सरकार बदल गई, काम कब शुरू होगा, योजनाओं पर काम अटका; सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही चिरंजीवी योजना

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BP Shrivastava
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सरकार बदल गई, काम कब शुरू होगा, योजनाओं पर काम अटका; सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही चिरंजीवी योजना

मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान में सत्ता परिवर्तन हुए आज 18 दिन हो चुके हैं, लेकिन मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने के कारण कोई भी काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। पिछली सरकार की योजनाओं को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है और सबसे ज्यादा प्रभावित पिछली सरकार की आरजीएचएस और चिरंजीव योजनाएं हो रही हैं। लोगों के स्वास्थ्य से सीधे तौर पर जुड़ी इन योजनाओं का भविष्य क्या होगा? इसे लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है और निजी अस्पताल अपना पैसा अटकने के डर से चिरंजीव योजना के तहत लोगों का इलाज नहीं कर रहे हैं। लोगों को या तो अपनी जेब से पैसा खर्च करके इलाज करवाना कब पड़ रहा है या सरकारी अस्पतालों के धक्के खाने पड़ रहे हैं।

सीएम, डिप्टी सीएम बने पर मंत्रिमंडल का इंतजार

राजस्थान में विधानसभा चुनाव की मतगणना 3 दिसंबर को हुई थी और इसी दिन सरकार बदल गई थी। इसके बाद 15 दिसंबर को नई सरकार के मुख्यमंत्री और दो उपमुख्यमंत्रियों ने शपथ भी ले ली, लेकिन आज छह दिन बीतने के बाद भी सरकार के मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है। इस काम में अभी भी तीन-चार दिन का समय लग सकता है। मंत्रिमंडल का गठन नहीं होने के कारण सरकार का काम गति नहीं पकड़ पा रहा है। हर विभाग में ज्यादातर फाइलें मंत्री स्तर तक जाती हैं और वहीं पर निर्णय होते हैं, लेकिन मंत्री ही नहीं है तो फाइल्स आगे बढ़ ही नहीं पा रही हैं। अधिकारियों से बात की जाए तो वही कहते हैं कि जब तक मंत्री ना हो तब तक कोई भी नीतिगत निर्णय संभव नहीं है। ऐसे में हम सिर्फ रूटीन की फाइलें ही निपटा रहे हैं।

अधिकारियों को तबादलों का डर

सरकार बदलने पर आमतौर पर अधिकारियों के भी तबादले होते हैं। हालांकि सरकार ने दो-तीन को छोड़ कर अभी तक किसी भी अधिकारी का तबादला नहीं किया है, लेकिन मंत्रिमंडल के गठन के बाद अधिकारियों के तबादले होना निश्चित है। ऐसे में अधिकारी भी किसी फाइल को आगे नहीं बढ़ा रहे हैं और बहुत जरूरी रूटीन का काम ही निपटा रहे हैं। 

सत्ता परिवर्तन के कारण है असमंजस

योजनाओं को लेकर असमंजस, इस वजह से है कि राजस्थान में पहले कांग्रेस की सरकार थी और अब भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ गई है। राजस्थान में चूंकि पिछले 20 साल से लगातार सरकारी बदलती रही है और यही देखा गया है कि जो भी नई सरकार आती है। वह आमतौर पर पिछली सरकार की योजनाओं को या तो बंद कर देती है या उनमें कुछ परिवर्तन कर देती है। यही कारण है की योजनाओं को लेकर इतना असमंजस बना हुआ है।

 हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभा में कहा था कि जनहित की किसी भी योजना को हम बंद नहीं करेंगे, बल्कि उसे बेहतर ढंग से लागू करने की कोशिश करेंगे, लेकिन अब वह कौन सी योजनाएं होंगी जिन्हें जारी रखा जाएगा या उनमें क्या बदलाव होंगे यह अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है और इसी के चलते योजनाओं को लेकर के असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

सबसे ज्यादा प्रभावित आरजीएचएस और चिरंजीव

सरकार के काम की गति नहीं पकड़ने के कारण राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम और चिरंजीव स्वास्थ्य बीमा योजना प्रभावित होती दिख रही है। यह दोनों योजनाएं निजी अस्पतालों और दवा विक्रेताओं के भरोसे चल रही थीं। अब सरकार बदल गई है, इसलिए दवा विक्रेताओं और निजी अस्पतालों को योजना बंद होने या इसमें बदलाव होने का डर सता रहा है।

