बृजेश शर्मा, NARSINGHPUR. खेती और फसलों को लेकर कृषि विज्ञान केंद्र से किसानों को मिलने वाली एसएमएस सुविधा बंद होने से अब इससे जुड़े कर्मचारी संकट में आ गए हैं। साथ ही एसएमएस बंद होने के बाद अब किसानों को मौसम की भी जानकारी नहीं मिलेगी। इतना ही नहीं 30 मार्च को प्रदेश की 13 और देशभर की 200 जिला कृषि मौसम इकाइयां बंद होने जा रही है। इसके बंद होने से 400 से ज्यादा लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
213 कृषि मौसम इकाइयां होगी बंद
दरअसल, किसानों को मौसम का सटीक पूर्वानुमान, फसल संबंधी सावधानियां बताने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से एसएमएस के माध्यम दी जा रहा थी, लेकिन यह सुविधा एक साल पहले बंद कर दी थी। अब 30 मार्च से मध्यप्रदेश की 13 और देश की 200 कृषि मौसम इकाइयां बंद की जा रही हैं। इन इकाइयां के बंद होने से हजारों किसानों को मौसम की जानकारी भी नहीं मिल सकेगी। इसके साथ ही 200 मौसम इकाइयों में संविदा पर सेवाएं दे रहे 400 ज्यादा से कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। वहीं इस फैसले से किसानों में नाराजगी देखने को मिल रही हैं।
संकट में 400 से ज्यादा कर्मचारियों की नौकरी
एग्रीकल्चर मेट्रोलॉजी से एमएससी संदीप जो जिला कृषि मौसम इकाई में में 10 साल से काम कर रहे है लेकिन 30 मार्च के बाद संदीप बेरोजगार हो जाएंगे, अब उन्हे नए रोजगार की चिंता सताने लगी है। उन्हें चिंता सता रही है कि 10 साल नौकरी करने के बाद उन्हें नया ठिकाना कहां मिलता है। संदीप जैसे करीब 400 से ज्यादा लोग हैं जिनकी नौकरी संकट में आ गई है।
अब किसानों को नहीं मिलेगी मौसम की जानकारी
इन कर्मचारियों के साथ ही हजारों किसान भी चिंता में हैं, क्योकिं उन्हें एसएमएस से मौसम की सटीक जानकारियां मिल जाती थीं, जिससे वह सतर्क होने के साथ सुरक्षा को तैयारी कर लेते थे। अब यह सब कुछ बंद होने जा रहा है। इसके पहले सरकार कृषि विज्ञान केंद्रों से खेती-बाड़ी से जुड़े एसएमएस भेजना बंद कर चुकी है। मध्य प्रदेश सरकार और एसएमएस सेवा देने वाली प्रदाता कंपनी से एमओयू नहीं हुआ। कहा गया कि सारथी पोर्टल से एसएमएस मिलेंगे लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
कृषि विवि पहुंचे इकाइयां बंद करने के निर्देश
बता दे कि मध्य प्रदेश की 13 और देशभर की 199 जिला कृषि मौसम इकाइयां 30 मार्च को बंद की जा रही हैं। इनके बंद किए जाने के निर्देश कृषि विश्वविद्यालय तक पहुंच चुके हैं। कृषि विज्ञान केंद्र में यह इकाइयां स्थापित हुई थीं जिनमें दो व्यक्ति सेवाएं देते थे। एक व्यक्ति कृषि वैज्ञानिक था तो दूसरा ऑब्जर्वर। यह किसानों को मौसम का पूर्वानुमान व संबंधित जानकारियां देते थे। इन इकाईयों की स्थापना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली और भारत मौसम विज्ञान विभाग के मध्य वर्ष 2019 में हुए करार यानि एमओयू के साथ हुई थी। फरवरी 2022 में भारत मौसम विज्ञान विभाग ने इस योजना को 2026 तक बढ़ाने की घोषणा भी की थी। लेकिन अब इस करार को समयावधि के पहले ही बंद किया जा रहा है।
बताया जाता है कि वित्तीय तंगहाली की वजह से यह इकाइयां बंद की जा रही है। लेकिन इस मामले में इन इकाइयों में कार्यरत लोग कह रहे हैं कि मौसम विभाग और कृषि मंत्रालय में समन्वय नहीं है। कृषि मंत्रालय पैसा देता था लेकिन अब वह हाथ खड़े कर रहा है। इकाइयों के कर्मचारियों की सैलरी में पहले ही देरी से होती थी। यह इकाईयां मध्यप्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्र कटनी, रीवा, बालाघाट, शहडोल, छतरपुर, दमोह, सिंगरौली, गुना, खंडवा, शिवपुरी, राजगढ़, अशोकनगर और बड़वानी में संचालित हैं। मप्र की इकाई जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर एवं ग्वालियर के राजमाता कृषि विश्वविद्यालय से संबद्ध हैं।