KOTA. कोटा के एक अस्पताल में एक पिता को अपने बेटे के इलाज के लिए स्कूटी से तीसरी मंजिल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। बेटे के पैर में चोट लगी थी वो चल नहीं सकता, लेकिन अस्पताल में व्हील चेयर ही नहीं मिली लिहाजा पिता बेटे को स्कूटी पर बैठाए ही स्कूटी समेत लिफ्ट में दाखिल हो गया और तीसरी मंजिल तक स्कूटी पर सवार हो कर जा पहुंच गया। इस बीच पेशे से वकील पिता को अस्पताल स्टाफ ने रोकने का प्रयास किया तो हंगामा मच गया। अब वीडियो वायरल हो रहा है।
स्कूटी को वार्ड में देख हर कोई चौंका
आम दिनों की तरह एमबीएस हॉस्पिटल में स्टाफ और मरीज अपने-अपने कामों में लगे थे। 15 जून (गुरुवार) दोपहर करीब डेढ़ बजे अचानक मनोज जैन (पेशे से वकील) स्कूटी लेकर लिफ्ट की ओर जाने लगे। उनके बेटे के पैर में फ्रैक्चर था। उन्होंने स्कूटी को लिफ्ट में घुसा दिया। फिर वार्ड की तरफ अपने बेटे को लेने पहुंच गए। उन्हें स्कूटी से वार्ड में देख हर कोई चौंक गया।
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व्हील चेयर नहीं मिली तो गाड़ी लेकर पहुंचे
मनोज जैन ने बताया कि गुरुवार (15 जून) को मेरे बेटे के पैर में चोट लग गई थी। डॉक्टर ने उसके पैर में फ्रैक्चर बताया। तब प्लास्टर चढ़वाने के लिए मैं एमबीएस अस्पताल की नई बिल्डिंग में पहुंचा, जहां डॉक्टर ने चेकअप किया और बेटे के पैर में प्लास्टर चढ़ा दिया। मैं पहले पैदल ही बेटे को प्लास्टर चढ़वाने के लिए ले गया था। नीचे आने के लिए जब मैं व्हील चेयर तलाशने लगा तो मुझे वहां ऐसी कोई सुविधा नहीं दिखी। मैंने काफी देर तक इंतजार किया। जब व्हील चेयर का इंतजाम नहीं हुआ तब मैंने वहां मौजूद स्ट्रेचर ले जाने वाले सुखलाल और मुकेश से इसके बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि फिलहाल नए भवन में पूरे उपकरण नहीं आए हैं। मैंने और इंतजार किया। मैंने स्टाफ से पूछा कि मेरे पास इलेक्ट्रिक स्कूटी है, क्या मैं उसे लेकर ऊपर आ जाऊं? उससे आवाज भी नहीं होगी और इससे कोई डिस्टर्ब भी नहीं होगा। इस पर स्टाफ ने कहा कि अगर ला सकते हो तो ले आओ।
पिता बोला- स्टाफ की अनुमति के बाद ही स्कूटी लेकर पहुंचा
इसके बाद मैं स्कूटी लेकर लिफ्ट के जरिए वार्ड तक आया। यहां वार्ड इंचार्ज देवकीनंदन ने स्कूटी को रोक लिया। चाबी निकाल ली। मेरे बेटे के पैर में प्लास्टर चढ़ा था। मैं उसे गोद में लेकर नहीं जा सकता था। इसलिए पूछने के बाद ही स्कूटी लेकर आया था। उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया। मुझ पर गाली-गलौज के आरोप लगाए। इसके बाद मामला पुलिस तक पहुंचा और उन्होंने यहां आकर सीसीटीवी कैमरे भी चेक किए।
स्कूटी गेट तक लाने को कहा गया था- डॉ. गोयल
अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. कर्णेश गोयल ने कहा कि इस मामले की सूचना मिलते ही मैं मौके पर पहुंच गया था। एडवोकेट मनोज के बेटे के पैर में प्लास्टर बंधा था। उन्होंने स्टाफ सुखलाल से व्हील चेयर के लिए पूछा था, लेकिन उस समय व्हील चेयर नहीं थी। एडवोकेट ने कहा था कि मैं इलेक्ट्रिक स्कूटी यहां तक ले आता हूं। उन्हें स्कूटी को गेट तक लाने के लिए कहा गया था, लेकिन वो उसे सीधे वार्ड में ले आए। जो बिल्कुल गलत बात है। ये सब देख दूसरे मरीजों के परिजन भी हंगामा करने लगे और कहने लगे कि हम भी अपनी गाड़ियों से वार्ड तक आ जाएंगे। लिफ्ट में किसी भी प्रकार के वाहन का प्रवेश वर्जित है।
अस्पताल में जल्द होगी व्हील चेयर की व्यवस्था
अस्पताल में सुविधाओं और उपकरणों के अभाव से जुड़े सवाल पर डॉ. गोयल ने कहा कि मैंने अस्पताल में पांच व्हील चेयर डोनेट करवाई हैं। सरकारी स्तर पर जो सप्लाई होनी है, उसमें थोड़ा टाइम लगेगा, लेकिन जल्द ही व्यवस्था हो जाएगी। हम अपने स्तर पर मरीजों को हो रही परेशानी को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। कोशिश करेंगे कि जल्द ही व्हील चेयर की व्यवस्था हो जाए।
कोर्ट में शादी करवाने पर चर्चा में आए थे एडवोकेट जैन
इससे पहले 14 जून को भी एडवोकेट मनोज जैन विवाद में आए थे। मनोज जैन ने कोर्ट परिसर की गैलरी में हवन कुंड लगवा कर एक जोड़े की शादी करवाई थी। बाकायदा पंडित को बुलवाया। वीडियो भी शूट करवाया। मामला सामने आने के बाद बार काउंसिल (अभिभाषक परिषद) ने बैठक आयोजित कर वकील को काउंसिल से निष्कासित कर दिया।