वेंकटेश कोरी, JABALPUR. 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों को सूचीबद्ध नहीं किए जाने के मामले में याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल सहित रजिस्ट्री के आला अधिकारियों के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर हुई है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसे अवमानना नहीं मानते हुए याचिका को 25 हजार के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया थी। वहीं हाईकोर्ट के फैसले के बाद ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा है कि प्रदेश के प्रत्येक ओबीसी परिवार से एक-एक रुपए चंदा जोड़कर जुर्माने की यह राशि जमा की जाएगी।
अवमानना याचिका खारिज, लगाया 25 हजार का जुर्माना
दरअसल, ओबीसी आरक्षण के 27 फीसदी आरक्षण के प्रकरणों को हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद सूचीबद्ध नहीं किए जाने को लेकर जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी, यह अवमानना याचिका हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल सहित रजिस्ट्री के आला अधिकारियों के खिलाफ दायर की गई थी। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट में 4.5 लाख प्रकरणों की पेंडेंसी के चलते कोर्ट ऑर्डर के बावजूद प्रकरणों का सूचीबद्ध नहीं होना अवमानना की श्रेणी में नहीं आता है इसके अलावा प्रकरणों के सूचीबद्ध होने पर अधिवक्ताओं का कोर्ट के समक्ष उपस्थित नहीं होना भी अवमानना नहीं है, इस मत के साथ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने इस अवमानना याचिका को 25 हजार के जुर्माने के साथ खारिज कर दिया है। अदालत ने यह भी कहा है कि जुर्माने की यह राशि हाईकोर्ट अधिवक्ता संघ में जमा होगी तभी प्रकरणों की आगामी सुनवाई की जाएगी।
एक-एक रुपए चंदा जुटाकर भरा जाएगा जुर्माना
मामले में कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए 25 हजार का जुर्माना लगाया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने कहा है कि प्रदेश के प्रत्येक ओबीसी परिवार से एक-एक रुपए चंदा जोड़कर जुर्माने की यह राशि जमा की जाएगी।
जानें पूरा मामला
हाईकोर्ट जबलपुर में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण को चुनौती देने वाली सैकड़ों याचिका लंबित रहने के कारण मध्य प्रदेश सरकार के महाधिवक्ता के अभिमत के आधार पर शासन द्वारा की जा रही भर्तियों में केवल 14% आरक्षण ही लागू किया जा रहा है साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग के 13% पदों को होल्ड किया जा रहा है, जिसके कारण ओबीसी के लाखों विद्यार्थियों का भविष्य अंधकार में है। हाई कोर्ट में ओबीसी आरक्षण के प्रकरणों की सुनवाई 4 अगस्त 2023 को हुई थी उस समय हाई कोर्ट को बताया गया था कि सुप्रीम कोर्ट के द्वारा प्रकरणों की सुनवाई न किए जाने का कोई अंतरिम आदेश नहीं है,न साथ ही हाई कोर्ट अपने रिट क्षेत्राधिकार के तहत आगामी सुनवाई नियमित कर सकती है, तब हाई कोर्ट ने इन प्रकरणों की फाइनल सुनवाई 4 सितंबर 2023 को निर्धारित की थी लेकिन रजिस्ट्री के द्वारा प्रकरण सूचीबद्ध नहीं किए गए तब ओबीसी अभ्यर्थी बृजेश कुमार शहवाल ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल राम कुमार चौबे, संदीप कुमार शर्मा और हेमंत कुमार जोशी के विरुद्ध अवमानना याचिका दायर की जिसकी प्रारंभिक सुनवाई 15 दिसंबर 2023 को मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और विशाल मिश्रा की खंडपीठ के द्वारा की गई। आदेश पारित किया गया जिसमें 25000 रुपए का जुर्माना लगाकर अवमानना याचिका खारिज कर दी गई, साथ ही इस जुर्माने की राशि जमा किए जाने के उपरांत ही याचिकाओं को सूचीबद्ध किए जाने की प्रक्रिया की जाएगी।