शिवपुरी में बच्चे और पैरेंट्स 42 किलोमीटर चल कर कलेक्टर से शिकायत करने पहुंचे, स्कूल ने पढ़ाने से मना किया

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Puneet Pandey
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शिवपुरी में बच्चे और पैरेंट्स 42 किलोमीटर चल कर कलेक्टर से शिकायत करने पहुंचे, स्कूल ने पढ़ाने से मना किया

SHIVPURI. राइट टू एजुकेशन (आरटीई) के तहत एडमिशन के बाद भी फीस मांगने के विरोध में पैरेंट्स और बच्चों को 42 किलोमीटर चलकर आना पड़ा। पैरेंट्स का आरोप है कि इसकी शिकायत पुलिस और सीएम हेल्पलाइन पर की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। 



क्या हुआ था



आरटीई में एडमिशन के बावजूद बच्चों की फीस मांगने के विरोध में बच्चे और उनके पैरेंट्स 42 किलोमीटर चलकर कलेक्ट्रेट पहुंचे, हालांकि उनकी मुलाकात कलेक्टर से नहीं हो सकी। पालकों ने बताया कि उनके बच्चों का एडमिशन सिरसोद के रेनबो पब्लिक स्कूल में आरटीई के तहत हुआ है। लेकिन अब स्कूल उनसे फीस मांग रहा है। इसकी शिकायत अमोला पुलिस और सीएम हेल्पलाइन पर की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।



बच्चों को पढ़ाने से मना किया 



पालकों का कहना है कि उन्होंने रेनबो पब्लिक स्कूल, सिरसोद में आरटीई के तहत एडमिशन कराया था। लेकिन अब श्याम सिंह सोलंकी (स्कूल संचालक) 10 हजार रुपए की मांग कर रहा है। पैरेंट्स ने कहा कि आरीटई के तहत एडमिशन के बाद भी फीस मांगी जा रही है और उसे बढ़ाया जा रहा है। फीस ना देने पर स्कूल ने बच्चों को पढ़ाने से इंकार तक कर दिया। 

 



पोस्टर में सीएम की आंखों पर बांधी पट्टे



पैरेंट्स अपने साथ एक पोस्टर भी लेकर आए जिसमें शिवराज सिंह की आंख पर पट्टी बंधी हुई थी। ऐसे पोस्टर पर पैरेंट्स ने कहा कि शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं हो रही, इसलिए सीएम आंखों पर काली पट्टी बांधी है। हमारे बच्चे पैदल चल कर सोई सरकार को जगाने का काम कर रहे हैं। 



दो बच्चों को मना किया



पैरेंट्स के आरोपों पर स्कूल संचालक श्याम सिंह सोलंकी ने कहा कि सिर्फ ब्रजेश लोधी के बच्चों को पढ़ाने को मना किया था। वह स्कूल के खिलाफ गलत शिकायतें कर रहा था। बच्चे स्कूल आ रहे हैं हम स्कूल की वीडियो रिकॉर्डिंग दिखा सकते हैं। स्कूल में आरटीई के तहत 60 बच्चों के एडमिशन हुए हैं, उनमें से 50 बच्चे पढ़ने आ रहे हैं। हमने केवल दो ही बच्चों को मना किया है। 



जांच करके होगी कार्रवाई



मामले में डीपीसी अशोक त्रिपाठी ने कहा कि अभिभावकों ने जनसुनवाई में पहुंचकर स्कूल संचालक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। अगर बच्चों का आरटीई के तहत दाखिला हुआ है तो स्कूल प्रबंधन को बच्चों को निशुल्क पढ़ाना होगा। स्कूल प्रबंधन दोषी पाया गया तो उस पर कार्रवाई भी की जाएगी।


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