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BHOPAL. मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने प्रदेश सरकार पर एक बार फिर 50 फीसदी कमीशन का आरोप लगाया है। कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले ने नई दिल्ली में नव निर्मित मप्र भवन में अनियमितताओं के बारे में रेसीडेंट कमिश्नर की जांच रिपोर्ट ट्वीट कर घटिया निर्माण का मुद्दा उठाया है। रेसीडेंट कमिश्नर पंकज राग ने ये पत्र प्रमुख सचिव,पीडब्ल्यूडी को लिखा है, जिसमें ये बात सामने आई है कि मप्र भवन के निर्माण में निर्धारित मापदंडो का ध्यान नहीं रखा गया है। इस पत्र के बाद सरकार ने एक जांच कमेटी का गठन किया है।
आवास आयुक्त पंकज राग ने पत्र लिखकर गिनाईं खामियां
अपने पत्र में आवास आयुक्त पंकज राग ने लिखा है कि “नवनिर्मित मध्यप्रदेश भवन निर्माण परियोजना में शासन द्वारा NBCC को निर्माण एजेंसी रखा गया था। परियोजना में NBCC को भवन निर्माण का कार्य के सुपरविजन तथा PMC संबंधी सेवाओं हेतु 79 प्रतिशत सर्विस चार्ज देना सुनिश्चित किया गया था। एनबीसीसी के द्वारा कार्यों का उनके स्तर से Supervision करने के पश्चात समस्त निर्माण निर्धारित specification के अनुसार पाए जाने एवं समस्त fittings एवं उपकरण निर्धारित Brand / गुणवत्ता के अनुसार होने का सत्यापन किया गया। तदपश्चात मप्र भवन के अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा Tukeover करने के पूर्व जब निरीक्षण किया गया तो प्रत्येक कमरे एवं अधिकांश उपकरणों एवं fittings में निर्धारित specifications के अनुसार कार्य न होना कुछ fittings निर्धारित Brand एवं गुणवत्ता के न होने तथा Loose electrical wiring, बिना Installation के AC Duct, बिना Installation के गर्म पानी की Pipe Basement Bathroom पानी के Sumpwell आदि में सिपेज पाया जाना परिलक्षित हुए।”कुछ कुछ जगह Running Pipe के Material में भी परिवर्तन किया गया है अर्थात कुछ लंबाई में लोहे की पाइप है तथा बीच-बीच में PVC अथवा Plastic के Pipe में जोड़ा गया है जो निर्धारित specification के विरुद्ध है। IBMS System में सम्पूर्ण कमरों के A.C, Telephone Fire Fighting, CCTV, Electric Panel इत्यादि की Feed नहीं provide की गई है।
पूछने पर यह बताया जाता है कि 18MS में इसका प्रावधान नहीं किया गया था। मध्यप्रदेश भवन के तकनीकी सलाहकार एवं अन्य अधिकारी के द्वारा भी इस बाबत कोई संतोषजनक एवं समाधान कारण उत्तर नहीं दिया गया है। इससे यह स्पष्ट होता है कि एनबीसीसी ने निर्माण का supervision न तो निर्माण के समय ठीक ढंग से किया गया है न ही उसके पश्चात handover करने के पूर्व यह स्वीकार किया जाना अत्यंत मुश्किल प्रतीत होता है कि यहाँ एक और मध्यप्रदेश भवन के गैर तकनीकी अधिकारी कर्मचारी द्वारा इतनी गंभीर कमियों नवनिर्मित मध्यप्रदेश भवन में पाई गई, वहां एनबीसीसी जैसे नोडल कंपनी के तकनीकी एवं विषय विशेषज्ञ अधिकारियों/ कर्मचारियों द्वारा सब कुछ ठीक पाया गया। इससे स्पष्ट रूप से उद्भुत होता है कि एनबीसीसी के द्वारा supervision का कार्य अत्यधिक लापरवाही से किया गया है अथवा उनके द्वारा जानबूझकर कमियों को छिपाया जा रहा है।”
“अतः नवनिर्मित मध्यप्रदेश भवन को takeover करने से पूर्व किसी स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञ एजेंसी से निरीक्षण पश्चात् विस्तृत रिपोर्ट प्राप्त किया जाना अत्यावश्यक हो गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भवन निर्माण निर्धारित गुणवत्ता एवं मानदंड के अनुसार किया गया है एवं इसमें उपयोग में लाए गए समस्त fiatures, उपकरण एवं अन्य सामग्री अच्छे Brand एवं उच्च गुणवत्ता के उपयोग में लाए गए। कृपया अपर मुख्य सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के अनुक्रम में नवनिर्मित मध्यप्रदेश भवन का लोक निर्माण विभाग अथवा लोक निर्माण विभाग के अधीनस्थ किसी एजेंसी (PIU MPRDC इत्यादि) के दल द्वारा निरीक्षण कराकर उपरोक्त के संदर्भ में इस कार्यालय को प्रतिवेदन उपलब्ध कराए जाने हेतु अनुरोध है।”
पत्र के प्रमुख बिंदु
- 1. कमरों में उपकरणों की फिटिंग में निर्धारित स्पेसीफिकेशन के अनुसार काम नहीं हुआ।
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सरकार ने किया 4 सदस्यीय जांच दल का गठन
इस पत्र में भवन निर्माण को लेकर कई त्रुटियां गिनाई गई हैं और गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि भवन का कब्जा लेने से पहले किसी स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञ एजेंसी से इसकी जांच व निरीक्षण कराया जाना आवश्यक है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी द्वारा लिखे गए इस पत्र की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने 4 सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। इस दल में आरके मेहरा (सचिव लोकनिर्माण विभाग एवं अध्यक्ष गुणवत्ता नियंत्रण सेल), एस एल सूर्यवंशी (मुख्य अभियंता, पीआईयू लोकनिर्माण विभाग), राजेश दुबे (अधीक्षण यंत्री लोकनिर्माण विभाग) और ब्रजेश मांझे (सहायक यंत्री लोकनिर्माण विभाग) शामिल हैं। जांच दल को जल्द अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने को कहा गया है।