फर्जी खाते से 165 करोड़ के लेनदेन का मामला, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन को दिए रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

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The Sootr CG
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फर्जी खाते से 165 करोड़ के लेनदेन का मामला, हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव अमिताभ जैन को दिए रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

BILASPUR. भिलाई के यस बैंक के एक फर्जी खाते से लगभग 165 करोड़ रुपए के लेनदेन के मामले में चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने प्रदेश के मुख्य सचिव अमिताभ जैन के जांच संबंधी शपथ पत्र पर सुनवाई की। मुख्य सचिव के शपथ पत्र में बताया गया कि कुछ दस्तावेज ऐसे हैं जिसे न्यायालय में अंतिम रूप से प्रस्तुत किया जा सकता है। किंतु सुनवाई के दौरान न्यायालय में कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए। कोर्ट ने 16 अक्टूबर तक जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए।



क्या है मामला



आपको बता दें कि याचिकाकर्ता प्रभुनाथ मिश्रा ने याचिका में बताया है कि यस बैंक में फर्जी खाते से करोड़ों रुपए का लेनदेन हो रहा था वह भी कर्मचारी के नाम पर। लिखित जानकारी देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई। एफआईआर दर्ज किए जाने के बावजूद शासन वर्षों से जांच करने की बजाय पीड़ित की प्रथम सूचना रिपोर्ट को ही खत्म करने पर तुला हुआ है। खाते से करोड़ों रुपए का लेनदेन विदेश से हुआ है। लाखों लाख रुपए नकद एक-एक बार में जमा किए गए हैं और निकल गए हैं।



फ्लाई एश डंपिंग में पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव को दिए निर्देश



वहीं एक अन्य मामले में फ्लाई एश डंपिंग में मनमानी को लेकर दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने पर्यावरण संरक्षण मंडल के सदस्य सचिव को शपथपत्र देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह बताने को कहा कि इस मुद्दे पर अब तक क्या कार्रवाई की। मामले में अगली सुनवाई 26 सितंबर को तय की गई है। दरअसल, न्यायमित्रों ने पिछली सुनवाई में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। रिपोर्ट में बताया गया कि राखड़ डंपिंग में मनमानी की जा रही है। इसे रोकने की जरूरत है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल से इस मुद्दे पर जवाब मांगा। बोर्ड की तरफ से बताया गया कि राखर डंप करने वाले ठेकेदारों की ओर से मनमानी की जा रही है। इस पर कोर्ट ने पूछा कि इस पर रोक लगाने के लिए पर्यावरण बोर्ड ने अबतक क्या कार्रवाई की। रायपुर के वरिष्ठ सामजिक कार्यकर्त्ता व किसान नेता वीरेन्द्र पाण्डेय ने जनहित याचिका दायर कर बताया है कि फ्लाई एश पाटने की अनुमति देने का अधिकार सिर्फ छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को है। उसके विपरीत यह अनुमति राजस्व अधिकारी (एसडीओ रेवेन्यू) दे रहे हैं। पर्यावरण सुरक्षा पर यह गंभीर खतरा है। हाईकोर्ट ने शासन से यह बताने को कहा कि ऐसा क्या दस्तावेज है, जिसके आधार पर इस तरह डम्पिंग की अनुमति दी जा रही है। 


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