मनीष गोधा, JAIPUR. राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सचिन पायलट ने चुनाव को देखते हुए संघर्ष विराम की घोषणा भले ही कर दी हो, लेकिन राजस्थान कांग्रेस में सोमवार देर रात हुई संगठनात्मक नियुक्तियों में पायलट ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाए हैं। प्रदेश कार्यकारिणी में उनके समर्थकों को जगह जरूर मिली है, लेकिन चुनाव के इस समय में सबसे अहम पद जिला अध्यक्ष का माना जाता है और पार्टी की ओर से घोषित 25 जिला अध्यक्षों में लगभग सभी नाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुट के ही हैं।
जिला अध्यक्षों के मामले में पायलट लगभग खाली हाथ ही हैं
राजस्थान कांग्रेस में संगठनात्मक नियुक्तियां पिछले तीन साल से संगठनात्मक नियुक्तियां अटकी हुई थीं और इसका सबसे अहम कारण गहलोत-पायलट विवाद ही था। अब पायलट द्वारा “भूलो, माफ करो और आगे बढ़ो“ की नीति पर चलते हुए जब संघर्ष विराम घोषित कर दिया गया है तो पार्टी ने भी प्रदेश कार्यकारिणी और 25 जिलों के जिला अध्यक्ष घोषित कर दिए। माना यह जा रहा था कि चूंकि इतने समय तक सूचियां अटकी रही हैं और पायलट ने जिस तरह से सुलह का रास्ता अपनाया है, उसे देखते हुए कार्यकारिणी और जिलों में उनके समर्थकों को सही ढंग से एडजस्ट किया जाएगा, लेकिन जो सूचियां जारी हुई हैं, उन्हें देखकर लग रहा है कि संगठनात्मक नियुक्तियों में पायलट बहुत ज्यादा कुछ हासिल नहीं कर पाए हैं। प्रदेश उपाध्यक्षों, महासचिवों और सचिवों में उनके समर्थकों के नाम जरूर है, लेकिन चुनाव के समय में जिला अध्यक्ष सबसे अहम पद होता है, क्योंकि जिलों के टिकट फाइनल करने में उसकी राय अहम होती है, लेकिन जिला अध्यक्षों के मामले में पायलट लगभग खाली हाथ ही हैं।
संगठन की नियुक्तियों में अधिकतर लोग डोटासरा समर्थक हैं
हां तक कि उनके खुद के विधानसभा क्षेत्र टोंक में भी जिला अध्यक्ष गहलोत समर्थक बताया जा रहा है, वहीं सवाई माधोपुर जैसे गुर्जर बाहुल्य क्षेत्र में भी जिला अध्यक्ष यहां के विधायक दानिश अबरार की पसंद का लगाया गया है और दानिश अबरार जो एक समय पायलट के गुट में हुआ करते थे, अब पूरी तरह से गहलोत गुट में शामिल हैं। अन्य जगहों पर भी जिला अध्यक्ष नियुक्त करने में स्थानीय विधायक या नेताओं की राय को अहमियत दी गई है और इनमें से लगभग सभी गहलोत समर्थक हैं। वहीं पहले से चले आ रहे 13 जिला अध्यक्ष भी चूंकि गोविंद सिंह डोटासरा के अध्यक्ष रहते नियुक्त किए गए थे, इसलिए इनमें भी अधिकतर उन्हीं के लोग हैं।
कार्यकारिणी में मिली पायलट समर्थकों को जगह
पार्टी आलाकमान की ओर से घोषित प्रदेश कार्यकारिणी में जरूर पायलट समर्थकों को ठीक-ठाक जगह मिली है। इनमें प्रदेश उपाध्यक्षों में नसीम अख्तर इंसाफ, जिन्होंने कुछ समय पहले ही सीएम गहलोत के करीबी धर्मेन्द्र राठौड से मोर्चा लिया था, के अलावा विधायक गिरिराज खटाणा, हाकम अली, पूर्व विधायक घनश्याम मेहर, रतन देवासी, सुशील शर्मा, समरजीत सिंह को पायलट गुट का माना जा रहा है। वहीं महासचिवों में विधायक राकेश पारीक, महेन्द्र सिंह गुर्जर, इंद्रराज सिंह गुर्जर, मुकेश भाकर, राजेश चौधरी, सुरेश मिश्रा को पायलट गुट से माना जा रहा है। इसी तरह सचिवों में भी करीब 10 से ज्यादा नाम पायलट समर्थकों के बताए जा रहे हैं। हालांकि. पहले वाली कार्यकारिणी में शामिल उनके कुछ समर्थकों को हटाया भी गया है। इनमें एक प्रमुख नाम विधायक वेद सोलंकी का है जो कट्टर पायलट समर्थक रहे हैं और उनके पक्ष में खुल कर बयान देते रहे है। वे डोटासरा की पुरानी टीम में महासचिव थे, लेकिन अब उन्हे हटा दिया गया है। वेद सोलंकी के साथ ही पायलट समर्थक महेंद्र खेड़ी को भी सचिव के पद से हटा दिया गया है। वहीं पार्टी उपाध्यक्ष राजेन्द्र चैधरी व पायलट समर्थक ललित यादव, निंबाराम गरासिया, राजेंद्र यादव और रवि पटेल को भी हटाया गया है।
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कुछ नाम नियमों के चलते हटे
जिन नेताओं को हटाया गया है उनमें से कुछ पार्टी के उदयपुर चिंतन शिविर में तय किए गए नियमों के तहत भी हटे हैं। इनमें एक व्यक्ति एक पद के चलते उपाध्यक्ष पद से मंत्री महेंद्रजीत सिंह मालवीय, रामलाल जाट, गोविंद मेघवाल शामिल है, तो वहीं राजेन्द्र चैधरी और हरिमोहन शर्मा को एक पद पर लगातार 5 साल तक बने रहने के चलते हटाया गया है। इसी तरह महासचिव पद से पूर्व मंत्री मांगीलाल गरासिया और विधायक लाखन सिंह मीणा को भी जगह नहीं दी गई है।
डोटासरा का पद पर बने रहना तय हुआ
इस सूची से यह लगभग तय हो गया है कि अब चुनाव तक गोविंद सिंह डोटासरा अध्यक्ष बने रहेंगे, क्योंकि इन नियुक्तियों में जहां लगभग सभी प्रमुख नेताओं और विधायकों के समर्थकों को जगह दी गई है, वहीं डोटासरा के समर्थक भी अच्छी संख्या में हैं। डोटासरा की नई टीम में पहले से मौजूद रहे 11 सचिवों को महासचिव बनाया गया है। साथ ही तीन प्रवक्ता स्वर्णिम चतुर्वेदी, आरसी चैधरी और इंद्राज गुर्जर को प्रमोट कर महासचिव बना दिया गया है.
धारीवाल के बेटे को मिली जगह
मौजूदा सरकार के सबसे वरिष्ठ और नम्बर दो मंत्री माने जाने वाले शांति धारीवाल का उत्तराधिकारी भी इस सूची से तय हो गया है। उनके बेटे अमित धारीवाल को महासचिव बनाया गया है। धारीवाल लम्बे समय से अपने बेटे को प्रमोट कर रहे है और अब यह तय माना जा रहा है कि इस बार का चुनाव धारीवाल की जगह उनके बेटे अमित धारीवाल ही लड़ेंगे।