BHOPAL. नागपंचमी हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन नाग पूजा का भी विधान है। नागपंचमी के दिन सांप को दूध पिलाने की परंपरा है। क्या वाकई में सांप दूध पीते हैं अगर पीते भी हैं तो यह दूध सांप के लिए जहर से कम नहीं है। आज हम दूध पिलाने के बाद सांप को होने वाले नुकसान और जो लोग दूध पिलाते हैं उनको कौन सी सजा या जुर्माना हो सकता है इसके बारे में बताते हैं...
सांप को दूध पिलाने पर वैज्ञानिक मत
सांप को पारिस्थितिक तंत्र की मजबूत कड़ी माना जाता है। सांपों को किसान का मित्र भी कहा जाता है। सांप चूहे, कीड़े और मकोड़ों को खाता है। इसके चलते सांप का इको सिस्टम मजबूत रहता है। भय के कारण लोग सांपों को मार देते हैं। इसी कारण इसको धर्म से जोड़ दिया गया ताकि लोग सांपों को मारना छोड़कर इनकी पूजा करने लगें। विज्ञान कहता है सांप को दूध पिलाना खतरनाक है, सांप रेप्टाइल जीव हैं न कि स्तनधारी। रेप्टाइल जीव दूध को हजम नहीं कर सकते और ऐसे में उनकी मृत्यु तक हो जाती है। दूध पिलाने से सांप की आंत में इन्फेक्शन हो सकता है। इसके चलते सांप की जिंदगी पर बन आती है।
नागपंचमी पर सांप को दूध पिलाने से बचें
सर्प विशेषज्ञों के अनुसार सपेरे नाग पंचमी से पहले ही सांपों को पकड़कर उनके दांत तोड़ देते हैं और जहर की थैली निकाल लेते हैं। इससे सांप के मुंह में घाव हो जाता है। इसके बाद सपेरे सांप को भूखा रखते हैं और नागपंचमी के दिन इन्हें दूध पिलाते हैं। भूख-प्यास से परेशान सांप दूध को पानी समझकर पी लेते हैं जिससे उनके मुंह में बने घाव में मवाद बन जाता है और इससे कुछ ही दिनों में सांपों की मौत तक हो जाती है। इसलिए बेहतर है कि सांप को नागपंचमी पर दूध पिलाने से बचें।
सांप को पकड़ना भी पाप है
ज्योतिष और पंडित कहते हैं कि धार्मिक पुस्तकों में नाग पंचमी पर शिव की पूजा का विधान है। सांपों को पकड़ना, उनका विष निकालना क्रूरता है। हिंदू धर्म हमें क्रूरता नहीं सिखाता है और किसी भी जीव से क्रूरता पाप है। धर्मशास्त्र में कहीं भी सांप को दूध पिलाना नहीं लिखा है, जबकि लोगों ने इसे परंपरा बना लिया है। डाक्टरों और विशेषज्ञों के अनुसार सांप को दूध पिलाना भ्रांति है। सांप कभी दूध नहीं पीता है अगर गलती से भी उसके मुंह में दूध चला जाए तो वह मर भी सकता है। पशु चिकित्सक बताते हैं कि सांप में सुनने की शक्ति नहीं होती है इसीलिए वह नाचता भी नहीं है। जमीन पर होने वाले कंपन से उसे आहट का अहसास होता है। सपेरे बीन बजाने के साथ आहट करते हैं इससे सांप अपने शरीर को घुमाने लगता है। लोगों को भ्रम हो जाता है कि वह नाच रहा है।
सात साल की सजा
सांप वन के संरक्षित जीव हैं। इनको मारना, पकड़ना, डिब्बा में बंद करना, विष की थैली निकालना, चोट पहुंचाना, और प्रदर्शनी लगाना अपराध है। वन अधिनियम में सेक्शन 9/51 के अनुसार पहली बार सांप को पकड़ने पर तीन साल की सजा और 25 हजार रुपए जुर्माने का प्रावधान है। दूसरी बार सांप के साथ पकड़े जाने पर सात साल की सजा और 25 हजार रुपए का जुर्माना भी भरना पड़ेगा।