मनीष गोधा,JAIPUR. लोकसेवक कोई भी हो उसने एक वर्ष में कितनी संपत्ति अर्जित की, इसकी जानकारी सरकार को देनी होती है। राजस्थान में पिछली कांग्रेस सरकार ने यह नियम आईएएस अधिकारियों से लेकर चपरासियों तक के लिए लागू कर दिया था, लेकिन सरकार के मंत्री, जो सबसे बड़े लोकसेवक हैं, वो इस नियम का पालन कर रहे हैं या नहीं इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। यह स्थिति पिछले दस वर्ष से बनी हुई है और इस मामले बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों का हाल एक जैसा ही है।
गहलोत सरकार ने सेवा नियमों में किया था संशोधन
राजस्थान में कांग्रेस की पिछली सरकार ने वर्ष 2021 में सेवा नियमों में संशोधन कर या प्रावधान लागू कर दिया था कि राज्य के सभी सरकारी कर्मचारियों को हर वर्ष अपनी अचल संपत्ति का विवरण सरकार को देना होगा। यदि संपत्ति का विवरण निश्चित तिथि तक नही किया जाता तो कर्मचारी को वेतन वृद्धि और पदोन्नति का लाभ नहीं मिलेगा।
पहले सिर्फ राजपत्रित अधिकारियों के लिए था नियम
पहले यह नियम सिर्फ राजपत्रित अधिकारियों के लिए लागू था, लेकिन इस संशोधन के बाद सरकार के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक के लिए यह नियम लागू हो गया। अब हर वर्ष सरकार के साढे़ आठ लाख कर्मचारियों को अपनी संपत्ति का विवरण सरकार को देना होता है।
सरकार ने यह दिया था तर्क
इस नियम को लागू करने के पीछे तत्कालीन सरकार का तर्क यह था कि जब भ्रष्टाचार के मामलों में जांच की जाती है तो कई सरकारी कर्मचारियों के पास आय से अधिक संपत्ति मिलती है और संपत्ति की जांच में क्योंकि समय लगता है, इसलिए मामला लंबा खिंच जाता है। यदि हर कर्मचारी की संपत्ति की जानकारी प्रतिवर्ष सरकार के पास आएगी तो इससे आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज करने में देर नहीं लगेगी।
मंत्रियों के लिए भी है नियम, लेकिन पालन करने का पता नहीं
अपनी चल अचल संपत्ति की प्रतिवर्ष जानकारी देने का नियम सरकार के मंत्रियों के लिए भी लागू है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में केंद्र और राज्य के मंत्रियों के लिए आचार संहिता लागू की थी और इसी के तहत यह प्रावधान किया गया था कि सरकार के मंत्री प्रतिवर्ष 31 अगस्त तक अपनी चल और अचल संपत्ति की जानकारी केंद्र सरकार के मामले में प्रधानमंत्री को और राज्य सरकार के मामले में संबंधित मुख्यमंत्री को देंगे। लेकिन इस नियम का पालन हो रहा है या नहीं इसकी कोई जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाती। पिछले 10 साल से यही स्थिति बनी हुई है।
... तो कांग्रेस सरकार ने किया पालन
वर्ष 2010 में केंद्र की यूपीए सरकार ने जब यह आचार संहिता लागू की तब राजस्थान में भी कांग्रेस की सरकार थी और इसने हर वर्ष अपने मंत्रियों की संपत्ति सरकारी वेबसाइट पर जारी की, लेकिन 2013 में सत्ता परिवर्तन हुआ और बीजेपी की सरकार बनी तो इसने पहले वर्ष से हो संपत्ति सार्वजनिक करना बंद कर दिया। इस बारे में तत्कालीन मंत्रियों का कहना था कि हम तो विवरण सीएम को दे रहे हैं। अब इसे सार्वजनिक करना है या नहीं यह निर्णय मुख्यमंत्री को करना है। बाद में 2018 में जब कांग्रेस की सरकार आई तो उसने भी बीजेपी को ही फॉलो किया और उसके मंत्री भी यही जवाब देते रहे और अब मंत्रियों की संपत्ति सार्वजनिक होना बंद हो गया है।
