मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान के गंगानगर जिले की श्री करनपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को राजस्थान के बीजेपी सरकार में मंत्री बनाए जाने के विरोध में कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत की है। कांग्रेस ने इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए टीटी की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है।
श्रीकरणपुर में 5 जनवरी को होना है चुनाव
राजस्थान की बीजेपी सरकार ने शनिवार को मंत्रिमंडल विस्तार में श्री करणपुर से बीजेपी के उम्मीदवार सुरेंद्र पाल सिंह टीटी को राज्य मंत्री बनाया गया है। श्रीकरणपुर में 5 जनवरी को चुनाव होना है क्योंकि यहां पर चुनाव के समय कांग्रेस प्रत्याशी गुरमीत सिंह कुन्नर के निधन के कारण चुनाव स्थगित कर दिया गया था। कांग्रेस ने इसे लेकर शनिवार को ही विरोध प्रकट कर दिया था और अब पार्टी की ओर से चुनाव आयोग में इसे आचार संहिता का उल्लंघन बताते हुए टीटी की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की गई है।
गोविंद सिंह डोटासरा क्या बोले ?
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि श्रीकरणपुर में 5 जनवरी को वोटिंग है, इससे पहले ही बीजेपी उम्मीदवार सुरेंद्र पाल टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाकर मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है। बीजेपी न संविधान को मानती है, न चुनाव आयोग को मानती है। केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग को कमजोर करने का बिल पास करवाया था, ताकि मनमर्जी कर सकें। इसलिए ये आशंका पैदा हो रही है कि आने वाले समय में चुनाव होंगे भी या नहीं। ये सभी लोकतांत्रिक परंपराओं और नियम कायदों को ताक पर रख रहे हैं।
संयम लोढ़ा ने क्या कहा ?
कांग्रेस नेता संयम लोढ़ा ने कहा कि श्रीकरणपुर चुनाव के बीच ही सुरेंद्र पाल टीटी को मंत्री पद की शपथ दिलाना ये साबित करता है कि बीजेपी को हार का डर सता रहा है। बीच चुनाव उम्मीदवार को मंत्री बनाना आचार संहिता का खुला उल्लंघन हैं। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता से फोन पर बातचीत कर तत्काल एक्शन की मांग की है। गंगानगर कलेक्टर को भी शिकायत दी है।
राठौड़ ने इसे सही बताया
कांग्रेस नेता संयम लोढ़ा के मुद्दा उठाने के बाद पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पलटवार किया। राठौड़ ने लोढ़ा को जवाब देते हुए लिखा कि संविधान के आर्टिकल 164 (4) के प्रावधानों के तहत किसी भी व्यक्ति को बिना निर्वाचित हुए 6 महीने तक मंत्री पद पर रहने का अधिकार है। इस संवैधानिक प्रावधान के अनुसार मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल से किसी भी व्यक्ति को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकती है। उसके बाद 6 महीने के अंदर उसे विधानसभा का चुनाव जीतना जरूरी है। संविधान की तीसरी अनुसूची के अनुसार ली गई शपथ किसी प्रकार की आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है। पूर्ववर्ती सरकार में भी मंत्री पद पर रहते हुए दर्जनों मंत्रियों ने चुनाव लड़ा है, इसलिए सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी की राज्यमंत्री के रूप में ली गई शपथ संविधान के प्रावधानों के अनुरूप ही है।