संजय गुप्ता, INDORE. मप्र लोक सेवा आयोग की राज्य सेवा परीक्षा 2019 को लेकर फिर गुत्थी उलझ गई है। जबलपुर हाईकोर्ट ने इसे लेकर लगी दो दर्जन से ज्यादा याचिकाओं में आए सवालों पर सभी तर्कों को सुनने के बाद इन्हें आंशिक तौर पर मंजूर किया है। इसमें मप्र लोक सेवा आयोग (पीएससी) को निर्देश दिए गए हैं कि वह इसकी पहली मैंस के रिजल्ट और बाद में हुई स्पेशल मैंस के रिजल्ट को मिलाकर नार्मलजाईशन करे। यानि की पहली मैंस में पास हुए 1918 के साथ स्पेशल मैंस में बैठे 2712 उम्मीदवारों के रिजल्ट को मिलाकर उनका नार्मलाइजेशन किया जाए यानी रिजल्ट जारी हो। अभी मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा स्पेशल मैंस के बाद नए सिरे से 87-13 फीसदी के फार्मूले में रिजल्ट जारी कर 1983 पात्र उम्मीदवारों की सूची जारी कर नौ अगस्त से इंटरव्यू प्रक्रिया शुरू की हुई है। इस आदेश के बाद अब इस पर रोक लगने की संभावना बन गई है। हालांकि, आयोग के प्रवक्त डॉ. रविंद्र पंचभाई ने कहा कि अभी जो आदेश आया है, उसे आयोग के विधि विशेषज्ञ समझ रहे हैं और उनकी विधिक सलाह के बाद ही कुछ कह सकेंगे।
हाईकोर्ट ने 29 नवंबर के आदेश को फॉलो करने के लिए कहा
हाईकोर्ट ने 29 नवंबर 2022 के हाईकोर्ट जबलपुर के कोआर्डिनेट बेंच के दिए फैसले को ही मानने के लिए कहा है। साथ ही तीखी टिप्पणी की है कि जब बेंच ने साफ कहा था कि पहली मैंस में 1918 उम्मीदवार जो पास होकर इंटरव्यू के लिए पात्र हुए हैं तो उन्हें उनके अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। ऐसे में आयोग ने इस सूची में भी आदेश के परे जाकर प्रक्रिया की है। यह नहीं करना था। उधर हाईकोर्ट द्वारा नार्मलाइजेश के प्रक्रिया बार-बार आयोग से पूछी जिस पर आयोग ने गोपनीयता के बात कहते हुए बताने से इंकार कर दिया और केवल बंद लिफाफे में फार्मूला लिख कर दिया। इस पर भी हाईकोर्ट ने कहा कि जब उन्होंने यह प्रक्रिया ही हमें नहीं बताई तो इस पर हम कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है।
अब आगे क्या संभावना बन रही है
याचिकाकर्ताओं को जितनी राहत की उम्मीद थी वह नहीं मिली, लेकिन अभी भी कुछ याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर है, ऐसे में अभी भी कानूनी स्थिति अभी बुरी तरह सुलझी नहीं है। जब आयोग ने 1918 को पात्र घोषित किया था तब 87-13 का फार्मूला भी नहीं था। अब दोनों की सूची मर्ज करके आयोग नया रिजल्ट निकालता है या फिर अपील में जाता है, यह स्थिति कुछ दिन बाद ही क्लियर होगी, जब विधि विशेषज्ञ राय देंगे। हालांकि, अभी जो इंटरव्यू चल रहे हैं उसके रुकने की संभावना नहीं है, क्योंकि आयोग की किसी भी प्रक्रिया पर हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट से कोई स्टे नहीं है। वहीं स्पेशल मैंस में पास हुए 200 से ज्यादा उम्मीदवारों को लेकर भी स्थिति अब उलझ गई है। नए सिरे से रिजल्ट बना तो देखना होगा कि वह अब पात्रता की सूची मे आते हैं या नहीं।
इधर मध्य प्रदेश लोकसभा आयोग ने राज्य सेवा परीक्षा 2022 मेंस का टाइम टेबल भी घोषित कर दिया है जो 30 अक्टूबर से लेकर 4 नवंबर तक होगी।
क्या बोल रहे हैं याचिकाकर्ता के वकील
याचिकाकर्तओं के वकील अंशुल तिवारी ने कहा कि हाईकोर्ट ने आंशिक तौर पर याचिकाओं के बिंदु मान्य कर निर्देश दिए हैं कि पहली मैंस और स्पेशल मैंस के रिजल्ट को मिलाकर नार्मलाइजेशन किया जाए। नार्मलाइजेशन कैसे हुआ इसकी जानकारी आयोग ने दी ही नहीं, इसलिए इस पर विचार नहीं हुआ। अब आयोग को इस आदेश के अनुसार आगे की प्रक्रिया करना चाहिए।
