SAGAR. बुंदेलखंड में 2018 के विधानसभा चुनाव में मिली बढ़त को कांग्रेस किसी हाल में कम नहीं होने देना चाहती। यहां दलित मतदाता 22 फीसदी तादाद के साथ निर्णायक स्थिति में हैं। बीजेपी ने जहां सागर में 102 करोड़ की लागत से संत रविदास मंदिर का दांव खेला तो कांग्रेस संत रविदास विश्वविद्यालय का वादा लेकर जनता के बीच पहुंची है। इस वादे से न केवल दलित वोटर्स बल्कि आम छात्र भी प्रभावित होंगे, क्योंकि सागर में एक अदद विश्वविद्यालय की खासी जरूरत है।
लंबे समय से चल रही मांग
दरअसल सागर में लंबे समय से एक सरकारी विश्वविद्यालय की मांग उठ रही है। हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय के केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त हो जाने के बाद स्थानीय छात्रों को यहां प्रवेश मिलने में कठिनाई होने लगी है। जिस कारण उन्हें अच्छी पढ़ाई के लिए पलायन करना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए कांग्रेस ने राजनैतिक दांव चला है ताकि दलित वोटर्स के साथ-साथ युवा छात्रों को भी रिझाया जा सके।
26 सीटों पर नजर
दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बुंदेलखंड की 26 में से 9 सीटें मिली थीं। दलबदल ने एक सीट का नुकसान कर दिया था। बीजेपी को यहां 15 सीटों पर सफलता मिली थी। एससी के लिए सुरक्षित 6 सीटों पर कांग्रेस की हालत अच्छी नहीं है। ऐसे में दलित वोटर्स को साधकर कांग्रेस अपना प्रदर्शन और अच्छा करने की जुगत में है।
दावेदारों ने किया शक्ति प्रदर्शन
राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की जनसभा में विधानसभा के दावेदारों ने भी जमकर शक्तिप्रदर्शन किया। दावेदारों के समर्थकों ने कांग्रेस की बजाय अपने नेता के पक्ष में जमकर नारेबाजी की। समर्थक हाथों में तख्तियां भी लेकर पहुंचे थे। इस शोरशराबे की वजह से सभा में भाषण देने वाले वक्ताओं को भी असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। खड़गे बार-बार तख्तियां नीचे करने कहते रहे, लेकिन समर्थक कहां मानने वाले थे। खड़गे की सभा में अलग-अलग क्षेत्र के नेता अपने समूहों में शक्ति प्रदर्शन करते हुए सभा स्थल पर आए। सभी मंच की ओर गए ताकि अपनी उपस्थिति व समर्थन दिखाया जा सकें।