छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में महतारी वंदन योजना को लेकर बड़ा बवाल मचा है। जिले के राजिम, फिंगेश्वर, और देवभोग-मैनपुर इलाकों में 100 से ज्यादा ऐसी महिलाएं हैं, जिन्हें सिर्फ इसलिए इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा, क्योंकि उनके पति ने दूसरी शादी कर ली है। एक हैरान करने वाला मामला पंडरीपानी का है, जहां तुलेश साहू नाम के शख्स ने प्रशासन से गुहार लगाई है। उन्होंने 27 मार्च को परियोजना अधिकारी को चिट्ठी लिखी कि उनकी पहली पत्नी को तो योजना का एक हजार रुपये हर महीने मिल रहा है, लेकिन दूसरी पत्नी को कुछ नहीं मिल रहा। वे चाहते हैं कि दूसरी पत्नी को भी ये रकम मिले।
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दो पत्नियों का झमेला, सजा वैध पत्नी को
महिला एवं बाल विकास विभाग के मुताबिक, ज्यादातर मामले उन इलाकों से हैं, जहां दो-दो शादियां करना अभी भी आम बात है। इस वजह से कई वैध पत्नियां, जिनका हक बनता है, वे भी योजना से बाहर हो रही हैं। एक महिला ने बताया कि उसने सारे कागजात जमा किए, फिर भी उसका आवेदन रद्द कर दिया गया, सिर्फ इसलिए कि उसके पति की दूसरी बीवी है।
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प्रशासन का जवाब, पर संतुष्टि नहीं
जिला कार्यक्रम अधिकारी अशोक पांडेय का कहना है कि हिंदू कानून में एक पुरुष को सिर्फ एक पत्नी का हक है। दूसरी शादी को कानूनी मान्यता नहीं मिलती, इसलिए ऐसी महिलाएं योजना में पात्र नहीं मानी जातीं। लेकिन सवाल ये है कि अगर दूसरी शादी गैरकानूनी है, तो उस पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती? और क्यों पहली पत्नी को सजा भुगतनी पड़ रही है?
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योजना का मकसद अधूरा
महतारी वंदन योजना का मकसद है महिलाओं को आर्थिक तौर पर मजबूत करना, लेकिन अभी तो ऐसा लग रहा है कि कई महिलाएं अपने ही घर में उपेक्षित हो रही हैं। ये मामला प्रशासन, समाज और कानून के लिए बड़ी चुनौती बन गया है।
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पति की गलती, पत्नी की सजा
कई बार पति की दूसरी शादी की वजह से पहली और वैध पत्नी को योजना से बाहर कर दिया जा रहा है। कुछ महिलाओं ने दोबारा आवेदन भी किया, लेकिन सिर्फ पति की दूसरी शादी के कारण उनका हक छिन रहा है। ये स्थिति न सिर्फ उनकी आर्थिक मदद छीन रही है, बल्कि उनके सम्मान पर भी सवाल उठा रही है।
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