एमपी में चार साल बाद पहला नियुक्ति आदेश जारी, बेरोजगारों में बढ़ रही बैचेनी, विरोध के स्वर भी तेज

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BP Shrivastava
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एमपी में चार साल बाद पहला नियुक्ति आदेश जारी, बेरोजगारों में बढ़ रही बैचेनी, विरोध के स्वर भी तेज

BHOPAL. मध्यप्रदेश में नई सरकार सत्ता में आ चुकी है। इसी के साथ बेरोजगार युवाओं के लिए एक अच्छी खबर आई है। जिसमें स्टेट सर्विस एग्जामिनेशन (एसएसई)-2020 के तहत स्कूल शिक्षा विभाग के सहायक संचालक के पदक के लिए 14 दिसंबर को नियुक्ति आदेश जारी हुआ है। पिछले 4 साल में एसएसई के तहत जारी यह पहला नियुक्ति आदेश है। हालांकि, बेरोजगार को उम्मीद के अनुसार नियुक्तियां नहीं मिलने से विरोध के स्वर भी तेज हो रहे हैं।

डिप्टी केलेक्टर, डीएसपी आदि पदों के लिए इंतजार जारी

एमपी में बेराजगार युवा सोशल मीडिया साइट्स के अलावा सरकारी दफ्तरों में पहुंचकर नौकरी की मांग उठा रहे हैं। वहीं, लंबे इंतजार के बाद एमपीपीएससी की एसएसई-2020 के तहत स्कूल शिक्षा विभाग ने सहायक संचालक के पद के लिए 14 दिसंबर को नियुक्ति आदेश निकाला है। पिछले चार साल में एसएसई के तहत जारी किया यह पहला नियुक्ति आदेश है। एसएसई-2018 के तहत आखिरी बार नियुक्ति की गई थी। वहीं अभ्यर्थी डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे पदों के लिए इंतजार कर रहे हैं।

एक ही विभाग ने जारी किया नियुक्ति आदेश

जानकारी के मुताबिक एसएसई-2020 के तहत अभी सिर्फ एक ही विभाग ने नियुक्ति आदेश जारी किया है। ऐसे में अन्य विभागों के लिए चयनित उम्मीदवार भी जल्द ही नियुक्ति देने के लिए मांग उठा रहे हैं। युवाओं की यह मांग धीरे-धीरे और बढ़ती जा रही है। एमपीपीएससी ने ओबीसी आरक्षण के कारण 87:13 के फॉर्मूले के आधार पर रिजल्ट जारी किया है।

सहायक संचालक के 33 पदों के नियुक्ति आदेश जारी

87 फीसदी के दायरे में 221 पद रहेंगे, जबकि 13 फीसदी वाले दायरे में 39 पद रखकर इन पर नियुक्ति होल्ड की गई है। यानी 221 पदों के लिए फाइनल रिजल्ट जारी किया गया। इनमें से 7 पदों के लिए योग्य उम्मीदवार नहीं मिलने के कारण 214 पदों के लिए फाइनल सिलेक्शन लिस्ट जारी की गई है। फिलहाल स्कूल शिक्षा विभाग के तहत सहायक संचालक के लिए 33 पदों के लिए नियुक्ति आदेश जारी हुए हैं। 181 पदों के लिए चयनित उम्मीदवार अभी भी इंतजार कर रहे हैं।

फाइनल रिजल्ट 9 जुलाई को आया

एसएसई-2020 की प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट 25 जुलाई 2021 को आया था। फाइनल रिजल्ट करीब दो साल बाद 9 जुलाई 2023 को आया, लेकिन पांच महीने से नियुक्ति अटकी हुई है। जबकि चयनित उम्मीदवारों का मेडिकल, दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। लेकिन किसी ने किसी बहाने से नियुक्ति आदेश जारी नहीं किए गए।

इस कारण बढ़ रही युवा बेरोजगारों की परेशानी

मध्यप्रदेश में आरक्षण विवाद के कारण युवा बेरोजगार सबसे ज्यादा परेशान हो रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में न सिर्फ सामान्य वर्ग बल्कि ओबीसी सहित सभी वर्ग के उम्मीदवारों को नौकरी के लिए भटकना पड़ रहा है। कुल पदों में से 87 फीसदी पदों पर भी नियुक्ति दी जा रही है। 13 प्रतिशत पद होल्ड किए जा रहे हैं। इन 13 पदों पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों की नियुक्ति होगी या फिर ओबीसी के वर्ग की, यह स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसलिए कोर्ट में पेंडिंग आरक्षण के मामले को भी जल्द खत्म कराने की मांग कर रहे हैं। ताकि जितने पद विज्ञापित किए गए हैं, उन सभी पर नियुक्तियां हो सकें। आंकड़े बताते हैं अभी तक स्टेट सर्विस एग्जामिनेश- 2019, 2021, 2022 और 2023 के अभ्यर्थियों के रिजल्ट नहीं आए हैं।


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