JAIPUR. राजस्थान का मुख्यमंत्री कौन होगा ? यह मिलियन नहीं अब तो ट्रिलियन डॉलर क्वेश्चन हो गया है क्योंकि इसका जवाब पिछले 8 दिन से पूरा राजस्थान ही नहीं बल्कि पूरा देश खोजने की कोशिश कर रहा है। हालांकि इंतजार पूरा होने वाला है और मंगलवार को भारतीय जनता पार्टी विधायक की बैठक होना आखिर तय हो गया है। केंद्रीय पर्यवेक्षक राजनाथ सिंह विनोद तावडे़ और सरोज पांडे मंगलवार सुबह 11:00 बजे विधायक दल की बैठक लेंगे और इस बैठक में ही राजस्थान के नए मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान हो जाएगा।
मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार
विधायक दल की बैठक तो हालांकि तय हो गई है लेकिन इसमें नाम किसका घोषित होगा यह रहस्य अभी भी बना हुआ है और जिस तरह की स्थितियां हैं उसे देखते हुए लग रहा है कि जब तक नाम की घोषणा नहीं होगी तब तक ये रहस्य बना ही रहेगा। इस बार राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं और हम यही जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर जो नाम दावेदारों में चल रहे हैं उनमें से कौन मुख्यमंत्री बन सकता है और क्यों और वह कौन से कारण है जिसकी वजह से नाम रुक भी सकता है।
वसुंधरा राजे
इसलिए बन सकती हैं - दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं राजस्थान में पार्टी की अकेली मास लीडर मानी जाती है और जीत कर आए विधायकों में कई उनके कट्टर समर्थक हैं।
यह रुकावट है - केंद्रीय नेतृत्व से संबंध बहुत सहज नहीं है। पार्टी अब भविष्य का नेता तलाश रही है और इसीलिए संभावना कम बताई जा रही है।
दिया कुमारी
इसलिए बन सकती हैं - वसुंधरा राजे की तरह ही राजधानी से संबंध रखती हैं और पहले विधायक और फिर सांसद बनकर अपनी लोकप्रियता साबित कर चुकी हैं। पार्टी ने पहली लिस्ट में बहुत सुरक्षित सीट से उन्हें टिकट देकर बड़ा संकेत दिया था।
यह रुकावट है - राजनीतिक अनुभव सिर्फ 10 वर्ष का है और प्रशासनिक अनुभव बिल्कुल भी नहीं है।
किरोड़ी लाल मीणा
इसलिए बन सकते हैं - पार्टी के वरिष्ठ नेता है। बेहद सक्रिय रहते हैं। पिछली सरकार को भ्रष्टाचार के कई मामलों में मजबूती से घेरा है। राजस्थान के सबसे बड़े जाती समुदायों में शामिल मीणा समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं।
यह रुकावट है - उम्र ज्यादा हो गई है और उन्हें मौका दिए जाने से जातिगत संतुलन बिगड़ने की आशंका है क्योंकि गुर्जर नाराज हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय के नेता को मुख्यमंत्री बनाया जा चुका है। एक बार पार्टी छोड़ चुके हैं।
गजेंद्र सिंह शेखावत
इसलिए बन सकते हैं - केंद्र में लगातार दो बार से मंत्री हैं। केंद्रीय नेतृत्व से संबंध बहुत अच्छे हैं। चुनाव में बहुत सक्रिय रहे और राजनीति में भी लंबी पारी खेल सकते हैं।
यह रुकावट है - संजीवनी को ऑपरेटिव सोसाइटी के घोटाले में कथित रूप से उनका नाम शामिल है। वसुंधरा राजे उनके नाम पर राजी होगी इसकी संभावना बहुत कम है।
अर्जुन राम मेघवाल
इसलिए बन सकते हैं - प्रशासनिक अधिकारी रह चुके हैं इसलिए प्रशासनिक और संसदीय कार्य मंत्री रहने के कारण संसदीय अनुभव बहुत अच्छा है। राजस्थान में बीजेपी को अनुसूचित जाति के वोटों की बहुत जरूरत है और वे उसी समुदाय से आते हैं।
यह रुकावट है - सवर्ण वोटों की नाराजगी का खतरा है। पूर्व स्पीकर कैलाश मेघवाल ने भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे। बहुत एग्रेसिव नहीं हैं।
ओम प्रकाश माथुर
इसलिए बन सकते हैं - पार्टी के वरिष्ठ नेता है। लंबे समय तक राजस्थान में संगठन महामंत्री और प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। पिछली सरकार के समय उन्हें वसुंधरा राजे का विकल्प माना गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से निकटता है।
यह रुकावट है - अभी विधायक नहीं है और पार्टी ने राज्यसभा में जाने का मौका भी नहीं दिया था। संगठन के लिए ज्यादा उपयुक्त माने जाते हैं। बड़ा जातिगत आधार भी नहीं है।
अश्विनी वैष्णव
इसलिए बन सकते हैं - केंद्र में मंत्री हैं और प्रधानमंत्री के पसंदीदा माने जाते हैं। ओबीसी में शामिल स्वामी समुदाय से आते हैं। राजस्थान के लिए बिल्कुल नया नाम होगा।
यह रुकावट है - राजस्थान मूल के तो है लेकिन राजस्थान में सक्रिय नहीं रहे हैं।
भूपेंद्र यादव
इसलिए बन सकते हैं - राजस्थान में लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं और बीजेपी की पिछली सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी। ओबीसी समुदाय से आते हैं और संगठन में अच्छी पकड़ रखते हैं। राज्यसभा सदस्य के रूप में उनका कार्यकाल खत्म होने वाला है।
यह रुकावट है - लोकसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी को संगठन में उनकी ज्यादा जरूरत हो सकती है। अभी विधायक नहीं है।
सीपी जोशी
इसलिए बन सकते हैं - युवा है और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। उनके नेतृत्व में पार्टी ने जीत हासिल की है। संगठन में लंबे समय से सक्रिय हैं।
यह रुकावट है - अभी बहुत युवा है और बहुत ज्यादा आक्रामक नहीं है। प्रदेश व्यापी असर भी कम है।
सुनील बंसल
इसलिए बन सकते हैं - राजस्थान में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में लंबे समय तक सक्रिय रहे हैं और इसके बाद उत्तर प्रदेश में पार्टी को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। गृहमंत्री अमित शाह की कोर टीम के सदस्य माने जाते हैं।
यह रुकावट है - पार्टी ने लोकसभा चुनाव की दृष्टि से उन्हें अहम जिम्मेदारी दे रखी है और चूंकि अब चुनाव ज्यादा दूर नहीं है इसलिए इस समय उन्हें डिस्टर्ब करना मुश्किल दिख रहा है।
बाबा बालकनाथ : यह भी दौड़ में माने जा रहे थे लेकिन 2 दिन पहले इन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर खुद को इस दौड़ से अलग कर लिया है।