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Impact Feature
Raipur. छत्तीसगढ़ में आज मजदूर वर्ग सिर्फ मेहनतकश नहीं, बल्कि राज्य की प्रगति का मुख्य स्तंभ बन चुका है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में सरकार ने श्रमिकों की उन्नति को प्राथमिकता दी है। सरकार के फैसलों और योजनाओं ने मजदूरों के जीवन में उम्मीद, सम्मान और स्थायित्व का भाव पैदा किया है।
राज्य के भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल और असंगठित कर्मकार राज्य सामाजिक सुरक्षा मंडल के जरिये श्रमिकों को शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, मातृत्व सहायता, पेंशन और रोजगार जैसी सुविधाएं मिल रही हैं।
ई-श्रम पोर्टल से पारदर्शिता और सुविधा
राज्य सरकार ने ई-श्रम पोर्टल की शुरुआत कर श्रमिक कल्याण योजनाओं में पारदर्शिता और सुविधा को बढ़ाया है। अब लाखों श्रमिक ऑनलाइन पंजीकरण के जरिए सीधे योजनाओं का लाभ पा रहे हैं। महिला श्रमिकों के लिए विशेष रूप से कौशल विकास और सुरक्षा योजनाएं लागू की गई हैं, ताकि वे सिर्फ श्रम तक सीमित न रहें, बल्कि आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक जीवन की दिशा में कदम बढ़ा सकें।
शिक्षा के जरिए भविष्य निर्माण
श्रमिक परिवारों के बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए राज्य सरकार ने दो बड़े कदम उठाए हैं। इसके तहत अटल उत्कृष्ट शिक्षा योजना लागू की गई है, जिसमें रजिस्टर्ड निर्माण श्रमिकों के पहले दो बच्चों को छठवीं से बारहवीं तक निजी आवासीय स्कूलों में निःशुल्क शिक्षा दी जा रही है। जनवरी 2025 से शुरू हुई इस योजना में अब तक 100 से ज्यादा श्रमिक बच्चों को प्रवेश मिल चुका है।
वहीं, मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक निःशुल्क कोचिंग योजना के तहत श्रमिक परिवारों के बच्चों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए फ्री कोचिंग उपलब्ध कराई जा रही है। इसका उद्देश्य है कि मजदूर परिवारों के बच्चे भी डॉक्टर, इंजीनियर, अफसर या शिक्षक बन सकें।
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52 लाख से ज्यादा श्रमिक पंजीकृत
आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ श्रम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 31 जुलाई 2025 तक प्रदेश में कुल 52 लाख 75 हजार 618 श्रमिक पंजीकृत हैं। इसमें 5,41,920 संगठित श्रमिक, 30,21,624 निर्माण श्रमिक, 17,12,074 असंगठित श्रमिक शामिल हैं। राज्य स्थापना के बाद से अब तक 57 लाख 24 हजार 745 श्रमिकों को 23 अरब 70 करोड़ 24 लाख रुपए की राशि का सीधा लाभ मिला है। यह सिर्फ आंकड़ा नहीं, बल्कि उन लाखों मेहनतकश परिवारों की बदली हुई जिंदगी की कहानी है।
श्रमिक सहायता केंद्रों में जरूरत पर मदद
श्रमिकों की शिकायतों और समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए सरकार ने मुख्यमंत्री श्रमिक सहायता केंद्र रायपुर में 24 घंटे सक्रिय हेल्पलाइन शुरू की है। इसके साथ ही हर जिले और विकासखंड स्तर पर मुख्यमंत्री श्रम संसाधन केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जहां अब तक 84 हजार से अधिक श्रमिकों को पंजीकरण और योजनाओं के आवेदन में सहयोग दिया गया है।
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ई-गवर्नेंस से बदल रहा है कामकाज
राज्य सरकार ने श्रम विभाग को पूरी तरह डिजिटल मोड में बदल दिया है। अब कारखानों, दुकानों, ठेकेदारों और श्रमिक मंडलों में पंजीकरण से लेकर योजनाओं के स्वीकृति तक सब कुछ ऑनलाइन हो गया है।
‘श्रमेव जयते’ मोबाइल ऐप और विभागीय वेब पोर्टल ने पूरे सिस्टम को पारदर्शी और तेज बनाया है। इस दिशा में किए गए उत्कृष्ट काम के लिए केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ श्रम विभाग को ई-गवर्नेंस के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार (गोल्ड अवार्ड) भी दिया है।
आवास और पेंशन से मिली स्थिरता
