ज्ञानवापी परिसर का बिना खुदाई और एक भी ईंट निकाले कैसे हो रहा सर्वे ? एएसआई के डायरेक्टर ने बताया तरीका

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The Sootr CG
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ज्ञानवापी परिसर का बिना खुदाई और एक भी ईंट निकाले कैसे हो रहा सर्वे ? एएसआई के डायरेक्टर ने बताया तरीका

VARANASI. ज्ञानवापी मामले में हिंदू पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से मना कर दिया, जिसमें एएसआई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में वैज्ञानिक तरीके से सर्वे करने की अनुमति दी गई थी। वहीं, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यह अतीत के जख्मों को फिर से हरा कर देगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि एएसआई सर्वे के दौरान मस्जिद को न तो छुआ जाएगा और न ही उसकी खुदाई की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई के डायरेक्टर को जीपीआर (ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार) सर्वे, उत्खनन, डेटिंग पद्धति और वर्तमान संरचना की आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके एक बड़े फैमाने पर वैज्ञानिक जांच करने का निर्देश दिया है। बता दें कि शुक्रवार 4 अगस्त को सर्वे का पहला दिन था, ज्ञानवापी परिसर में 6 घंटे तक सर्वे की प्रक्रिया चली।





जीपीआर सर्वे क्या होता है?





एएसआई को ज्ञानवापी परिसर का जीपीआर सर्वे करने के आदेश दिए गए हैं। दरअसल, जीपीआर यानी ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार एक ऐसी तकनीक है, जिसमें उपकरण के जरिए 8 से 10 मीटर तक की वस्तुओं का पता लगा सकता है। इस तकनीक के तहत किसी भी संरचना के नीचे कंक्रीट, धातु, पाइप, केबल या किसी अन्य वस्तु की पहचान की जा सकती है। एक्सपर्ट के मुताबिक इस तकनीक के जरिए इलेक्ट्रोमैग्नेट रेडिएशन की मदद से सिग्नल मिलते हैं। इसके जरिए यह पता लगाना काफी आसान हो जाता है कि जमीन के नीचे किस प्रकार और आकार की वस्तु या संरचना है। जीपीआर के प्राथमिक नतीजे शुरुआत में आएंगे, लेकिन पूरा सर्वेक्षण होने में 7 से 8 दिन लग सकते हैं।







मौजूदा संरचनाओं को नहीं पहुंचाया जाएगा नुकसान 





सुप्रीम कोर्ट में एएसआई के निदेशक ने कहा कि एएसआई सर्वे के दौरान दस्तावेज़ीकरण, फ़ोटोग्राफ़ी, विस्तृत विवरण, जीपीआर सर्वे करेगा। जीपीआर सर्वे के दौरान मौजूदा संरचनाओं को किसी भी प्रकार से नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। उन्होंने कहा कि संरचनाओं की बड़े फैमाने पर वैज्ञानिक जांच की जाएगी। सर्वे और अध्ययन करते समय किसी तरह की ड्रिलिंग नहीं की जाएगी, न ही मौजूदा ढांचे से ईंट या पत्थर नहीं हटाया जाएगा। परिसर में कोई कटाई नहीं की जाएगी और संरचना को बिल्कुल भी प्रभावित नहीं किया जाएगा। कोई भी दीवार/संरचना क्षतिग्रस्त नहीं होगी। संपूर्ण सर्वेक्षण गैर-विनाशकारी पद्धति से किया जाएगा। इस सर्वे में जीपीआर और अन्य वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग किया जाएगा।





कैसे काम करता है जीपीआर ?





जीपीआर नॉन-डिस्ट्रक्टिव जियोग्राफिकल विधि है। इसके जरिए जमीन की सतह के नीचे किसी चीज़ की तस्वीर बनाने के लिए रडार का इस्तेमाल किया जाता है। इस तकनीक से पुरातत्व विभाव को ऐतिहासिक स्थलों की खोज करने में मदद मिलती है। जीपीआर एक ट्रांसमिटिंग एंटीना का उपयोग करके जमीन में इलेक्ट्रो-मैग्नेट एनर्जी पैदा करता है। यह जमीन के अंदर जाती है और विद्युत पारगम्यता (Electrical Permeability) के आधार पर भूमिगत संरचना के बारे में जानकारी उपलब्ध कराती है। इसके बाद एक एंटीना जमीन से मिलने वाले सिग्नल में भिन्नता को रिकॉर्ड करता है। जीपीआर माइक्रोवेव रेंज में इलेक्ट्रो-मैग्नेट स्पेक्ट्रम का उपयोग करके उपसतह की छवियां प्रदान करता है।





6 घंटे चली पहले दिन की सर्वे



 



इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में शुक्रवार 4 अगस्त को एएसआई सर्वे की कार्यवाही करीब 6 घंटे तक चली। सुबह 8 बजे से 11:30 बजे तक सर्वे हुआ। फिर जुमे की नमाज की वजह से 3 घंटे तक सर्वे का काम दोपहर ढाई बजे रोकना पड़ा। नमाज के बाद टीम की ओर से ढाई बजे के बाद ज्ञानवापी मस्जिद में एएसआई सर्वे शुरू हुआ। कार्यवाही के दौरान पेपर वर्क के साथ ज्ञानवापी की पश्चिमी दीवार की फोटोग्राफी भी की गई। सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष में खुशी का माहौल था। क्योंकि सर्वे को न केवल सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दे दी, बल्कि वाराणसी के जिला जज के अदालत ने भी एएसआई सर्वे की समय बढ़ाकर 4 हफ्ते कर दी है। अब शनिवार को एक बार फिर सर्वे की कार्यवाही सुबह 9 बजे से शुरू होगी।



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