संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफिया चंपू अजमेरा, नीलेश अजमेरा, हैप्पी धवन, पवन अजमेरा, चिराग शाह सहित सभी आरोपियों की तीन कॉलोनियों को लेकर चल रहा विवाद एक बार फिर हाईकोर्ट इंदौर में शुरू हो रहा है। हाईकोर्ट द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद भी 50 फीसदी पीड़ित अभी भी बाकी है जिनका निराकरण नहीं हो रहा है। अब हाईकोर्ट ने इन सभी आपत्तियों को लेकर सुनवाई करेगा। इसमें कॉलोनी के हिसाब से सुनवाई होगी, जिसमें पहले फिनिक्स डेवकान की हो रही है। इसके बाद सेटेलाइट और कालिंदी गोल्ड का नंबर आएगा।
50 केस लगे हैं सुनवाई में पीड़ितों ने भी लगाई आपत्तियां
हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए 31 जनवरी को 50 केस लिस्टेड हैं। इसमें पवन अजमेरा, सोनाली अजमेरा, नीलेश अजमेरा, रीतेश अजमेरा, योगिता अजमेरा, चिराग शाह के साथ ही अरुण मंडलवल, रजत बोहरा के केस है। वहीं साथ ही 20 से ज्यादा पीड़ित भी केस लगा रहे हैं। यह वह पीड़ित है जिन्हें रजिस्ट्री होन के बाद भी प्लाट नहीं मिला, कुछ लोग है जिनकी रसीद को कमेटी ने फर्जी बताया, जबकि इनके पास दस्तावेज है कि यह मूल रसीद थाने में जमा है। वहीं कुछ लोगों के पास आवंटन लेटर है लेकिन उन्हें भी प्लाट नहीं मिला है।
चंपू पल्ला झाड़ रहा, जबकि कंपनी में रहा है डायरेक्टर
फिनिक्स कॉलोनी के मामले में चंपू उर्फ रितेश अजमेरा अपना पल्ला झाड़ रहा है। जिला प्रशासन की रिपोर्ट उसका नाम कई जगह सामने आया है और कहा गया फिनिक्स के पूर्व डायरेक्टर रितेश अजमेरा की पत्नी योगिता द्वारा प्लाटों का कब्जा पीड़ितों दिया गया है। वहीं कई मामले में चंपू ने रसीदों को दूसरों की जिम्मेदारी बताकर पल्ला झाड़ा है। वहीं हाईकोर्ट कमेटी के सामने भी चंपू अजमेरा ने इन मामलों को चिराग शाह से जुड़ा बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया है। इसी विवाद में प्रदीप अग्रवाल की भी जमीन का केस है, जिन्हें लेकर भी विवाद है।
2021 नवंबर से जमानत के मजे ले रहे भूमाफिया
नवंबर 2021 में जेल में बंद भूमाफियाओं को सीधे सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली और शर्त थी की पीड़ितों का निराकरण करेंगे। सभी जेल से बाहर आए। प्रशासन ने कमेटी लेकर सुनवाई शुरू की, भूमाफियाओं ने उस समय खूब वादे कर दिए, चेक भी जमा करा दिए, लेकिन जैसे ही मार्च 2022 में प्रशासन की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में पेश हुई, इसके बाद इन्होंने असली रंग दिखा दिए। कुछ चेक तो बाउंस भी हो गए। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फिर मामला हाईकोर्ट इंदौर को इस आधार पर भेज दिया कि वह मॉनीटरिंग करेंगे। जरूरत हुई तो रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमेटी बनाएंगे, सभी को सुना जाएगा, जरूरत हुई तो वह जमानत भी निरस्त कर सकेंगे। हाईकोर्ट में फरवरी 2023 में जब रिपोर्ट पेश हुई तो सामने आया कि 40 फीसदी भी निराकरण असल में भूमाफियाओं ने किए ही नहीं और प्रशासन की कमेटी को भी धता बता दिया, नोटिसों के जवाब तक नहीं दिए। इसके बाद मई में हाईकोर्ट ने रिटायर जज ईश्वर सिंह की अधय्क्षता में कमेटी गठित कर दी। इसकी रिपोर्ट पेश हुई, इसमें भी 50 फीसदी केस निराकृत नहीं हो सके। कई मामलो में विधिक विवाद होने के चलते हाईकोर्ट को ही विचार करने का बोल दिया। जिन्हें रसीद है या जहां प्लाट नहीं दे सकते वहां राशि 12 फीसदी ब्याज से लौटाने के भूमाफियाओं को आदेश दिए। लेकिन कोई ठोस हल नहीं निकला। इसके बाद अब फिर हाईकोर्ट इन केस को कॉलोनी के हिसाब से एक-एक टेकअप करने जा रहा है।