Ex MLA बालमुकुंद गौतम के मामले में अदालत ने कहा नरमी नहीं रख सकते, राजनीति में बढ़ रहा अपराधीकरण, रामायण महाभारत का भी दिया हवाला

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Chandresh Sharma
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Ex MLA बालमुकुंद गौतम के मामले में अदालत ने कहा नरमी नहीं रख सकते, राजनीति में बढ़ रहा अपराधीकरण, रामायण महाभारत का भी दिया हवाला

संजय गुप्ता, Indore. धार के पूर्व विधायक बालमुकुंद गौतम को उनके भाईयों मनोज, राकेश गौतम सहित अन्य आरोपियों के साथ हत्या के प्रयास में सात-सात साल की सजा कोर्ट द्वारा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश मुकेश नाथ द्वारा सुनाई गई इस सजा के साथ ही बेहद अहम टिप्पणी की है। आदेश के पेज नंबर 73 के बिंदु 200 में कहा गया है कि- फरियादी व आरोपी दोनों ही राजनीतिक पार्टी से संबंधित है, राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण ही यह अपराध घटित हुआ है। वर्तमान में राजनीति का जिस तरीके से तेजी से अपराधीकरण हो रहा है। उसके आधार पर अभियुक्त (आरोपी) के साथ नरमी का रूख रखने का कारण उचित नहीं प्रतीत होता है। इसलिए अपराध के अनुपात में ही समुचित दंड दिया जाना ही न्यायोचित है। उल्लेखनीय है कि गौतम के विरूद्ध पक्षकार चंदन सिंह भी पूर्व इंदौर जिला पंचायत के पूर्व सदस्य है जो पहले कांग्रेस में थे और अब बीजेपी में हैं। इस पक्ष में बालमुकुंद गौतम ने चंदन सिंह पर गोली चलाई, जो उनके रिश्तेदार सुरेश को लगी, जिसमें वह घायल हुआ। साथ ही उनके भाईयों व अन्य आरोपियों ने भी हमला किया।



सजा सुनाने के लिए रामायण और महाभारत कथा भी बनी आधार




गौतम परिवार को सजा के पीछे रामायण और महाभारत कथाओं का अहम योगदान रहा है। दरअसल गौतम व अन्य ने इस मामले मे दोषमुक्त हुए चंदनसिंह व उनके साथियों को आक्रामक बताते हुए सफाई दी थी कि उन्होंने हमला किया था और खुद के बचाव में उन्होंने यह कदम उठाए थे। इस हमले में तो उन्हें ही अधिक क्षति हुई है और उनके साथी बबलू उर्फ अभिषेक की मौत हुई है, जबकि उनके पक्ष में तो सभी को मामली चोट आई और कोई अधिक क्षति नहीं हुई है। इस पर विशेष न्यायाधीश ने कहा कि किसी की क्षति कम या ज्यादा होने से उसे आक्रामक नहीं माना जा सकता है, रामायण में राम और रावण के बीच भी युद्ध हुआ और महाभारत में पांडव और कौरव के बीच भी। इसमें रावण को और कौरव को अधिक क्षति हुई लेकिन इसमें राम और पांडव आक्रामक नहीं थे। इसलिए गौतम की जगह सामने वाले पक्ष को आक्रामक मानना और इस आधार पर बचाव की दलील मानना उचित नहीं है। 




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    बालमुकुंद गौतम ने यह भी बचाव में कहा था कि वह तो सामने वाले पक्षकारों पर अपने ऊपर हुए हमले के कारण एफआईआर कराने जा रहे थे और इस कारण से चंदन सिंह व उनके साथियों ने उन पर हमला किया। इस पर भी कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक पूर्व विधायक को कुछ लोग केवल इस बात के लिए रोके कि वह एफआईआर नहीं कर पाए, यह संदिग्ध लगती है। इसलिए इस तर्क को मानने को कोई ठोस कारण नहीं है।

     

    9 आरोपियों में 6 को हुई सात-सात साल की सजा, 3 हुए आरोपमुक्त




    घटना में कुल नौ आरोपी थे जिसमे बालमुकुंद, मनोज और राकेश तीनों सगे भाई है, पम्मू उर्फ वीरेंद्र गौतम व पंकज गौतम रिश्तेदार है वहीं राजेश पटेल सहयोगी है इन सभी छह आरोपियों को सात-सात साल की सजा हुई है। 

    बालमुकुंद गौतम- चार धाराओं में आरोपी माना गया, इसमें अधिकतम सात साल की सजा के साथ तीन माह से लेकर एक साल की भी सजा सुनाई गई और 13 हजार का अर्थदंड भी लगा। 

    पंकज गौतम- इन्हें भी चार धाराओं में आरोपी माना गया और सात साल तक की अधिकतम सजा सुनाई गई। अर्थदंड भी लगा। 

    पम्मू उर्फ विरेंद्र गौतम- इन्हें दो धाराओं में सजा सुनाई गई, अधिकतम सात साल की सजा और 11 हजार का अर्थदंड।

    राकेश गौतम- चार धाराओं में सजा, अधिकतम सात साल की सजा व 13 हजार का अर्थदंड।

    मनोज गौतम- चार धाराओं में सजा, अधिकतम सात साल की सजा, 13 हजार का अर्थदंड

    राजेश पटेल- चार धाराओं में सजा, अधिकतम सात साल की सजा, 13 हजार का अर्थदंड

    इन्हें दोषमुक्त किया गया-  जितेंद्र सिंह , शैलेंद्र सिंह और चंद्रभूषण सिहं कुशवाह तीनों को आरोपमुक्त किया गया है।


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