संजय गुप्ता, INDORE. सुप्रीम कोर्ट द्वारा ट्रांसजेंडर्स शादी को कानूनी मान्यता देने का फैसला सुनाए जाने के बाद शादी का पहला मामला इंदौर में आया है। अलका सोनी ने अस्तित्व बनने के बाद स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत आस्था से शादी की। अब 11 दिसंबर को वह रीति-रिवाज से भी शादी के फेरे लेंगे।
इसलिए किया अलका ने अस्तित्व बनने का फैसला
अलका सोनी को जन्म के कुछ सालों में यह एहसास हुआ कि नारीत्व उसके लिए नहीं है। उसने पुरुषों की तरह रहना शुरू कर दिया। उसने पिछले साल 47वें जन्मदिन पर सर्जरी करवाकर जेंडर (स्त्री से पुरुष) चेंज करवा लिया और अपना नाम अस्तित्व रख लिया। अस्तित्व का कहना है कि मैंने शुरू से ही अपनी अर्धांगिनी का नाम आस्था सोच रखा था और वही नाम उसे दिया है। हम दोनों इस शादी से बहुत खुश हैं।
बहन की सहेली से हुई शादी
अलका की बहन की सहेली है आस्था। उसे इस बदलाव के बारे में शुरू से ही जानकारी थी। आस्था की अस्तित्व से 5-6 महीने पहले बातचीत शुरू हुई। आस्था का कहना है कि हमने बहुत विचार करने के बाद शादी करने का निर्णय लिया। दोनों परिवारों को भी हमारे इस फैसले से कोई समस्या नहीं थी।
प्रशासन को दिया था शादी का आवेदन
हम दोनों ने अपर कलेक्टर रोशन राय को अपनी स्थिति समझाते हुए विवाह का आवेदन दिया। हमारे फार्म को अपर कलेक्टर ने 2-3 दिन परीक्षण करने के बाद स्वीकार किया। दोनों पक्षों को नोटिस भेजे गए। गुरुवार को वर-वधू पक्ष के दो-दो गवाह और एक संयुक्त गवाह की मौजूदगी में हम दोनों ने शादी कर अपना मैरिज सर्टिफिकेट लिया।
दोनों परिवार को आपत्ति नहीं
अस्तित्व का कहना है कि मैंने और मेरे परिवार ने अपने बारे में सब कुछ बता दिया था। इसे लेकर आस्था और उसके परिवार को कोई आपत्ति नहीं थी। यह विवाह अभी रीति रिवाजों के साथ भी होना है। लेकिन इसके पहले कानूनी मान्यता जरूरी थी। देश में कई ट्रांसजेंडर्स के विवाह हिन्दू रीति-रिवाज से हुए हैं, लेकिन जेंडर बदलकर विवाह करने का यह अपने आप में पहला मामला है।