DINDORI. बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और बड़ी-बड़ी सुविधाओं की बात करने वालों के मुंह पर ये घटना एक जोरदार तमाचा है। डिंडौरी में एक गरीब माता-पिता को मजबूरी में अपने नवजात के शव को थैले में छिपाकर 150 किमी का सफर करना पड़ा। क्योंकि अस्पताल से शव वाहन नहीं मिल सका, वहीं वे प्राइवेट गाड़ी का किराया वहन नहीं कर सकते थे। शव भी इसलिए छिपाना पड़ा, क्योंकि बस वाले उन्हें बैठा नहीं रहे थे।
मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला
मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में मानवता को शर्मसार कर देने वाला मामला सामने आया है। जानकर हैरानी होगी कि एक पिता को अपने नवजात बच्चे का शव थैले में रखकर ले जाना पड़ा। उसने अस्पताल प्रबंधन से शव वाहन की मांग की, लेकिन प्रबंधन ने वाहन देने से मना कर दिया। ऐसे उसने नवजात का शव थैले में रखा और बस स्टैंड की ओर चल पड़ा। यहां से बस में सवार होकर डिंडौरी पहुंचा। रास्तेभर उसका दिल रोता रहा, लेकिन उसने आंसू नहीं आने दिए। दिल पर पत्थर रखकर बैठा रहा, क्योंकि बस वालों को पता चलता तो उसे उतार सकते थे। आज नवजात का शव यहां नर्मदा किनारे दफनाएंगे।
उपचार के दौरान नवजात की मौत हो गई
दरअसल 13 जून को डिंडौरी के सहजपुरी गांव में रहने वाली जमनी बाई को प्रसव पीड़ा होने पर डिंडौरी जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया गया था और प्रसव के बाद नवजात शिशु की हालत बिगड़ने पर उसे जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था, जहां उपचार के दौरान शुक्रवार को नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने डिंडौरी वापस आने के लिए मेडिकल कॉलेज जबलपुर प्रबंधन से शव वाहन का इंतजाम कराने मिन्नतें कीं, लेकिन प्रबंधन द्वारा शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया।
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नवजात शारीरिक रूप से कमजोर था
नवजात शारीरिक रूप से कमजोर था। 14 जून को डॉक्टर ने उसे जबलपुर मेडिकल अस्पताल रेफर कर दिया। जबलपुर में 15 जून को इलाज के दौरान नवजात की मौत हो गई। नवजात के शव को वापस डिंडौरी लेकर आना था। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से शव वाहन उपलब्ध कराने का निवेदन किया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया, इसलिए शव को थैले में रखकर लाए हैं।