जितेंद्र सिंह, GWALIOR. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ ग्वालियर ने भी माना कि नगर निगम ग्वालियर शहर का विकास करने के बजाय जनता को बेवकूफ बना रहा है। न्यायालय ने सिर्फ एक सड़क बनाने पर करोड़ों रुपया खर्च करने को लेकर सवाल भी खड़े किए। हाईकोर्ट की युगलपीठ शहर के कचरा प्रबंधन को लेकर लगी जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने नगर निगम को दो सप्ताह का समय दिया है, जिसमें निगायुक्त को शपथ पत्र देकर बताना है कि केदारपुर स्थित लैंडफिल साइट चालू हो गई है। शहर का कचरे का निष्पादन का कार्य प्रारंभ कर दिया गया है।
निगमायुक्त को दो सप्ताह का समय दिया
सरताज तोमर ने जनहित याचिका दायर कर न्यायालय को बताया कि 2019 तक केदारपुर में लैंडफिल साइट तैयार करनी थी। पर अभी तक उसका काम पूरा नहीं हो सकता है। केदारपुर क्षेत्र में स्थित साइट पर कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है, जिस पर न्यायालय ने नगर निगम से जल्द उचित कदम उठाने को कहा था। पर सोमवार को सुनवाई के दौरान निगम के अधिवक्ता दीपक खोत संतोषजनक जवाब नहीं पाए। इस पर जस्टिस रोहित आर्या नाराज हो गए। उन्होंने निगम को सिर्फ दो सप्ताह का समय दिया है। दो सप्ताह बाद नगर निगम को बताना होगा कि साइट चालू हुई या नहीं। साइट पर कचरे का निष्तारण प्रारंभ किया गया या नहीं।
सीवर के मैनहोल खुले पड़े, सड़कों पर गड्ढे
जस्टिस रोहित आर्या ने नगर निगम की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि शहर की सड़कों पर गड्ढे हैं। सीवर के मैनहोल खुले पड़े हैं। जलभराव की स्थित है। आप जनता को बेवकूफ बनाना बंद करिए। आपको शहर का विकास करना है तो ठीक से काम करिए। मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करिए।
नगर निगम ने करोड़ों रुपया बर्बाद कर दिया
जस्टिस रोहित आर्या ने नगर निगम की कार्यशैली पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने थीम रोड पर निशाना साधते हुए कहा कि एक रोड बढ़िया बना दी। बाकी जगह गड्ढे ही गड्ढे दिख रहे हैं। उस रोड को प्राथकिता पर क्यों बनाया। शहर की बाकी रोड क्यों नहीं बनाईं। अगर शहर का विकास करना है तो ठीक से करिए। बेवकूफ बनाने के लिए यहां लैंप लगा दिया, वहां लैंप लगा दिया और उनमें बल्व ही नहीं जलते हैं। आप लोगों ने करोडो रुपया बबार्द कर दिया, लेकिन अभी भी शहर की सड़कों की हालत वैसी की वैसी है।