भोपाल. एमपी की राजधानी भोपाल में एक एनजीओ के अवैध हॉस्टल (चिल्ड्रन होम) से लापता सभी 26 बच्चियां मिल गई हैं। इन्हें भोपाल और आसपास के क्षेत्र से बरामद किया गया है। 10 बच्चियां आदमपुर छावनी हरिपुरा, 13 बच्चियां अयोध्या बस्ती, 2 बच्चियां रूप नगर क्रेशर एरिया और एक बच्ची रायसेन से बरामद की गई है।
संचालक के खिलाफ एफआईआर
गौरतलब है कि आंचल नाम के इस हॉस्टल में कुल 68 बच्चियां रजिस्टर्ड हैं। शुक्रवार को जब राज्य बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों ने यहां निरीक्षण किया तो 68 में से 41 बच्चियां ही मौके पर मिलीं थीं। इस शिकायत पर परवलिया पुलिस ने शनिवार को हॉस्टल संचालक और पदाधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज की। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी संज्ञान लेते हुए मुख्य सचिव वीरा राणा से सात दिन में जांच रिपोर्ट मांगी है। इधर लापरवाही बरतने पर परियोजना अधिकारी समेत तीन लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है।
कलेक्टर-एसपी ने किया निरीक्षण
शनिवार को ही एसपी और कलेक्टर ने भी हॉस्टल का दौरा किया। जिला पंचायत सीईओ ऋतुराज सिंह भी चिल्ड्रन होम का निरीक्षण करने पहुंचे। एसपी प्रमोद कुमार सिन्हा ने बताया कि प्राथमिक जांच और पूछताछ में ये सामने आया कि जिन 26 बच्चियों के लापता होने की बात की जा रही है। वे रजिस्ट्रेशन के बाद मन नहीं लगने से अपने परिवार के पास चली गईं, जिसका सत्यापन करा रहे हैं। एसपी ने ये भी बताया कि अब तक की जांच में बच्चियों के साथ किसी प्रकार के यौन उत्पीड़न और मारपीट संबंधी बात सामने नहीं आई है।
3 सस्पेंड, 2 से मांगा जवाब
मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग, परियोजना अधिकारी कोमल उपाध्याय और सुपरवाइजर मंजूषा राज को निलंबित कर दिया गया है। वहीं, महिला एवं बाल विकास विभाग गंजबासौदा के परियोजना अधिकारी बृजेंद्र प्रताप सिंह को भी सस्पेंड किया है। वे पूर्व में भोपाल में पदस्थ थे।
वहीं, भोपाल संभाग आयुक्त पवन कुमार शर्मा ने जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनील कुमार सोलंकी और सहायक संचालक समेकित बाल संरक्षण योजना रामगोपाल यादव को शोकॉज नोटिस जारी कर 3 दिन में जवाब मांगा है।
सीडब्ल्यूसी के सामने नहीं किया पेश
राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि मध्यप्रदेश सरकार ने एक एनजीओ को चाइल्ड हेल्पलाइन पर आने वाली शिकायतों को सुनने और मुश्किल में फंसे बच्चों को रेस्क्यू करने का काम सौंप रखा है।
प्रियंक कानूनगो का कहना है कि इस संस्था ने बच्चों को भोपाल की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के सामने पेश करने के बजाय सीधे हॉस्टल में रखा। नियमानुसार सीडब्ल्यूसी के सामने पेश कर बालिका गृह में भेजा जाना था।