मंत्रियों की संपत्ति का खुलासा नहीं
अब मंत्री अपनी संपत्ति की जानकारी सीएम को दे रहे हैं या नहीं दे रहे हैं। इस बारे में कहीं कोई खुलासा नहीं है, क्योंकि जब संपत्ति सार्वजनिक नहीं की जानी है और खुद के ही लोग हैं तो नियम का पालन हो रहा है या नहीं इसे कौन देखेगा। राजस्थान सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर पूर्व मंत्रियों के संपत्ति विवरण का एक लिंक तो दिया हुआ है लेकिन यह खुलता कभी नही है।
उठ रहे हैं सवाल
सरकार के इस दोहरे रवैया को लेकर सवाल भी उठ रहे हैं। राजस्थान मंत्रालयिक संयुक्त कर्मचारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना का कहना है कि सरकार का सारा जोर कर्मचारियों पर ही चलता है, जबकि लोकसेवक तो मंत्री भी हैं तो जो नियम हम पर लागू है वह मंत्रियों पर क्यों नहीं होना चाहिए। वहीं एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और इलेक्शन वॉच राजस्थान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता कमल टांक कहते हैं कि मंत्री तो सबसे बड़े लोक सेवक हैं और लोक सेवक होने के साथ ही वे जनप्रतिनिधि भी हैं, इसलिए उन्हें सार्वजनिक जीवन में पूरी पारदर्शिता रखते हुए संपत्ति सार्वजनिक करने का नियम पालन करना चाहिए।
औसतन 100% तक बढ़ी गहलोत सरकार के मंत्रियों की संपत्ति
राजस्थान के इस बार के विधानसभा चुनाव में सरकार के 30 मंत्रियों में से 27 ने फिर से चुनाव लड़ा था। इनके अलावा कुछ विधायक ऐसे भी थे जो सरकार के आधे कार्यकाल में मंत्री रहे। एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट बताती है कि इन मंत्रियों की संपत्ति औसतन 100% तक बढ़ गई। ज्यादातर ने अपनी आय का स्रोत कृषि को बता रखा है वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो सरकार से मिलने वाले वेतन विधायक के रूप में मिलने वाली पेंशन और अन्य स्रोतों से आय अर्जित कर रहे हैं। सरकार के सिर्फ एक मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ऐसे रहे जिनकी संपत्ति पिछली बार के मुकाबले 5% कम हुई है।
जानिए कितनी बढ़ी गहलोत सरकार के मंत्रियों की संपत्ति
- अशोक गहलोत 79%
- राजेंद्र सिंह गुढ़ा 346 %
- हरीश चौधरी 219 %
- शकुंतला रावत 481%
- भंवर सिंह भाटी 199 %
- रामलाल जाट 155 %
- महेंद्रजीत सिंह मालवीय 125 %
- प्रमोद जैन भाया 107 %
- अर्जुन लाल बामनिया 116%
- साले मोहम्मद 116%
- बृजेंद्र ओला 81%
- प्रताप सिंह खाचरियावास 99%
- जाहिदा खान 89%
- बीडी कल्ला 97%
- गोविंद डोटासरा 65%
- ममता भूपेश 54%
- शांति धारीवाल 53%
- सुभाष गर्ग 53%
- सुखराम बिश्नोई 53%
- रघु शर्मा 44%
- परसादी लाल मीणा 43
- रमेश मीणा 34%
- टीकाराम जूली 30%
- मुरारी लाल मीणा 21%
- सचिन पायलट 15%
- उदयलाल आंजना 14%
- गोविंद राम मेघवाल 9%
- अशोक चांदना 8%
- विश्वेंद्र सिंह 4%