संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर विधानसभा चार में कांग्रेस के टिकट के लिए राजा मंधवानी और अक्षयकांति बम के बीच दावेदारी की लड़ाई चल रही है। लेकिन अब इस दौड़ में मंधवानी ने खुद को हिट विकेट किया है। शहर कांग्रेस में कार्यवाहक अध्यक्ष बने विशाल उर्फ गोलू अग्निहोत्री के लिए उन्होंने जमकर प्रचार किया और विज्ञापन लगवाए, लेकिन उनके दिए विज्ञापन से कांग्रेस विधायक संजय शुक्ला और विशाल पटेल दोनों को ही हटा दिया। केवल राऊ विधायक जीतू पटवारी को ही लगाया है। इससे कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी भी फिर उभरकर सामने आ गई। बताया जा रहा है कि यह मामला भोपाल तक पहुंच गया है।
पिंटू से लेकर चिंटू तक के विज्ञापन में सभी विधायक लगे
मंधवानी की बात इसलिए भी तूल पकड़ रही है क्योंकि शुक्रवार को ही विधानसभा तीन के दावेदार पिंटू जोशी का जन्मदिन है और इसके लिए भी कई विज्ञापन सामने आए, वहीं विधानसभा दो के दावेदार और निगम नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे ने भी गोलू के बधाई को लेकर विज्ञापन जारी किए। इन सभी में कांग्रेस के तीनों विधायक लगे हुए हैं, यानि केवल मंधवानी ने ही शुक्ला और पटेल के पोस्टर हटाए हैं।
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मंधवानी और बम दोनों ही खुद को प्रत्याशी मानकर कर रहे प्रचार
विधानसभा चार से मंधवानी की बात करें या फिर बम की। दोनों ही प्रत्याशियों ने एक महीने पहले से ही प्रत्याशी की तरह ही प्रचार-प्रसार शुरू कर दिया है। दोनों मानकर चल रहे हैं कि इन्हें टिकट मिल गया है। विज्ञापन, होर्डिंग्स में भी यह अपने नाम के नीचे विधानसभा चार लिखना नहीं भूलते हैं। यानि दावेदारी सीधे-सीधे विधानसभा चार की है।
गोलू को इसलिए भी साधना जरूरी-
विधानसभा चार के प्रत्याशी के लिए गोलू को साधना इसलिए भी जरूरी है कि क्योंकि गोलू खुद विधानसभा चार के लिए मजबूत दावेदार रहे हैं। हालांकि, वह इस बार खुद ही चुनाव लड़ने से मना कर रहे हैं। लेकिन इस विधानसभा से लगे विधानसभा एक के हिस्से में गोलू की पकड़ है और विधानसभा चार में भी वह प्रत्याशी की मदद करने की स्थिति में हैं। इसके चलते भी गोलू के पदभार आयोजन की अधिकांश जिम्मेदारी राजा मंधवानी ही संभाल रहे हैं, जिससे उन्हें चुनाव में मदद मिल सके। लेकिन इस चक्कर में वह कांग्रेस के दो विधायकों से बुराई ले चुके हैं।
33 साल से कांग्रेस के पास नहीं आई विधानसभा चार-
विधानसभा चार 33 साल से कांग्रेस के हाथ नहीं आई है। साल 1990 में यहां से कैलाश विजयवर्गीय जीते थे और फिर साल 1993, 1998 और 2003 में लक्ष्मण सिंह गौड़ विधायक बने, उनके निधन के बाद साल 2008, 2013 और 2018 में लगातार मालिनी लक्ष्मणसिह गौड़ ने भारी मतों से जीत हासिल की। कांग्रेस को इतने सालों में कोई मजबूत प्रत्याशी ही इस विधानसभा के लिए नहीं मिला।