वेंकटेश कोरी, JABALPUR. अयोध्या में होने वाले रामलला के भव्य प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरा देश उत्साहित है, लेकिन इनमें ऐसे लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं है जिन्होंने अयोध्या जाकर कारसेवा की है। जबलपुर के रहने वाले रिटायर्ड रेलवेकर्मी उपेंद्र शर्मा इन्हीं कारसेवकों में से एक हैं। उपेंद्र शर्मा ने कारसेवा के लिए जाने की योजना साल 1992 में नवंबर में ही बनाई थी।
उपेंद्र शर्मा की डायरी में जिक्र
उपेंद्र शर्मा ने अयोध्या जाने से लेकर ढांचा गिराने के अलावा देशभर से पहुंचे कारसेवकों और भारी-भरकम पुलिस व्यवस्था होने का जिक्र भी उन्होंने अपनी डायरी में किया है। कारसेवक उपेंद्र शर्मा की मानें तो विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के आह्वान पर उन्होंने अपने कार्यालय से छुट्टी लेकर अपने 2 साथियों राजेन्द्र और रामा के साथ ट्रेन में सवार होकर अयोध्या पहुंचे थे।
डायरी में दर्ज है 6 दिसम्बर का घटनाक्रम
6 दिसंबर 1992 को हुए घटनाक्रम का भी उपेंद्र शर्मा ने अपनी डायरी में जिक्र किया है, जब लाखों कारसेवक अयोध्या में जुटे थे। तब का जिक्र भी उपेंद्र शर्मा ने अपनी डायरी में किया है। उन्होंने लिखा है कि 9 बजे लाखों कारसेवकों ने मंदिर की ओर मार्च किया। बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल और आरएसएस के नेता मौजूद थे। सभी उग्र हो गए, पुलिस से मुठभेड़ हुई कई के घायल होने की घटना को भी उन्होंने अपनी डायरी में नोट किया। इसके बाद विवादित ढांचा तोड़ने और तनाव फैलने के बाद रात के 2 इलाहाबाद रवाना होने का भी उन्होंने अपनी डायरी में जिक्र किया है। ढांचा गिराने के बाद उन्होंने अपनी डायरी में लिखा है 'अयोध्या में दिवाली'।
कारसेवा के दौरान हर जगह था खूनी मंजर
कारसेवा के उस मंजर को उपेंद्र शर्मा आज भी याद करते हैं। उनका कहना है कि जब लाखों की तादाद में कारसेवक अयोध्या में कारसेवा करने विवादित ढांचे पर चढ़े तो उन्हें पुलिस जबरदस्ती पीछे खींच रही थी, जिससे गिरकर कई कारसेवक लहूलुहान हो गए थे। इस दौरान कई कारसेवक लोहे की फेंसिंग के कांटों में ऐसे फंसे कि उनके शरीर से खून ही खून निकल रहा था। ऐसे घायलों को अस्पताल ले जाने की होड़ लगी रही। एंबुलेंस से घायलों को लेकर अस्पताल की ओर जाते भी नजर आ रहे थे।
जबलपुर लौटे तो लग चुका था कर्फ्यू
रेलवे के राजभाषा विभाग में अधीक्षक के पद से रिटायर हो चुके उपेंद्र शर्मा का पूरा समय इन दिनों पूजा-पाठ में बीत रहा है। इसके अलावा उनके पास ऐसे लोगों का भी आना-जाना लगा रहता है जो विवादित ढांचे से जुड़े संस्मरण सुनना चाहते हैं। भूपेंद्र शर्मा बताते हैं कि कारसेवा के बाद वे जैसे-तैसे जबलपुर पहुंचे थे, तब तक यहां कर्फ्यू लग चुका था। बड़ी मुश्किल से पास की व्यवस्था करके वे अपने घर पहुंच पाए थे।