इंदौर में अयोध्यापुरी की 400 करोड़ की जमीन को लेकर संघवी, मद्दा की कंपनी के खिलाफ अंतिम सुनवाई शुक्रवार को

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Vikram Jain
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इंदौर में अयोध्यापुरी की 400 करोड़ की जमीन को लेकर संघवी, मद्दा की कंपनी के खिलाफ अंतिम सुनवाई शुक्रवार को

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर की देवी अहिल्या गृह निर्माण सोसायटी की अयोध्यापुरी कॉलोनी की 400 करोड़ की मौजूदा कीमत की जमीन भूमाफिया सुरेंद्र संघवी, उनके बेटे प्रतीक संघवी और दीपक मद्दा, मुकेश खत्री के पास रहेगी या फिर सोसायटी के पास जाएगी? इस पर अब फैसले की घड़ी आ गई है। साल 2007 में संस्था की चार एकड़ जमीन के सिम्पलेक्स मेगा फायनेंस (जिसके डायरेक्टर प्रतीक संघवी, मद्दा व खत्री थे) द्वारा खरीदी जाने के बाद साल 2009 से जिला कोर्ट में इसकी रजिस्ट्री जीरो करने के लिए केस चल रहा है। इसमें सभी के बयान हो चुके हैं और अब जिला कोर्ट ने शुक्रवार (18 अगस्त) को अंतिम बहस रखी है। इसके बाद फैसले होगा।



14 साल से चल रहा है केस



साल 2007 में संघवी, मद्दा ने संस्था की यह चार एकड़ जमीन संस्था के तत्कालीन अध्यक्ष रणवीर सिंह सूदन से खरीद ली और रजिस्ट्री करा ली थी। इस जमीन का सौदा मात्र चार करोड़ रुपए में किया गया। इस बात का खुलासा होने पर संस्था ने और अयोध्यापुरी रहवासी कल्याण समिति ने साल 2009 में जिला कोर्ट में रजिस्ट्री शून्य करने का केस लगाया। लेकिन भूमाफिया लगातार इस केस में अडंगे लगाते रहे। वहीं संस्था के ही कुछ सदस्यों ने फर्म एंड सोसायटी में शिकायत कर रहवासी कल्याण समिति का ही पंजीयन रद्द करा दिया। इसके चलते केस रूक गया। बाद में फिर फर्म एंड सोसायटी में अलग केस चला और इसमें फैसले के बाद कल्याण समिति का रजिस्ट्रेशन बहाल होने के बाद फिर जिला कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई। इसमें सभी गवाहों के बयान हो चुके हैं और केवल अंतिम बहस होकर फैसला होना है।



तय सौदे में भी केवल 1.80 करोड़ रुपए दिए



सिम्पलेक्स मेगा फायनेंस कंपनी के साथ संस्था की ओर से जमीन का सौदा चार करोड़ रुपए में हुआ लेकिन इस मामले में संस्था को पूरी राशि कभी मिली ही नहीं। केवल एक करोड़ 80 लाख का ही भुगतान हुआ और दो करोड़ 20 लाख बकाया राशि रही जो आज तक भुगतान नहीं हुआ है। इसे लेकर भी कहा गया है कि जब सौदा ही पूरा नहीं हुआ तो रजिस्ट्री तो वैसे भी मान्य नहीं है, दूसरा वहां पर संस्था के की कई सदस्यों के प्लॉट है और उनकी रजिस्ट्री तो साल 2000 के करीब ही हो चुकी है, फिर इसकी दूसरी रजिस्ट्री तो हो ही नहीं सकती है। इन सभी तर्कों के साथ कोर्ट में बहस हो चुकी है।



माफिया अभियान में हुआ था केस, ईडी ने मारा था छापा



फरवरी 2021 में चले भूमाफिया अभियान के दौरान जिला प्रशासन ने इस मामले में संघवी पिता पुत्र सुरेंद्र और प्रतीक के साथ ही मद्दा, सूदन व अन्य पर चार सौ बीसी व अन्य धाराओं में केस दर्ज कराया था। इसके बाद मद्दा व संघवी दोनों ही भगोड़ा हुए, संघवी को बाद में जमानत मिली और मद्दा भी बाद में पकड़ा गया और उस कुछ केस में जमानत मिली, फिलहाल ईडी के मनी लाण्ड्रिंग केस में वह गिरफ्तार है। ईडी इंदौर ने मई 2023 में इसी मामले में संघवी व मद्दा के यहां छापा भी मारा और राशि व दस्तावेज जब्त किए। यह केस भी चल रहा है। ईडी ने करीब 500 करोड़ के वर्तमान बाजार मूल्य के बराबर की संपत्तियां भी अटैच की है।



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इनकी आपत्ति के कारण वैध नहीं हो पा रही कॉलोनी



अयोध्यापुरी कॉलोनी को वैध करने के लिए साल 2000 से ही प्रयास चल रहे हैं, लेकिन किसी न किसी कारण से यह वैध नहीं हो रही है। अभी वर्तमान मुहिम के दौरान सिम्पलेक्स कंपनी ने इस कॉलोनी के वैध व नियमितीकरण को लेकर आपत्ति लगा दी कि यह जमीन तो हमारी है, ऐसे में कॉलोनी के सर्वे नंबर में हमारी जमीन नहीं ली जा सकती है। इस आपत्ति के बाद फिर प्रक्रिया उलझ गई। रजिस्ट्री शून्य होने पर संस्था के नियमितीकरण के लिए भी आसानी हो जाएगी।


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