संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर-भोपाल वंदे भारत ट्रेन यात्रियों के लिए तरस गई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे हरी झंडी दिखाई। इंदौर से लेकर भोपाल तक जगह-जगह इसका जमकर स्वागत हुआ, लेकिन इस स्वागत के बाद 28 जून को इसे 530 सीटों के लिए केवल 110 यात्री मिले तो वहीं अगले दिन 29 जून को केवल 107 यात्री ही नसीब हुए। इसमें सामान्य सीट के लिए 103 और एक्जीक्यूटिव कैटेगरी में मात्र चार यात्री ही सवार थे।
इंदौर से सुबह 6.30 बजे इंटरसिटी ट्रेन है, जिसका किराया मात्र सौ रुपए
वजह सीधी है वंदे भारत की टिकट दर, वंदे भारत टिकट की दर इंदौर से भोपाल के लिए चेयरकार कैटेगरी में 810 रुपए प्रति व्यक्ति है। ब्रेकफास्ट नहीं लेंगे तो 90 रुपए कम होंगे। वहीं एक्जीक्यूटिव क्लास में यह करीब दोगुना होकर 1510 रुपए है। वहीं भोपाल से इंदौर के लिए यह दर 910 रुपए और 1600 रुपए हो जाती है। वहीं जो ट्रेन का समय है, इंदौर से सुबह 6.30 पर जाने और 9.35 भोपाल पहुंचाने का, लगभग उसी समय पर इंटरसिटी ट्रेन भी मौजूद है, जिसका किराया मात्र सौ रुपए है। वहीं इंदौर से हर आधे घंटे में एसी चार्टड बस है तो वहीं निजी बसें, टैक्सी से लेकर सभी सुविधाएं मौजूद है। रेलवे सूत्रों का यह भी दावा है कि इस ट्रेन को जल्द ही भोपाल के आगे ग्वालियर, नागपुर या खजुराहो तक बढ़ाया भी जा सकता है। यह ट्रेन रविवार को छोड़कर इंदौर से हफ्ते में छह दिन चलेगी। यह एक सेमी-हाई स्पीड ट्रेन है। इंदौर से भोपाल यात्रा के दौरान इसका केवल एक ही उज्जैन में स्टॉपेज है।
पांच मिनट बाद ही इंटरसिटी एक्सप्रेस चलती है
वंदे भारत एक्सप्रेस के 5 मिनट बाद जाने वाली इंदौर-भोपाल इंटरसिटी में सेकंड सिटिंग (नॉन एसी) का किराया 100 रुपए और एसी चेयर कार (CC) का किराया 360 रुपए है। इस किराए में किसी तरह का खाना शामिल नहीं है। यह ट्रेन सुबह 6.35 बजे निकलती है और 10.55 बजे भोपाल पहुंचती है। यह ट्रेन चार घंटे 20 मिनट का समय लेती है, इंदौर-भोपाल के बीच यह इंटरसिटी ट्रेन देवास, मक्सी, शुजालपुर, कालापीपल और संत हिरदाराम नगर में 2-2 मिनट रुकती है। जबकि वंदे भारत ट्रेन केवल तीन घंटे पांच मिनट लेती है। लेकिन टिकट दर इंटरसिटी से करीब आठ गुना अधिक है। वहीं केवल उज्जैन ही स्टापेज है। यदि चार्टर्ड बस से जाना हो तो उसका किराया 435 रुपए है। इस किराए में भी खाना नहीं है। चार्टेड बस के कई स्टॉपेज हैं। यह बस करीब साढ़े तीन घंटे में इंदौर से भोपाल पहुंच जाती है।
टाइम रिशेड्यूल करना होगा, इसे ग्वालियर तक ले जाने की चल रही बात
रेलवे सूत्रों का कहना है कि भोपाल से जबलपुर के लिए चलने वाली वंदे भारत को आने वाले समय में इंदौर से भोपाल होते हुए जबलपुर तक चलाया जा सकता है। जबकि इंदौर से भोपाल चलने वाली वंदे भारत को ग्वालियर या नागपुर या खजुराहो तक बढ़ाया जा सकता है। वहीं टाइम को भी रिशेड्यूल किया ज सकता है या फिर इंटरसिटी का टाइम बदला जा सकता है। इसके बाद ही वंदेमातरम को लेकर अधिक उत्साह जगेगा। पूर्व स्पीकर सुमित्रा महाजन ने भी कहा था कि यह केवल मिठाई का एक छोटा टुकड़ा है, बेहतर होगा इस इंदौर-भोपाल से अधिक विस्तार किया जाए।
हम रेल मंत्री से मिलकर जनता की बात रखेंगेः लालवानी
सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि ट्रेन को आगे बढ़ाने की पूरी संभावना है। हम रेल मंत्री से मिलकर जनता की बात रखेंगे। लोकसभा के सत्र में इस पर चर्चा कर निर्णय लिया जाएगा। वहीं विधानसभा तीन के बीजेपी विधायक आकाश विजयवर्गीय ने कहा कि इस ट्रेन को जबलपुर तक बढ़ाया जाना चाहिए।
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वंदे भारत ट्रेन का भोपाल से इंदौर का समय
वंदे भारत ट्रेन भोपाल से वापसी में रात को 7.25 बजे इंदौर के लिए कमलापति स्टेशन चलेगी। इससे फायदा उन यात्रियों को होगा जो अपना काम रात 7 बजे के पहले पूरा कर इंदौर या उज्जैन आना चाहते हैं। वहीं जो लोग 5 बजे भोपाल से चलने वाली इंटरसिटी में नहीं बैठ पाएंगे वे इस ट्रेन से लौट सकेंगे। वहीं भोपाल से रात को आने वाली ट्रेन में यात्री डिनर ले सकेंगे। यह उनके लिए भी उपयोगी है जो भोपाल से महाकाल के दर्शन करने जाएंगे। ऐसे श्रद्धालु यात्री भोपाल से 7.25 बजे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन से चल कर और रात 9.30 बजे उज्जैन पहुंच सकेंगे। ये श्रद्धालु सुबह भस्म आरती में शामिल होने के बाद इंदौर से सुबह 6.30 बजे चलने वाली वंदे भारत में उज्जैन से सुबह 7.15 बजे बैठ कर भोपाल लौट सकेंगे।
डबलडेकर ट्रेन का भी प्रयोग हो चुका फेल
इंदौर-भोपाल-हबीबगंज रूट की डबल डेकर ट्रेन को 9 साल पहले बंद कर दिया गया था। यह ट्रेन सितंबर 2013 में शुरू हुई थी, जिसे 2014 में बंद कर दिया गया था। वहीं जब यह शुरू हुई थी तब यह 10 कोच से चलती थी, जिसे कम यात्री होने पर तीन कोच कर दिया गया था और आखिरी में बंद करना पड़ा। इसका किराया 445 रुपए था, यात्रा का समय साढ़े तीन घंटे बोला गया, लेकिन यह आधा से एक घंटे लेट ही चलती थी। वहीं बसों की सुविधा और कम टिकट दर से यह ट्रेन फेल हो गई। इस ट्रेन का उद्देश्य था कि इंदौर के यात्री भोपाल से दिल्ली की शताब्दी जो ढाई बजे दोपहर में चलती है उसे पकड़ सकें, लेकिन ट्रेन की देरी के चलते यह नहीं हो सका।