भोपाल में बरसते बादलों के बीच अतिथि विद्वानों ने तेज की नियमितिकरण की मांग, कहा शिवराज अपना वादा निभाएं

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Jitendra Shrivastava
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भोपाल में बरसते बादलों के बीच अतिथि विद्वानों ने तेज की नियमितिकरण की मांग, कहा शिवराज अपना वादा निभाएं

रुचि वर्मा, BHOPAL. मध्य प्रदेश में विधासभा चुनाव नज़दीक हैं और चुनाव से एन पहले एक बार फिर मध्य प्रदेश में महाविद्यालयीन अतिथि विद्वानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शुक्रवार को राजधानी भोपाल के नीलम पार्क में अतिथि विद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा ने धरना-प्रदर्शन किया और अपने नियमितीकरण की मांग रखी। अतिथि विद्वानों का कहना है कि वे विगत 20-25 वर्षो से प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पदों पर  सेवा दे रहे है, लेकिन उन्हें नियमित नही किया गया। प्रदर्शन करते हुए अतिथि विद्वानों ने आरोप लगाया कि सरकार की गलत नीतियों के कारण फालेंन आउट अतिथि विद्वानों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। बता दें कि राज्य भर में अतिथि विद्वानों की कुल संख्या 4800 के करीब है। और हाल ही में करीब 450 अतिथि विद्वानों को फालेन आउट कर दिया गया है। 





शिवराज अपना वादा निभाएं 





अतिथि विद्वानों ने 16 दिसंबर 2019 के चर्चित आंदोलन की बात करते हुए कहा कि  मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी अपना वादा भूल गए है।  2019 में विपक्ष में रहते हुए शिवराज सिंह चौहान जी ने आंदोलन में खुद शिरकत करते हुए कहा था कि हमारी सरकार बनते ही भाजपा अतिथि विद्वानों को नियमित करेगी। उनका कहना है कि अतिथि विद्वानों के नाम पर खूब सियासत हुई,  मुद्दे पर सरकारें बनी और बिगड़ी, लेकिन अतिथि विद्वानों का  भविष्य सुरक्षित नहीं हुआ। 





बीजेपी की सरकार बनते ही मामला ठंडे बस्ते में चला गया





दरअसल, 15 माह के अल्प कार्यकाल में कमलनाथ ने जीतू पटवारी के नेतृत्व में अतिथि विद्वानों के नियमितिकरण की नोट शीट तैयार की थी प्रक्रिया भी शुरू हो गई थी। लेकिन तभी अतिथि विद्वानों के मामले को ही मुद्दा बनाते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए और कांग्रेस सरकार गिर गई। इसके बाद भाजपा की सरकार बनी, लेकिन सरकार बनते ही अतिथि विद्वानों का मामला ठन्डे बस्ते में चला गया। इसी को लेकर प्रदेशभर के अतिथि विद्वान काफी आक्रोशित हैं।





अतिथि विद्वानों के पास लंबा अनुभव





अतिथि विद्वानों का कहना है कि उनके पास 26 सालों का लंबा अनुभव है। इसके साथ ही UGC की योग्यता भी पूरी करते हैं, उसके बाद भी अतिथि विद्वानों को नियमित नहीं किया गया जो कि समझ से परे है। प्रवेश परीक्षा, प्रबंधन, अध्यापन, मूल्यांकन, नैक, रुसा आदि समस्त कार्य अतिथि विद्वान ही करते हैं, फिर भी शासन-प्रशासन अतिथि विद्वानों को नजरअंदाज करता है जो कि बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।





14 से 15 लाख युवाओं का नेतृत्व अतिथियों के हाथ





अतिथि विद्वानों ने दवा किया कि वो करीब 14 से 15 लाख युवा स्टूडेंट्स का नेतृत्व करते हैं हैं, इसलिए उन्हें सरकार हल्के में ना ले। सरकार अगर वादाखिलाफी करती है तो आगामी समय में पूरे प्रदेश में व्यापक रूप से प्रदर्शन किया जाएगा।



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