संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में रामनवमी के दिन 30 मार्च को श्री बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर में हुए बावड़ी हादसे में गई 36 मौतों के बाद प्रशासन और निगम द्वारा बावड़ियों के लेकर अभियान चलाया गया और बेलेश्वर मंदिर की बावड़ी को बंद कर दिया गया। इस मामले में एनजीटी भोपाल में लगी याचिका पर कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी और निगमायुक्त हर्षिका सिंह की व्यक्तिगत पेशी लगी थी। मंगलवार, 29 अगस्त को इस मामले में सुनवाई में दोनों उपस्थित हुए। एनजीटी ने कलेक्टर से कोई सवाल नहीं किए, वहीं निगमायुक्त से बावड़ियों की स्थिति को लेकर दस मिनट तक चर्चा की और सभी पक्षों को सुनने के बाद आर्डर रिजर्व रख लिया।
इन मुद्दों पर हुई बात, निगमायुक्त ने दिए जवाब
एनजीटी के सामने प्रियांशु गुप्ता युवक ने याचिका लगाई है। याचिकाकर्ता का कहना था कि बावड़ी हादसे के बाद सभी बावड़ियां बंद की जा रही हैं, इससे जलस्तर और पर्यावरण को नुकसान होगा। इस मामले में निगमायुक्त सिंह ने बताया कि सभी बावड़ी बंद नहीं की जा रही हैं जो अत्यंत खतरनाक थीं, इसमें एक बेलेश्वर मंदिर वाली और दूसरी स्नेहलतागंज की, केवल ये दो बावड़ी ही बंद की गई हैं। बाकी को सुरक्षित किया जा रहा है। अभी तक करीब 300 बावड़ियों को सुरक्षित कर दिया गया है और बाकी पर काम किया जा रहा है। एनजीटी के ज्यूडिश्यिल मेंबर एसके सिंह और एक्सपर्ट मेंबर डॉ. ए सेंथिल वेल ने सुनवाई की।
अधिवक्ता मेहता ने रखी थी रिपोर्ट
इस मामले में एनजीटी की ओर से अधिवक्ता स्वाति मेहता ने भी अपनी मौका रिपोर्ट एनजीटी के सामने पेश की। उन्होंने 14 बावड़ियों का स्थान निरीक्षण किया और रिपोर्ट में बताया कि निगम द्वारा इन्हें सुरक्षित रखने और वाटर लेवल को मेंटेन करने के लिए काम किया जा रहा है। एनजीटी ने सभी रिपोर्ट और जवाब ले लिए हैं और वह इस मामले में आर्डर करेगी।
बावड़ी हादसे में लगी है कई याचिकाएं
उल्लेखनीय है कि इंदौर के बावड़ी हादसे को लेकर अधिवक्ता मनोहर दलाल के माध्यम से दिलीप कौशल ने याचिका लगा रखी है, इसी तरह अधिवक्ता मनीष यादव की ओर से भी याचिका लगी है। एक अन्य याचिका जिला कोर्ट में भी लगी है। इस मामले में हाईकोर्ट से जवाब के लिए नोटिस जारी हुए हैं, इसके बाद अभी सुनवाई के लिए तारीख नहीं लगी है। उधर, बावड़ी हादसे की मजिस्ट्रियल जांच अभी सामने नहीं आई है, इस मामले को रिपोर्ट सामने नहीं लाकर ठंडा किया जा रहा है। हालांकि, जांच अधिकारी ट्रांसफर हो चुके हैं, लेकिन जांच का क्या हुआ, इसका खुलासा शासन, प्रशासन स्तर से अभी नहीं हुआ है। इस तरह महू गोलीकांड की मजिस्ट्रियल जांच रिपोर्ट भी सामने नहीं आई है, वह मामला भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।