लंबी कहानी है 2019 की
पीएससी की 571 पदों के लिए प्री परीक्षा जनवरी 2020 में हुई थी और रिजल्ट दिसंबर 2020 में जारी हुआ। इसके बाद मार्च 2021 में मैंस हुई। इसमें 10767 उम्मीदवार बैठे औऱ् 1918 उम्मीदवार इंटरव्यू के लिए पात्र घोषित हुए। इसी बीच परीक्षा नियमों को लेकर लगी याचिका पर साल 2022 में फैसला आया और परीक्षा नियम संशोधन को गलत बताया गया, जो कैटेगरी वाइज आरक्षण के आधार पर बना था। बाद में परीक्षा नियम संशोधन को दरकिनार कर रिजल्ट बना, इसी बीच 87-13 फीसदी का फार्मूला बनाकर पीएससी ने नए सिरे से प्री का रिजल्ट बनाया और फिर से मैंस कराने का फैसला लिया। इसके खिलाफ पहले पास हो चुके 1918 उम्मीदवारों ने याचिका लगाई और कहा कि हम पास हो चुके है तो फिर मैंस क्यों देंगे। इस पर नवंबर 2022 में फैसला आया और हाईकोर्ट ने इस मांग को सही बताते हुए पीएससी के फिर से कॉमन मैंस कराने के फैसले को खारिज कर नए सिरे से पात्र घोषित उम्मीदवारों की स्पेशल मैंस कराने के लिए कहा जो अप्रैल 2023 में हुई। इस मैंस के बाद फिर पीएससी ने कॉमन रिजल्ट घोषित किया जिसमें से उन्होंने कई उम्मीदवारों को जो पहले मैंस दे चुके थे और इटंरव्यू तक के लिए क्वालीफाई हो चुके थे उन्हें नए फार्मूले के आधार पर प्री स्तर से ही बाहर कर दिया। इसके बाद फिर नए सिरे से याचिकाएं लगी, उधर दो मैंस को लेकर भी कई उम्मीदवारों ने याचिकाएं लगा रखी है। साथ ही कुछ एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में भी दायर हो चुकी है। इसके चलते साल 2029 की पीएससी को लेकर अभी भी रुकावटें जारी हैं।
याचिका कर्ता के वकील अंशुल तिवारी ने जैसा "द सूत्र" को बताया
उच्च न्यायालय द्वारा आदेश दिनांक 23/08/2023 में पूर्व में दिए गए आदेश दिनांक 29/11/2022 को उचित तरीके से लागू करने के लिए कहा गया है। उक्त आदेश में उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 1918 अभ्यर्थियों के साथ 2712 अभ्यर्थी जिन लोगों ने विशेष मुख्य परीक्षा में भाग लिया था उनमें से जो सफल अभ्यर्थियों द्वारा विशेष मुख्य परीक्षा पास की है उनको जोड़ कर और उसके बाद उन सभी अभ्यर्थियों को नॉर्मलिजेशन करके एक नई मुख्य परीक्षा वाली सूची जारी करने के आदेश दिए हैं। उदाहरण के तौर पर पुरानी मुख्य परीक्षा कि सूची में चयन हुए 1918 अभ्यर्थी + विशेष मुख्य परीक्षा में सफल रहे अभ्यर्थी। इसके बाद इन सभी अभ्यर्थियों का एक साथ नॉर्मलिजेशन करके एक नयी साक्षात्कार के लिए सूची बनाई जाएगी। परंतु आयोग द्वारा मनु सक्सेना वाले आदेश दिनांक 29/11/2022 का सही तरीके से पालन नहीं किया हुआ था जिस वजह से 1918 में से कई अभ्यर्थी नॉर्मलिजेशन से पहले ही बाहर हो गए थे। आदेश दिनांक 23/08/2023 में आयोग को उक्त आदेश व प्रक्रिया का सही ढंग से पालन करने के लिए आदेश दिया गया है। परंतु विवादास्पद तथ्य यह है की 2712 अभ्यर्थियों में से किस प्रक्रिया का पालन करके सफल अभ्यर्थियों को सूची बनाई जाएगी ? जिन अभ्यर्थियों ने हाल में जारी साक्षात्कार में भाग ले लिया है क्या इस चरण पे उन अभ्यर्थियों को बाहर कर देना कितना सही है और क्या इस आदेश के बाद नई सूची जारी होने के बाद बाहर हुए अभ्यर्थी न्यायालय के समक्ष नहीं जाएँगे ? मेरे विचार में माननीय न्यायालय के आदेश की अपील आयोग या फिर जो अभ्यर्थी बाहर होंगे उनके द्वारा की जा सकती है।