भोपाल की इकलौती नदी कलियासोत से दिसंबर तक हटेगा अतिक्रमण, 500 से ज्यादा निर्माण टूटेंगे, ग्रीन बेल्ट होगा डेवलप

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Jitendra Shrivastava
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भोपाल की इकलौती नदी कलियासोत से दिसंबर तक हटेगा अतिक्रमण, 500 से ज्यादा निर्माण टूटेंगे, ग्रीन बेल्ट होगा डेवलप

BHOPAL. राजधानी भोपाल में रहने वाले उन लोगों के लिए बेहद चिंताजनक खबर है जो कलियासोत नदी के किनारे से 33 मीटर के दायरे में अपना मकान बनाकर रह रहे हैं। कलियासोत नदी के 33 मीटर के दायरे में आने वाले उन आलीशान कवर्ड कैंपस में रहने वाले लोगों के लिए भी बेहद बुरी खबर है, जिन्होंने लाखों रुपए देकर इन बिल्डरों से अपना मकान खरीदा है। 



500 से ज्यादा अतिक्रमण पर बुलडोजर चलेगा



नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल यानी एनजीटी ने सरकार को आदेश दे दिया है कि इसी साल दिसंबर तक कलियासोत नदी के किनारे से 33 मीटर तक हुए अतिक्रमणों को तोड़ दिया जाए और ऐसा होता है तो कलियासोत नदी के 33 मीटर के दायरे में आने वाले 500 से ज्यादा अतिक्रमण पर बुलडोजर चलेगा। इसमें मकान, दुकान, फॉर्म हाउस, डेयरी, मंदिर, कॉलोनी से लेकर तमाम तरह के निर्माण हैं। बता दें कि कलियासोत नदी पर हुए अतिक्रमण को लेकर 'द सूत्र' ने भी एक बड़ी मुहिम छेड़ी थी। द सूत्र ने 13 अक्टूबर 2021 से लेकर 24 अक्टूबर 2021 तक लगातार 16 दिनों तक कलियासोत पर हुए अतिक्रमण को लेकर खबरें दिखाई थी।



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कार्रवाई की जगह उल्टा हो गया अतिक्रमण



कलियासोत नदी पर हुए अतिक्रमण को लेकर एनजीटी वैसे तो 2014 में ही अतिक्रमण हटाने का आदेश दे चुका था। लेकिन 9 साल बाद भी सरकार और प्रशासन ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं की बल्कि और अतिक्रमण होता चला गया। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो याचिकाकर्ता और पर्यावरणविद् सुभाष पांडे ने एनजीटी में एग्जीक्युशन एप्लीकेशन दायर की।



दिल्ली पहुंचे पीएस और कमीश्नर



इसी एप्लीकेशन पर एनजीटी सुनवाई कर रहा था और पिछली दो सुनवाई में लगातार प्रशासन और सरकार से पूछ रहा था कि अतिक्रमण हटाने के लिए क्या किया। मगर सरकार और प्रशासन की तरफ से गोल मोल जवाब ही दिया जा रहा था इसलिए एनजीटी ने 10 अगस्त को हुई सुनवाई में एनजीटी की बेंच ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव और भोपाल नगर निगम कमिश्नर को मय दस्तावेजों के साथ दिल्ली बुला लिया।



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सुनवाई के दौरान एनजीटी में कही गई मुख्य बातें




  • सरकार की ओर से कहा गया कि नदी ने रास्ता बदल दिया है, इसलिए वर्तमान नदी को देखते हुए कार्रवाई की जाए। जिस पर एनजीटी ने कहा कि ब्लैक कॉटन स्वाइल के कारण नदी दिशा नहीं बदल सकती, एनजीटी मास्टर प्लान और टीएंडसीपी के प्रावधानों को मानने के लिए बाध्य नहीं है एनजीटी राजस्व रिकॉर्ड को आधार मानती है इस रिकॉर्ड के मुताबिक ही डिसीजन होगा।


  • सरकार की तरफ से बारिश के मौसम का हवाला दिया गया और कार्रवाई के लिए समय मांगा गया, इस पर बेंच ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। ये भी कहा कि चुनाव में अभी टाइम इसलिए ऑर्डर का पालन करिए। 

  • सरकार की तरफ से ये भी कहा गया कि मौजूदा निर्माणों को तोड़ा जाना व्यवहारिक नहीं होगा इस पर बेंच ने कहा कि कलियासोत गंगा की सहायक नदी है। गंगा बेसिन के नियमों के हिसाब से तो 50-50 मीटर के दायरे के अतिक्रमण हटना चाहिए अभी गंगा बेसिन के नियम लागू नहीं कर रहे इसलिए 33-33 मीटर के अतिक्रमण हटाए जाए।



  • जनवरी 2024 तक फाइनल रिपोर्ट सबमिट करनी होगी



    एनजीटी ने सख्ती दिखाते हुए दिसंबर तक अतिक्रमण हटाने के लिए कह दिया है। उससे पहले 6 हफ्ते में 33-33 मीटर का सीमांकन और चिन्हांकन करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही जनवरी 2024 तक रिपोर्ट सबमिट करने को कहा है यदि एनजीटी के रजिस्ट्रार को लगता है कि आदेश का पालन हो चुका तो केस बंद हो जाएगा वरना 15 जनवरी के बाद इसे दोबारा ओपन किया जा सकता है।



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    सुप्रीम कोर्ट में दी जा सकती है फैसले को चुनौती



    क्या एनजीटी के इस आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती ये सवाल भी उठ रहा होगा तो एनजीटी के आदेश को अब केवल सुप्रीम कोर्ट में ही चुनौती दी जा सकेगी।


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