अगर डेटा सेंटर और ई-ऑफिस पर होता काम तो नहीं खोजनी पड़ती पेन ड्राइव और ई-मेल पर फाइलें, पर सिर्फ बातें हुई जमीन काम नहीं

author-image
Puneet Pandey
एडिट
New Update
अगर डेटा सेंटर और ई-ऑफिस पर होता काम तो नहीं खोजनी पड़ती पेन ड्राइव और ई-मेल पर फाइलें, पर सिर्फ बातें हुई जमीन काम नहीं

BHOPAL. सतपुड़ा भवन में लगी आग में कई विभागों की हजारों जरूरी फाइलें जल कर खाक हो गई हैं। बताया जा रहा है कि इस आग से स्वास्थ विभाग की ही 40 साल से ज्यादा के जरूरी रिकॉर्ड की 25 हजार से ज्यादा फाइलें जल गई हैं। जले रिकॉड के बारे में अफसर दावा कर रहे हैं कि फाइलों का डाटा रिकवर कर लिया जाएगा। डाटा या फाइलों को कैसे रिकवर किया जाएगा इसके लिए कहा जा रहा है कि पेन ड्राइव, हार्ड ड्राइव, ई-मेल और दूसरे विभागों के डाटा से उसे वापस लिया जाएगा या तैयार किया जाएगा। फाइलों या डाटा रिकवरी का जो प्रॉसेस अफसरों द्वारा बताया जा रहा है वो काफी उलझा हुआ है, उसमें काफी समय भी लगेगा। नतीजा आम आदमी को जरूरी कामों के लिए परेशना होना होगा और भटकना पड़ेगा। 



डेटा सेंटर बनाने की बातें तो बहुत हुईं, लेकिन किया कुछ ठोस नहीं



मप्र सरकार सालों से डाटा सेंटर पर चर्चा तो कर रही है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया ही नहीं गया। हालत यह है कि दफ्तरों में लागू किया गया ई-ऑफिस सिस्टम भी पूरी तरह लागू नहीं हुआ है। इस सिस्टम में फाइलों और नोटशीट जैसा पूरा काम ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर से करने का आदेश दिया था। सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) ने 2021 में सभी विभागों को फाइलों और नोटशीट जैसा पूरा काम ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर से करने का आदेश दिया था। लेकिन स्वास्थ्य विभाग समेत कई विभागों ने इसे आधे-अधूरे तरीके से लागू किया। एनएचएम (स्वास्थ्य विभाग का हिस्सा) ने तो ई-ऑफिस सिस्टम पर काम करना शुरू कर दिया था। इससे रिकॉर्ड और फाइल मूवमेंट को ऑनलाइन हो गया था। इसके लिए अफसरों की फरवरी 2022 को ट्रेनिंग भी कराई थी। लेकिन सिस्टम को अपनाया नहीं गया। इसलिए फाइलें रिकवर होने की संभावना कम ही है। ई-ऑफिस सिस्टम यदि लागू होता, तो सारी फाइलें और नोटशीट्स ऑनलाइन रहतीं। अब फाइलों के डाटा के रिकवर होने की चांस आधे ही हैं। 



डाटा सेंटर होता तो बचा रहता सारा रिकॉर्ड



कहा जा रहा है कि सरकारी रिकॉड को पेन ड्राइव, ई-मेल, हार्ड ड्राइव आदि में रखा गया है। इससे साफ है कि डाटा स्टोर करने का कोई व्यवस्थित तरीका नहीं है। सरकार के पास व्यवस्थित डेटा सेंटर होता तो डाटा वहां से सीधे रिट्राइव किया जा सकता था। इसके लिए डाटा सेंटर की जरूरत होती। फिलहाल लग रहा है कि ऐसी ठोस व्यवस्था नहीं है। डाटा सेंटर के बारे में बात करें तो ये वो जगह होती है जहां डिजिटल डाटा को स्टोर किया जाता है।  इसकी प्रोसेसिंग के लिए सर्वर लगाए जाते हैं। डाटा सेंटर में रखा डाटा किसी भी तरह की वायरस या अन्य खतरों से सुरक्षित रहता है। किसी कंपनी को अगर इस सुरक्षित डाटा की जरूरत होती है तो तय नियमों के तहत उसे मुहैया कराया जाता है। 



भोपाल में बनना था देश का सबसे बड़ा डाटा सेंटर



साल 2018 में घोषणा की गई थी कि देश का तब तक का सबसे बड़ा नेशनल डेटा सेंटर (एनडीसी) भोपाल के बड़वई में स्थापित होगा। इसे नेशनल इंफॉर्मेशन सेंटर (एनआईसी) द्वारा तैयार किए जा रहे सेंटर के आईटी पार्क के नजदीक 5 एकड़ जमीन आवंटित भी की गई थी। केंद्रीय आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय ने कहा था कि यह दो साल में तैयार हो जाएगा। इस डेटा सेंटर में 5 लाख वर्चुअल सर्वर होने थे। कहा जा रहा था कि भविष्य में इन सर्वर की क्षमता और अधिक भी बढ़ाई जा सकेगी। लेकिन, यह नहीं हो सका इसीलिए कहीं पेन ड्राइव तो कहीं ईमेल पर डेटा पड़ा हुआ है जिसकी खोज अब की जाएगी।



दुनिया के टॉप देश जिनमें डाटा सुरक्षा के लिए सबसे ज्यादा डाटा सेंटर हैं



इन दशों की लिस्ट में टॉप पर है अमेरिका। इसके बाद जर्मनी, यूके, चीन और नीदरलैंड का नंबर आता है। यूएस में 2701 डाटा सेंटर हैं, जर्मनी में 487, यूके में 456, चीन में 443 और नीदरलैंड में 281 डाटा सेंटर हैं। भारत इस सूची में 13वें स्थान पर है।



और अब सरकार का दावा डाटा रिकवरी का



सतपुड़ा भवन में आग लगने के बाद से सरकार पर कांग्रेस ने जमकर हमला बोला है। कांग्रेस का कहना है कि चुनाव के पहले आग लगना एक साजिश है। वहीं, सरकार की ओर से गृहमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि डाटा पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क, ईमेल और वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसलिए जो फाइलें जली हैं, वो रिकवर हो जाएंगी।


Satpura bhawan सतपुड़ा भवन data center डेटा सेंटर