इंदौर हाईकोर्ट कमेटी नोटिस और जवाब में उलझी, नहीं देगी 21 जून को रिपोर्ट, भूमाफिया प्लॉट-जिम्मेदारी हमारी नहीं जैसे दे रहे जवाब 

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर हाईकोर्ट कमेटी नोटिस और जवाब में उलझी, नहीं देगी 21 जून को रिपोर्ट, भूमाफिया प्लॉट-जिम्मेदारी हमारी नहीं जैसे दे रहे जवाब 

संजय गुप्ता, INDORE. सुप्रीम कोर्ट, फिर प्रशासन की कमेटी, फिर हाईकोर्ट और फिर हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी नवंबर 2021 से चल रही 255 पीड़ितों के न्याय की लड़ाई अभी लंबी चलेगी। हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में बनी कमेटी को 21 जून तक कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स और सेटेलाइट हिल कॉलोनियों के मामले में रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन कमेटी अभी करीब दो सप्ताह तक फाइनल रिपोर्ट पेश करने की स्थिति में नहीं है। पहले पीड़ितों से शिकायतें ली गई, फिर इस पर भूमाफिया से जवाब लिए गए और अब फिर भूमाफिया के जवाब पर पीड़ितों से जवाब लिए जा रहे हैं। तीनों ही कॉलोनियों के मामले नोटिस-जवाब और फिर नोटिस-जवाब देने की प्रक्रिया में चल रहे हैं। कई मामलों में जवाब के लिए भूमाफियाओं ने अगले सोमवार यानि 26 जून तक का समय मांग लिया है, जो कमेटी से मिल भी गया है। ऐसे में 21 जून को होने वाली सुनवाई में तारीख बढ़ना तय है।  



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भूमाफिया इस तरह तीनों कॉलोनियों के मामलों को उलझा रहे



फिनिक्ल कॉलोनी में




  • फिनिक्स कॉलोनी में चंपू अजमेरा की फिनिक्स डेवकान कंपनी के दिवालिया होने का केस भारी पड़ रहा है और चंपू और लिक्वीडेटर के बीच कानूनी विवाद के चलते नई रजिस्ट्री नहीं हो रही है। इस मामले में कमेटी लिक्वीडेटर को भी बोल रही है कि आप पुरानी रजिस्ट्री और भुगतान के आधार पर रजिस्ट्री होने दें, लेकिन लिक्वीडेटर कानूनी मामला बोलकर आगे बढ़ रहे हैं।


  • वहीं कमेटी या अन्य यह दबाव चंपू पर नहीं बना रहे है कि वह दिवालिया रकम एक करोड़ रुपए भरकर पूरी कंपनी को ही वापस जीवित कर लें, न चंपू इस तरह का प्रस्ताव दे रहा है।

  • वहीं चंपू ने अब इसमें मैडीकैप्स यूनिवर्सिटी के प्रमुख रमेश मित्तल को भी लपेटे में ले लिया है। उसने पुरानी डीड का हवाला देकर कहा है कि यहां आरके इन्फ्रास्ट्रक्चर जो आरसी मित्तल की कंपनी है उसका हिस्सा 90 फीसदी था। ऐसे में यहां प्लाट देने की जिमेदारी मित्तल की भी है। इसलिए वह जिम्मेदारी उठाए। अब मित्तल को भी कमेटी बुला रही है। 



  • सेटेलाइट हिल कॉलोनी में




    • इस कॉलोनी में कैलाश गर्ग के बैंक लोन का विवाद उलझ रहा है। जिसमें मितेश वाधवानी, चंद्राप्रभु कंपनी वाले व अन्य भी उलझे हुए हैं। इनका चंपू अजमेरा से लेकर अलग-अलग विवाद चल रहे हैं। चंद्राप्रभु का दावा है कि उनकी जमीन पर नक्शा पास कराया है, वहीं गर्ग का बैंक लोन का इश्यू है जिसमें चंपू और गर्ग एक-दूसरे पर मामला ढोल रहे हैं। 


  • इस कॉलोनी में भी जमीन की लड़ाई के चलते मौके पर किसी को प्लॉट मिलने की संभावना नहीं है। ऐसे में केवल राशि ही वापस लेना बनती है। 



  • कालिंदी गोल्ड



    यहां पर भूमाफियाओं ने खासकर हैप्पी धवन ने डायरियों पर भुगतान तो लिया है, लेकिन इसे मानने से इंकार कर दिया है और कई डायरियों को नकली बता दिया है। इसमें एचडी और जेडी नाम की साइन के नाम पर खेल हुआ है, जबकि हैप्पी और जितेंद्र धवन एक ही व्यक्ति के नाम है। साथ ही कंपनी के ही लोगों ने बोल दिया है कि साइन सही है और डायरियां भी सही है। वहीं कई मामलों में कंपनी के डायरेक्टर एक-दूसरे की हिस्सेदारी की डीड दिखाते हुए खुद जिम्मेदारी लेने की जगह दूसरों पर भुगतान या प्लॉट देने की जिम्मेदारी डाल रहे हैं। इन सभी के चक्कर में पीड़ित उलझ गए हैं। 



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    कमेटी पीड़ितों को साफ बोल रही, प्लॉट तो है ही नहीं, राशि ही मिल सकती है 



    उधर कमेटी ने अधिकांश मामलों में पीड़ितों को बोल दिया है कि इनके पास प्लॉट तो है ही नहीं, राशि ही दे सकते हैं, हम अनुशंसा 12 फीसदी ब्याज दर के साथ भुगतान की कर रहे हैं, बाकि हाईकोर्ट फैसला लेगा। लेकिन भूमाफियाओं ने इसमें नया पेंच भुगतान राशि को लेकर फंसा दिया है, एक पीड़ित वरूण दिवान उनसे सवा छह लाख रुपए लिए, सवा दो लाख रुपए ऊपर से डायरी में और चार लाख की रसीद से लिए, लेकिन वह केवल चार लाख ही देने को तैयार है। सवा दो लाख का हिसाब नहीं दे रहे हैं। इसी तरह जिसने भी ऊपर से डायरी में राशि दी है वह देने को तैयार नहीं है। 



    बेखौफ तरीके से कमेटी के सामने बैठते हैं भूमाफिया



    कमेटी के सामने भूमाफिया जब पेश होते हैं तो उनके चेहरे पर कोई डर, खौफ नहीं होता है। पीड़ितों ने अपनी पीडा बताते हुए द सूत्र से कहा कि हालत यह है कि जब सुनवाई के लिए हमारा नंबर आता है तो भूमाफिया जो आरोपी है वह तो बैखोफ कमेटी के सामने पांव पर पांव डालकर बैठा रहता है लेकिन पीड़ित खड़े होकर जवाब देता है, जैसे गुनेहगार वह हो। यह भूमाफिया नवंबर-दिसंबर 2021 से ही जमानत पर बाहर है और बात यह हुई थी कि 90 दिन में सारे मामले सेटल कर देंगे, लेकिन पीड़ित अभी भी परेशान है और निराकरण अभी भी बाकी है।


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