संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अप्रत्यक्ष तौर पर सिंधिया घराने पर निशाना साध दिया। डॉ. यादव की मंशा होलकर घराने की तारीफ करना था। उन्होंने मां देवी अहिल्या के शासन का उदाहरण दिया और फिर उनके बाद आए यशवंतराव होलकर का। सीएम ने कहा कि यशवंतराव जी के समय 19 साल में राजवाड़ा तैयार हुआ। उसी बुलंदी के साथ अंग्रेजों को घुटने पर लाकर अपनी ताकत का एहसास कराया, ऐसा होलकर का स्थान है, वह तो दुर्भाग्य होलकर राजवंश का, लड़ाके यशवंतरावजी का आखिर में उनकी कुछ परिस्थितियां ऐसी बनी कि कुछ लोगों ने उनका साथ नहीं दिया, साथ देते तो मैं गारंटी से कहता हूं कि 1947 की जरूरत ही नहीं पड़ती। यशवंतरावजी के समय ही अंग्रेजों को भगा देते।
इतिहास में दर्ज है सिंधिया के ये करने से घिर गए थे यशवंतराव
यशवंतराव का इतिहास में भारत के नेपोलियन की संज्ञा दी जाती है। उन्होंने भाई मल्हार राव की मृत्यु के बाद 1797-98 में गद्दी संभाली। अंग्रेजों से अकेले ही लड़ाई लड़ी। साल 1800 के बाद कई बार अपनी मृत्यु पर्यंत तक अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया। वह पहले ऐसे राजा हुए जिन्हें उनके हिसाब से संधि करने के लिए अंग्रेज लालयित थे और इन्हें बराबरी का दर्जा दिया। उन्होंने योजना के साथ 1805 में अंग्रेंजों से संधि कर ली लेकिन वह अंग्रेंजों को बाहर करने के लिए लगे रहे। इसके लिए प्लान बनाया और दौलतराव सिंधिया को पत्र भी लिखा और इतिहास में है कि सिंधिया ने वह पत्र अंग्रेजों को दिखा दिया। पूरा प्लान फेल हो गया। अंग्रेजों को अकेले दम पर मात देने की पूरी तैयारी में जुट गए। इसके लिए उन्होंने भानपुर में गोला बारूद का कारखाना खोला। इसबार उन्होंने अंग्रेजों को खदेड़ने की ठान ली थी। इसलिए दिन-रात मेहनत करने में जुट गए थे। लगातार मेहनत करने के कारण उनका स्वास्थ्य भी गिरने लगा। लेकिन उन्होंने इस ओर ध्यान नहीं दिया और 28 अक्टूबर 1811 ई. में सिर्फ 35 साल की उम्र में वे स्वर्ग सिधार गए।