर्माण नक्सलवाद के खात्मे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने भी यह दावा किया कि नक्सलवाद अब समाप्ति की ओर है। उनका कहना है कि पिछली सरकारों ने इस क्षेत्र को नजरअंदाज किया था, लेकिन अब स्थितियां बदल चुकी हैं।
नक्सल उन्मूलन और वाॅर फेयर स्कूल योजना को ऐसे समझेंकर्रेगुटा में वॉर फेयर स्कूल: छत्तीसगढ़ सरकार ने नक्सल केपीटल कर्रेगुटा में 700 एकड़ भूमि पर वॉर फेयर स्कूल बनाने का ऐतिहासिक फैसला लिया है, जो नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक कदम होगा। सुरक्षा बलों के लिए ट्रेनिंग: इस स्कूल में सुरक्षा बलों को गुरिल्ला युद्ध, जंगल में लड़ाई और आधुनिक हथियारों के उपयोग की ट्रेनिंग दी जाएगी। स्थानीय विकास: 5.5 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क का निर्माण किया जाएगा, जिससे न केवल सुरक्षा बलों को फायदा होगा, बल्कि स्थानीय गांवों को भी बेहतर सड़क सुविधा मिलेगी। रोजगार के अवसर: इस परियोजना से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिलेगा। नक्सलवाद पर प्रभाव: इस वॉर फेयर स्कूल के निर्माण से नक्सलियों के मनोबल में गिरावट आएगी और छत्तीसगढ़ को नक्सल मुक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। |
बीजेपी सरकार का दावा:
बीजेपी सांसद संतोष पांडेय ने कहा कि यह परियोजना यह साबित करती है कि छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद के सफाए के लिए प्रतिबद्ध है। उनका मानना है कि कर्रेगुटा में वॉर फेयर स्कूल का उद्घाटन छत्तीसगढ़ की विकास यात्रा का प्रतीक है।
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सुरक्षा बलों की नई रणनीति:
इस वॉर फेयर स्कूल में सुरक्षा बलों को उन सभी जरूरी तकनीकों और रणनीतियों की ट्रेनिंग दी जाएगी, जो उन्हें नक्सल क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। इस स्कूल में ट्रेनिंग प्राप्त करने के बाद, सुरक्षा बलों की क्षमता दोगुनी हो जाएगी और वे नक्सलियों के खिलाफ और भी ज्यादा प्रभावी हो सकेंगे।
वॉर फेयर स्कूल के लाभ
सुरक्षा में सुधार:
सुरक्षा बलों की क्षमताओं में वृद्धि।
नक्सलवाद को खत्म करने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम।
स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर:
स्थानीय युवाओं को ट्रेनिंग केंद्र के आसपास रोजगार मिलेगा।
परियोजना से क्षेत्रीय विकास में योगदान होगा।
बेहतर सड़क सुविधा:
5.5 किलोमीटर लंबी पक्की सड़क का निर्माण होगा, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आवाजाही आसान होगी।
नक्सलियों के मनोबल में गिरावट:
सुरक्षा बलों की ट्रेनिंग से नक्सलियों का मनोबल टूटेगा।