बड़े तालाब किनारे चल रही व्यवसायिक गतिविधियां, इनमें चिरायु अस्पताल से लेकर होटल ताज, सयाजी, जहांनुमा, रंजीत तक शामिल

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Jitendra Shrivastava
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बड़े तालाब किनारे चल रही व्यवसायिक गतिविधियां, इनमें चिरायु अस्पताल से लेकर होटल ताज, सयाजी, जहांनुमा, रंजीत तक शामिल

राहुल शर्मा, BHOPAL. भोपाल की पहचान झीलों से है। इसे झीलों की नगरी कहा जाता है। इनमें बड़े और छोटे तालाब के संरक्षण के लिए भोज वेटलैण्ड परियोजना आई। इसी के आधार पर बाद में भोपाल के बड़े तालाब को अंतर्राष्ट्रीय महत्व का दर्जा देते हुए रामसर साइट घोषित किया गया, पर अब इस वेटलैण्ड पर अतिक्रमण हो गया है। 



भोज वेटलैण्ड परियोजना की जमीन पर भी अतिक्रमण



भोज वेटलैण्ड की जमीन पर रसूखदारों की इमारतें तन गई है और व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही है। एप्को यानी Environmental Planning & Coordination Organisation ने वर्ष 2021 में भोज वेटलैण्ड की ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की, जिसमें अवैध तरीके से कई व्यवसायिक गतिविधियां संचालित होते हुए मिली। इनमें चिरायु अस्पताल से लेकर होटल ताज, सायाजी, जहांनुमा, रंजीत लेकव्यू जैसे बड़े नाम भी शामिल है। एप्को की इस रिपोर्ट में कार्रवाई करने की अनुशंसा की गई, लेकिन आज तक यह कार्रवाई हुई नहीं। क्यों... यह हम आपको आगे बताएंगे, पहले जानिए की बड़े तालाब में नियमों का उल्लंघन कर कौन-कौन सी व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही है। 



होटल ताज और जहांनुमा जलस्तर से 100 फीट की दूरी पर



एप्को ने अपनी रिपोर्ट में भदभदा रोड पर स्थित होटल ताज का जिक्र किया है। होटल ताज बड़े तालाब के जलस्तर से महज 100 फीट की दूरी पर संचालित हो रही है। इसी तरह जहांनुमा ट्रीट एंड स्पा भी तालाब के पानी से 100 फीट की दूरी पर ही है। सयाजी होट बड़े तालाब की एफटीएल की जो मुनारें लगी हैं उससे महज 80 फीट की दूरी पर है।  



रंजीत लेकव्यू बड़े तालाब से 50 फीट की दूरी पर संचालित



वन विहार रोड पर रंजीत लेकव्यू होटल बड़े तालाब से महज 50 फीट की दूरी पर संचालित हो रही है। लहर जिम 70 फीट की दूरी पर बना है। इसके अलावा यहां एमपी रेस्टोरेंट, चाय सुट्टाबार सहित कई छोटे-बड़े रेस्टोरेंट और अस्थायी स्टॉल बड़े तालाब से सटकर संचालित हो रही हैं। 



बड़े तालाब के कैचमेंट पर बना चिरायु हॉस्पिटल



एप्को की रिपोर्ट के अनुसार सीहोर नाके के पास इंदौर रोड पर बना चिरायु हॉस्पिटल भी बड़े तालाब के कैचमेंट एरिए में ही बना है। कैचमेंट एरिए में बने होने से यह अस्पताल अक्सर विवादों में रहता है। जब-जब भोपाल में तेज बारिश होती है, बड़े तालाब का पानी हॉस्पिटल के अंदर चला जाता है। वर्ष 2020 में बड़े तालाब का पानी हॉस्पिटल के भर्ती वार्ड तक जा पहुंचा था। 



व्यवसायिक गतिविधियों से ये है दिक्कतें



बड़ा तालाब रामसर साइट घोषित है, ऐसे में इसके अंतर्गत आने वाले भोज वेटलैण्ड में व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन के लिए सख्त नियम कायदे हैं, ताकि बड़े तालाब का पानी प्रदूषित न हो, लेकिन भोज वेटलैण्ड, ग्रीन बेल्ट और कैचमेंट पर अतिक्रमण कर धड़ल्ले से व्यवसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही है, यही कारण है कि एप्को ने अपनी रिपोर्ट में इन व्यवसायिक गतिविधियों के विरुद्ध आवश्यक कार्रवाई करने की अनुशंसा की है। 



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सूरजगंज में सेंट्रल पार्क का भी कुछ हिस्सा भोज वेटलैण्ड में 



सूरजगंज इलाके में सेंट्रल पार्क नाम से एक बड़ी परियोजना है। सोशल एक्टिविस्ट राशिद नूर खान ने बताया कि इसका एक हिस्सा भोज वेटलैण्ड में आ रहा है। राशिद नूर खान ने बताया कि 3 जून 2022 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वनविहार के 1 किमी के रेडियस की जमीन इको सेंसेटिव जोन घोषित हो गई। उसके बाद भी रेरा ने दो महीने बाद ही 22 अगस्त 2022 को इस प्रोजेक्ट का पंजीयन कर दिया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार एजेंसी किस हद तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने में लगी हुई है। यह बात और है कि अप्रैल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में संशोधन कर दिया, पर सवाल तो यही खड़ा है कि उस समय तो रेरा ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ही दरकिनार कर दिया था। 



इसलिए रसूखदारों के गिरेबान तक नहीं पहुंच रहे हाथ



पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडे ने बताया कि साइट बड़े तालाब और भोज वेटलैण्ड के संरक्षण के लिए दो एजेंसी मुख्य रूप से जिम्मेदार है। पहला वैटलैंड अथॉरिटी यानी एप्को और दूसरा भोपाल नगर निगम, अब यह एजेंसी खुलकर कुछ क्यों नहीं कर पा रही है, वह भी आपको समझा देते हैं। दरअसल भोज वेटलैण्ड पर अतिक्रमण और नियम विरुद्ध तरीके से व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करने में सरकारी एजेंसी भी पीछे नहीं है। एप्को की ही रिपोर्ट में बड़े तालाब किनारे व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करने और उन पर कार्रवाई करने की सूची में मध्यप्रदेश टूरिज्म द्वारा संचालित बोर्ट क्लब स्थित नौका विहार और सैरसपाटा को भी शामिल किया गया है। इसी तरह बड़े तालाब में ​लगा भोपाल नगर निगम का म्यूजिकल फाउंटेन और सुलभ कॉम्पलेक्स भी इस सूची में है। जाहिर सी बात है जब सरकारी एजेंसी के ही ये हाल है तो फिर रसूखदारों के गिरेबान तक हाथ कौन डाले।


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