संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में श्री बेलेशवर महादेव झूलेलाल मंदिर में रामनवमी के दिन 30 मार्च को हुए बावड़ी हादसे में भले ही 36 लोगों की जान चल गई, लेकिन सरकार और निगम के पास इसका जवाब ही नहीं है। हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार और नगर निगम दोनों ने ही जवाब देने के लिए समय मांग लिया, जबकि हाईकोर्ट पहले ही इन्हें चार सप्ताह का समय दे चुकी थी। उधर जिला प्रशासन की मजिस्ट्रियल जांच जिसके लिए 15 दिन का समय तय हुआ, था वह 60 दिन में भी दाखिल नहीं हो सकी है। अब इस मामले मे सुनवाई हाईकोर्ट के समर वैकेशन खत्म होने के बाद जून अंत तक ही संभव होगी।
मंदिर ट्रस्ट को नोटिस ही तामील नहीं हुआ, फिर से जाएगा
इस मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर मंदिर ट्रस्ट को भी पार्टी बनाया गया था, उनसे भी जवाब मांगा गया और नोटिस भिजवाया गया लेकिन नोटिस वाले पते पर कुछ नहीं मिला और नोटिस लौट आया। अब एक बार फिर नोटिस तामील कराने के लिए हाईकोर्ट इंदौर डबल बेंच ने निर्देश दिए हैं।
यह खबर भी पढ़ें
अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं, भले ही केस कर लिया है
पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने अधिवक्ता मनोहर दलाल एवं अधिवक्ता लोकेन्द्र जोशी के माध्यम से यह याचिका लगाई है। इसमें मंदिर जांच के पहले ही तोड़ देने को लेकर भी कहा गया है कि सबूत मिटाने के लिए यह मंदिर घटना के बाद जानबूझकर तोड़ दिया गया। याचिकाकर्ता का कहना है कि जब मजिस्ट्रियल जांच दो अप्रैल से शुरू हो गई थी तब पांच अप्रैल को मंदिर तोड़ने और बावड़ी को पूरी तरह भर देने का उद्देश्य जांच के सबूत ही नष्ट करना था। मंदिर के ट्रस्ट और सचिव पर भी भले ही गैर इरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया हो लेकिन इस मामले में पुलिस ने अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं ली है।