इंदौर के भूमाफिया चंपू अजमेरा के यहां 110 करोड़ के बैंक लोन घोटाले में ईडी का छापा, चंपू और गर्ग का सेटेलाइट कॉलोनी का खेल

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Pratibha Rana
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इंदौर के भूमाफिया चंपू अजमेरा के यहां 110 करोड़ के बैंक लोन घोटाले में ईडी का छापा, चंपू और गर्ग का सेटेलाइट कॉलोनी का खेल

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर के कुख्यात भूमाफिया चंपू उर्फ रितेश अजमेरा के यहां सुबह करीब छह बजे ईडी की टीम ने पालीवाल नगर स्थित घर पर छापा मारा। ईडी के अधिकारियों के साथ ही बैंक के भी अधिकारी है और करीब छह अधिकारी छापे के लिए पहुंचे। यह यहां पर सेटेलाइट कॉलोनी में 110 करोड़ के बैंक लोन घोटाले की जांच के लिए पहुंचे थे। सूत्रों के मुताबिक कैलाश गर्ग की कंपनी अम्बिका साल्वेक्स में भी ईडी ने छापा मारा है।

ईडी ने आकर पूरा घर जांचा, पत्नी के भी लिए बयान

ईडी ने आते ही घर का दरवाजा बंद किया और अपना परिचय दिया। इसके बाद पूरे घर की सघन सर्चिंग की गई और सेटेलाइट जमीन से जुड़े मामले के सभी दस्तावेज निकाले गए। इसमें बैंक लोन, जमीन के कागज के साथ ही कंपनी से जुड़े दस्तावेज थे। सर्चिंग के बाद जरूरी दस्तावेज कब्जे में लेने के बाद चंपू और पत्नी योगिता अजमेरा के बयान शुरु हुए।

चंपू और योगिता से यह सब पूछा गया

सूत्रों के अनुसार योगिता से उनकी संपत्ती और सेटेलाइट में जमीन को लेकर जानकारी ली गई। योगाता भी इस कॉलोनी से जुड़ी कंपनी में डायरेक्टर रही थी। उनसे भी जानकारी ली गई। फिर चंपू से ईडी ने जमकर क्लास ली और काफी पूछताछ की। ईडी ने इस सेटेलाइट की जमीन की जानकारी, कितना किससे लोन लिया, किस तरह का लोन का उपयोग किया, सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट में केस की क्या स्थिति है? प्लाट किस तरह से बेचे। आदि कई सवाल पूछे गए।

चंपू, योगिता रहे थे कंपनी में डायरेक्टर

सेटेलाइट कॉलोनी एवलांच कंपनी जो साल 2008 में नितेश चुघ व मोहन चुघ ने बनाई लांच की गई थी। इसके बाद दोनों चुघ हट गए और कैलाश गर्ग व सुरेश गर्ग आ गए। बाद में प्रेमलता गर्ग और भगवानदास होटलानी डायरेक्टर बने। गर्ग ने यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक से 110 करोड़ का लोन लिया। कंपनी ने 10 अप्रैल 2008 को प्रस्ताव पास कर चंपू को डेवलपर्स बनाते हुए सौदे करने की पॉवर ऑप एटार्नी दे दी। वहीं नारायण एंड अंबिका साल्वेक्कस इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनी, जिसमें कॉलोन के डेवलपर्स का काम लिया। इस कंपनी में चंपू और योगिता दोनों डायेरक्टर बने, यह साल 2009-10 तक डायरेक्टर बने। कॉलोनी के सौदे और बिक्री चंपू ने की। इस मामले में कैलाश गर्ग प्लाट के विवाद पर यह कहता है कि मैंने वह जमीन गिरवी नहीं रखी जो चंपू ने बेची, मैंने दूसरी जमीन गिरवी रख बैंक से लोन लिया था। वहीं चंपू कहता है कि प्लाट की जमीन गर्ग बैंक में गिरवी रख लोन ले चुका है, मैं अब प्लाट, राशि नहीं दे सकता हूं।

गर्ग तो चंपू को मारने दौड़ चुका

इस प्लाट विवाद के दौरान हाईकोर्ट द्वारा बनी कमेटी के सामने ही गर्ग और चंपू कई बार उलझ चुके हैं। एक बार तो गर्ग रिटायर जज के सामने ही चंपू को मारने के लिए दौड़ा था। दोनों के विवाद को कमेटी ने भी विधिक विवाद मानकर पल्ला झाड़ लिया था और इसमें फैसला हाईकोर्ट स्तर पर ही छोड़ दिया था।

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