BHOPAL. सोनिया गांधी-मल्लिकार्जुन खरगे के प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाने के फैसले पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने सफाई दी है। दिग्विजय सिंह ने कहा कि भगवान राम सबके हैं। मंदिर में जाने पर हमको तो खुशी होगी, लेकिन उसका विधिवत रूप से पूरा निर्माण तो हो जाए। वहीं कांग्रेस का ये इनकार सियासी गलियों में चर्चा का विषय बन गया है। वहीं पार्टी के इस फैसले के बाद से ही बीजेपी कांग्रेस पर हमलावर है।
शिवसेना जो बाबरी विध्वंस में आगे थी उसने भी मना कर दिया
दिग्विजय सिंह ने कहा कि पहली बात तो ये है कि निमंत्रण जितने भी लोगों को गया उनमें से कितने लोगों ने ये निमंत्रण स्वीकार किया है। हमारे कोई भी स्थापित धर्मगुरू ने स्वीकृति नहीं दी है आपत्ति की है। धर्मशास्त्र के अनुसार जिस मंदिर का निर्माण ही पूरा नहीं हुआ तो उस मंदिर में कभी प्राण प्रतिष्ठा नहीं होती है, उसे अशुभ माना जाता है। जितने भी राजनीतिक दल हैं जिन्हें निमंत्रण गया है इसमें सिर्फ कांग्रेस पार्टी ही नहीं बल्कि शिवसेना, आरजेडी, जेडीयू, टीएमसी, सीपीआई इनमें से कोई नहीं जा रहा है। दिग्विजय ने कहा कि शिवसेना जैसी पार्टी जो बाबरी विध्वंस में सबसे आगे थी, उसने भी मना कर दिया है। उन्होंने इसे बीजेपी और विश्व हिंदू परिषद का आयोजन बना दिया है।
1985 से पहले बीजेपी गांधीवादी तरीके पर थी
दिग्विजय ने कहा कि कांग्रेस पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है। इसलिए न तो हिंदू और न ही किसी अन्य धर्म की विरोधी है। कांग्रेस ने कभी भी धर्म का इस्तेमाल राजनीति के लिए नहीं किया है। ये लोग छुपकर औवेसी से समझौता करते हैं और बाहर कुछ और बोलते हैं। हम लोग धर्म का उपयोग राजनीति में नहीं करते, वोट मांगने में नहीं करते। धर्म के नाम पर वोट मांगना गलत है और कानून के खिलाफ है। राम मंदिर कभी बीजेपी के एजेंडे में नहीं था बीजेपी जब दो सीटों पर सिमट गई तब 1985 के इलेक्शन के बाद उनके एजेंडे में राम मंदिर आया। उससे पहले वे गांधीवादी तरीके पर थे और उसके कारण वे भारतीय राजनीति में सिमट गए थे तो उसके बाद वे राम मंदिर और धर्म की राजनीति को एजेंडे पर लेकर आए।
अपूर्ण मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा को गलत बताया
दिग्विजय सिंह ने कहा कि किसी भी अपूर्ण मंदिर के अंदर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा गलत है। जितने भी स्थापित धर्मगुरु हैं चाहे किसी भी संप्रदाय के हो, किसी ने भी इस प्रक्रिया को और इसके राजनीतिकरण को सही नहीं ठहराया। वहां निर्मोही अखाड़ा सेवा करता रहा, लेकिन उनको हटाकर विहिप के लोग बैठ गए और चंपत राय जैसा आदमी जिसने वहां घोटाला किया वह हमें ज्ञान दे रहा है। शंकराचार्यों को चुनौती दे रहा है। रामालय ट्रस्ट, धर्मगुरु, शंकराचार्य इनको काम क्यों नहीं सौंपा गया है। महंगाई, बेरोजगारी के मुद्दे को छोड़कर ये लोग धर्म के नाम पर लोगों को बेवकूफ बना रहे हैं।
हम तो राम भक्त थे, हैं और रहेंगे
कांग्रेस पार्टी ने सोच-समझकर फैसला लिया है, कोई भी शंकराचार्य नहीं जा रहे हैं। राम मंदिर आंदोलन में जो शहीद हुए हैं, वो कहां हैं वहीं घोटालेबाज सर्वेसर्वा हो गए हैं। ये धार्मिक परंपरा पर बीजेपी का हमला है ये लोग शास्त्रों के विपरीत काम कर रहे हैं। जब मस्जिद गिराई थी तो हिमाचल व अन्य राज्यों में चुनाव हुए और कांग्रेस जीती थी। राम मंदिर से हमें ऐतराज नहीं है, मैं अयोध्या कई बार गया हूं। ओरछा के राम दरबार में दिनभर विराजते हैं, हम तो राम भक्त थे, हैं और रहेंगे। लेकिन जिस प्रकार से उनका राजनीतिक दुरुपयोग किया जा रहा है, हम उसके खिलाफ हैं।