संजय गुप्ता, INDORE. श्री बेलेशवर महादेव झूलेलाल मंदिर में 30 मार्च 2023 को हुए बावड़ी हादसे में 36 की मौत और 18 घायलों को लेकर लगी याचिका पर हाईकोर्ट डबल बेंच का आदेश शुक्रवार को आ गया। आदेश में इस घटना को दुखद बताने के साथ ही जुलाई से अभी तक मजिस्ट्रियल रिपोर्ट का जनता के सामने नहीं आना दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया है। रिपोर्ट ना तो कहीं पेश की गई और ना जनता में उजागर की गई और तो और अभी तक ना किसी पर कोई विभागीय कार्यवाही हुई न कोई ट्रायल प्रारंभ हुआ। फैसले में है कि इसलिए यह कोर्ट इंदौर नगर निगम और पुलिस थाना जूनी इंदौर को डिप्टी पुलिस कमिश्नर जूनी इंदौर जोन की मॉनिटरिंग में जांच को घटना के 1 साल के पूरे होने के पूर्व (यानि 30 मार्च 2024 के पहले) सारी कार्रवाई, जांच पूरी करने के आदेश देती है।
इन जिम्मेदारों पर होना है कार्रवाई- ना विभागीय जांच के पते ना गिरफ्तारी के
मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट में मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सेवाराम गलानी, सचिव मुरली सबनानी के साथ ही भनव अधिकारी पीआर आरोलिया, भवन निरीक्षक प्रभात तिवारी, जोनल अधिकारी अतीक खान, जल यंत्रालय विभाग के अधिकारी ( जोन 18 के योगेश जोशी ) को दोषी माना गया था। नगर निगम ने मई 2023 में तिवारी और आरोलिया पर विभागीय जांच की चार्जशीट जारी की, लेकिन अभी तक विभागीय जांच पूरी नहीं कर सका है। वहीं जांच के दौरान ही स्टॉफ की कमी बताते हुए तिवारी को फिर से बहाल भी कर दिया और एक नहीं बल्कि एक तरह से पदोन्नत करते हुए दो जोन की जवाबदेही दे दी। वहीं पुलिस थाना जूनी इंदौर ने 31 मार्च को धारा 304 व 34 के तहत मंदिर ट्रस्ट के गलानी व सबनानी पर केस दर्ज करने के बाद भी एक बार भी उनसे पूछताछ तक नहीं की और ना कोई गिरफ्तारी ली। इस पर हाईकोर्ट पहले ही नाराजगी जाहिर कर चुका है।
मुआवजे के लिए खुद जा सकेंगे पीड़ित, कुएं और बावड़ी करें पुनर्जीवित
जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस अनिल वर्मा की बेंच ने कहा कि जहां तक पीड़ितों को 25 लाख रुपए के मुआवजा देने की बात है, इसके लिए पीड़ित पक्ष स्वयं उचित फोरम में मांग कर सकते हैं। अधिवक्ता मनीष यादव के कुएं, बावड़ियों को बंद करने को गलत बताने वाली बात और पुनर्जीवित करने के तर्क को स्वीकार करते हुए यह न्यायालय तत्काल प्रभाव से इंदौर नगर निगम को आदेशित करती है चूंकि शहर के कुवें बावड़िया ऐतिहासिक महत्व और सम्मान का विषय है। इनका निर्माण जल प्रबंधन और प्राकृतिक जल स्त्रोत के रूप में किया गया था जो शहर के सम्मान की बात है इन्हें पुनर्जीवित करना और इनका व्यापक रखरखाव करना आवश्यक है। अतः निगम को आदेशित किया जाता है इन कुवें बावड़ियों की सफाई मेंटनेंस का ध्यान रखते हुए इन्हें पुनर्जीवित किया जाए।
इन्होंने लगाई थी याचिका
पूर्व पार्षद महेश गर्ग कांग्रेस नेता प्रमोद द्विवेदी ने अधिवक्ता मनीष यादव और अधिवक्ता अदिती मनीष यादव के माध्यम से दो अलग अलग जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की थी। मामले में मृतक के परिजन को 25 लाख का मुआवजा देने, शहर की विभिन्न बावड़ियों और कुओं से तत्काल कब्जे हटाए जाने की और मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में गठित कमेटी से कराए जाने की मांग की गई थी। न्यायमूर्ति विवेक रूसिया और न्यायमूर्ति अनिल वर्मा की डबल बेंच ने 10 जनवरी को अंतिम सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था जिसे शुक्रवार को जारी किया गया।