निजी अस्पातल टरका रहे मरीजों को

मरीज निजी अस्पताल में पहुंच रहे हैं और चिरंजीवी योजना के तहत यदि इलाज चाहते हैं तो या तो उन्हें सीधे मना कर दिया जाता है या फिर कोई बहाना बनाकर टरका दिया जाता है। यही नहीं सरकारी अस्पतालों में भी मरीजों को ना तो दवा पूरी मिल पा रही है और ना ही पूरा इलाज मिल रहा है।

मरीजों के परिजनों की यह परेशानी

जयपुर के मानसरोवर में रहने वाले कृष्ण ने बताया कि उनके बच्चे का एक छोटा ऑपरेशन होना था इसके लिए वह यही के निजी अस्पताल में गए और चिरंजीवी में इलाज करने की बात कही तो अस्पताल ने इलाज करने से मना कर दिया और उन्हें सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन करवाना पड़ा। वहीं टोंक के रहने वाले अरुण शर्मा अपनी बहन को लेकर उपचार के लिए जयपुर के एक निजी अस्पताल पहुंचे लेकिन वहां उन्हें चिरंजीवी योजना में उपचार देने से मना कर दिया गया। बाद में उन्हें अपने पिता को दूसरे अस्पताल में ले जाना पड़ा।

भुगतान की व्यवस्था पहले ही गड़बड़ाई हुई है, आगे पैसा अटका तो...

इस बारे में निजी अस्पताल संचालक ऑन रिकॉर्ड बात नहीं कर रहे हैं, लेकिन आपसी बातचीत में बताते हैं कि सरकार बदलने के बाद इन योजनाओं को लेकर किस तरह की व्यवस्था रहेगी, इसे लेकर अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है। पहले ही सरकार में भुगतान की व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। आगे फिर पैसा अटक जाएगा तो क्या करेंगे।

कांग्रेस ने बीजेपी सरकार पर साधा निशाना

इस मामले को लेकर कांग्रेस भी बीजेपी पर हमलावर है। पार्टी के प्रदेश महासचिव आरसी चौधरी का कहना है कि सरकार मंत्रिमंडल बनाने में इतना समय लग रही है, लेकिन इसके चलते जनता को परेशान होना पड़ रहा है। सरकार को हमारी पिछली सरकार की योजनाओं को जारी रखना चाहिए और इस बारे में अस्पतालों को निर्देश देने चाहिए ताकि जनता को परेशान ना होना पड़े।

कांग्रेस ने भी सरकार बनाने में लगा दिए थे 17 दिन

राजस्थान में 2018 में कांग्रेस ने भी सरकार बनाने में 17 दिन लगा दिए थे। दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव का परिणाम 11 दिसंबर को आया था और 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शपथ ली थी। इसके बाद 24 दिसंबर को मंत्रियों को शपथ दिलाई गई थी और 27 दिसंबर को उन्हें विभागों का आवंटन किया गया था। इसके बाद ही सरकार का कामकाज शुरू हो पाया था। हालांकि महत्वपूर्ण बात यह है कि उसे समय कांग्रेस में सरकार के गठन को लेकर खींचतान की स्थिति बहुत ज्यादा थी। पहले तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इसी को लेकर लड़ाई थी।

सीएम का नाम तय होने को लेकर चली थी गहलोत-पायलट में खींचतान

मुख्यमंत्री का नाम तय होने के बाद मंत्रियों को लेकर गहलोत और पायलट गुट के बीच खींचतान चली थी और दोनों नेताओं को दिल्ली जाना पड़ा था और इसके बाद विभागों के बंटवारे को लेकर भी दिल्ली में ही काम हुआ था। जयपुर में सहमति नहीं बन पाई थी। मौजूदा बीजेपी सरकार में इस तरह की खींचतान नहीं है, लेकिन इसके बावजूद 18 दिन हो चुके हैं और अभी तक मंत्रिमंडल का गठन नहीं हो पाया है।

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