Jaipur. राजस्थान में सरकार से बर्खास्त मंत्री राजेंद्र गुढ़ा की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। एक तरफ वे सरकार को लाल डायरी का डर दिखाकर नींद हराम कर रहे हैं तो सरकार भी उनके तमाम मामलों का डर उन्हें दिखाने से गुरेज नहीं कर रही। ताजा मामला बीते साल जयपुर के गोविंदगढ़ में एक एनआरआई डॉक्टर के अस्पताल पर बलात् कब्जे का है। इस मामले में राजेंद्र गुढ़ा के पीए और पीए के साले के साथ-साथ जयपुर के एक बिल्डर को गिरफ्तार कर चुकी है। दूसरी तरफ कहा यह भी जा रहा है कि इस मामले में पूरा हाथ राजेंद्र गुढ़ा का ही था।
सीआईडी को भेजी गई फाइल
राजेंद्र गुढ़ा का नाम मामले में सामने आने के बाद पुलिस ने केस डायरी सीआईडी को भेजी है। आईजी जयपुर रेंज के यहां से फाइल कुछ दिन पहले ही सीआईडी पहुंची है। जस्ट गुढ़ा को बर्खास्त किए जाने से कुछ दिन पहले ही। दरअसल जांच अधिकारी की टिप्पणी के बाद केस डायरी को आईजी कार्यालय भेजा गया था, जहां से इसे सीआईडी पहुंचा दिया गया।
यह था मामला
दरअसल गोविंदगढ़ के बलेखन गांव में बीएल मील अस्पताल है। यह अस्पताल अफ्रीका में निवासरत डॉ बनवारी लाल मील का है। उन्होंने अस्पताल की पावर ऑफ अटॉर्नी मानसरोवर में रहने वाले निर्मल कुमार को दी थी। बीते साल अगस्त 2022 को अचानक दो दर्जन से ज्यादा हथियारबंद लोग अस्पताल पहुंचे और कब्जा करने लगे। सूचना पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से तोड़फोड़ और गुंडागर्दी मचा रहे 14 लोगों को गिरफ्तार किया था। जांच के बाद गुढ़ा के पीए दीपेंद्र सिंह के साले अभय सिंह का नाम सामने आया। पुलिस ने इस मामले में निर्मल, अभय सिंह और गुढ़ा के पीए दीपेंद्र सिंह को गिरफ्तार भी किया था।
जांच में सामने आया गुढ़ा का नाम
पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि इस सब के पीछे राजेंद्र गुढ़ा का ही हाथ था। उन्होंने ही लठैतों को अस्पताल पर बलात कब्जा करने भेजा था। हालांकि साल भर चली जांच के बाद गुढ़ा का नाम तब ही सामने क्यों आया है, जब उन्हें सरकार से बर्खास्त किया जा चुका है। इस पर सवाल उठ रहे हैं।