श्रमिकों के सिर पर छत हो, इसके लिए सरकार ने निर्माण श्रमिक आवास सहायता योजना चलाई है। अब तक 2,278 श्रमिकों को अपना घर बनाने या खरीदने के लिए एक लाख रुपये की अनुदान राशि दी जा चुकी है।
इसके अलावा पेंशन योजना के तहत 60 वर्ष की आयु पार कर चुके और 10 वर्ष से पंजीकृत श्रमिकों को हर महीने 1500 रुपए पेंशन मिल रही है। यह योजना उन बुजुर्ग मजदूरों के लिए सम्मानजनक जीवन की गारंटी बनी है जिन्होंने अपनी जवानी ईंट-पत्थर ढोने में गुजार दी।
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5 रुपए में गरम खाना
मजदूरों की मेहनत का सम्मान सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि भोजन की थाली तक पहुंचा है। शहीद वीर नारायण सिंह श्रम अन्न योजना के तहत सिर्फ 5 रुपए में गरम और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है। प्रदेश के 17 जिलों में 37 श्रम अन्न केंद्र संचालित हैं, जहां रोज करीब 8 हजार श्रमिक गरम भोजन पाते हैं।
ऐसे ही राज्य में कर्मचारी राज्य बीमा योजना (ESI) का विस्तार अब 15 जिलों के ग्रामीण और 17 जिलों के शहरी क्षेत्रों तक हो चुका है। राज्य निर्माण के समय जहां सिर्फ 30 हजार श्रमिक बीमा योजना के तहत थे, वहीं अब यह संख्या 6 लाख 25 हजार तक पहुंच गई है। पहले राज्य में केवल 6 औषधालय थे, जो अब बढ़कर 42 हो गए हैं। रायपुर, कोरबा, भिलाई और रायगढ़ में 100 बिस्तरों वाले अस्पताल बनाए गए हैं, जहां बीमित श्रमिक और उनके परिवार पूरी तरह कैशलेस इलाज की सुविधा पा रहे हैं।
कैशलेस इलाज से मिली राहत
पहले मजदूरों को इलाज का खर्च खुद उठाकर बाद में बिल जमा करना पड़ता था। अब सरकार ने निजी अस्पतालों को अधिकृत कर कैशलेस उपचार की सुविधा दी है। वर्ष 2014 से शुरू हुई यह पहल अब लाखों परिवारों के लिए जीवनदायी साबित हो रही है। श्रमिकों की शिकायतों और इलाज से जुड़ी समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए 2018 में छत्तीसगढ़ कर्मचारी राज्य बीमा सोसायटी बनाई गई, जिससे उनके प्रकरणों का निपटारा तेजी से हो रहा है।
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एक मिसाल है गीता नाग की कहानी
कोंडागांव की गीता नाग का जीवन इस बात का उदाहरण है कि सरकारी योजनाएं कैसे किसी की जिंदगी बदल सकती हैं। गीता के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर थी। घर की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर थी। आय का कोई स्थायी साधन नहीं था। ऐसे में उन्होंने श्रम विभाग की स्वरोजगार लोन योजना के लिए आवेदन किया। उन्हें 50 हजार रुपए का लोन स्वीकृत हुआ।
इस राशि से गीता ने ई-रिक्शा खरीदा और शहर में चलाना शुरू किया। शुरुआत में मुश्किलें आईं, पर उन्होंने हार नहीं मानी। आज गीता अपने परिवार का भरण-पोषण खुद कर रही हैं। उन्होंने न केवल कर्ज चुकाया, बल्कि आत्मनिर्भर बनने का रास्ता भी बनाया। गीता कहती हैं, ई-रिक्शा ने मुझे नई जिंदगी दी है। अब मैं अपने परिवार के साथ सम्मान से जी रही हूं। उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि सही नीति और सच्चे इरादे से कोई भी मजदूर आत्मनिर्भर बन सकता है।
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नए छत्तीसगढ़ की दिशा
शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, आवास और डिजिटल सुविधा इन पांच स्तंभों पर छत्तीसगढ़ की श्रम नीति टिकी है। जहां पहले मजदूर वर्ग सरकारी दफ्तरों की कतारों में खड़ा रहता था, वहीं अब मोबाइल एप और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से सीधे लाभ पा रहा है। ई-श्रम पोर्टल, अटल शिक्षा योजना, श्रम अन्न केंद्र, पेंशन योजना, और स्वरोजगार लोन जैसी पहलें एक ‘नए छत्तीसगढ़’ की तस्वीर पेश करती हैं, जहां हर मजदूर सम्मान के साथ जीता है, अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देता है और समाज में अपनी पहचान खुद बनाता है।
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