संजय गुप्ता, INDORE. सीएम ड़ॉ.मोहन यादव ने राजस्व कामों को लेकर खास सख्ती बरतने के आदेश दिए हैं, यहां तक कि पटवारी को रात को गांव में ही रूकने के लिए कहा गया है। लेकिन इंदौर कलेक्टोरेट में नामांतरण को छोड़ दिया जाए तो बाकी राजस्व कामों की हालत खराब है। नामांतरण में कलेक्टर डॉ. इलैयाराजा टी द्वारा दिए गए आदेश और फॉलोअप के बाद यहां निराकरण की स्थित 87 फीसदी हो चुकी है, लेकिन सीमांकन में 60 फीसदी तो बंटवारे में 61 फीसदी की स्थिति है। डायवर्सन के भी कई केस एसडीओ के पास लंबित है।
नामांतरण में बढ़िया काम
नामांतरण खासकर अविवादित नामांतरण केस में इंदौर कलेक्टोरेट आगे हैं। यहां केस की संख्या भी प्रदेश में सबसे ज्यादा आती है। इंदौर प्रतिशत के हिसाब से भले ही दूसरे नंबर पर हो लेकिन संख्या के लिहाज से कोई भी जिला दूर-दूर तक नहीं आता है। यहां 41 हजार से ज्यादा केस में 35 हजार से ज्यादा केस निराकृत हो चुके हैं। इसके लिए कलेक्टर ने विशेष अभियान चलाया था।
लेकिन यहां हालत खराब
लेकिन राजस्व के दो अन्य अहम काम सीमांकन और बटांकन में तहसील कार्यालयों में भारी सुस्ती है। सीमांकन के 13 हजार से अधिक मामलो में से 5 हजार से ज्यादा लंबित है। तीन से छह माह पुराने ही डेढ़ हजार से ज्यादा केस है, वहीं ढाई हजार केस ऐसे हैं जिन्हें सीमांकन के आवेदन लगे हुए एक साल होने को आ गया है, लेकिन नपती नहीं हुई है। कुछ केस तो एक साल से भी ज्यादा से लंबित है। इसी तरह बंटवारे में भी एक हजार से ज्यादा केस लंबित है। सीमांकन केस में मशीन की कमी भी एक बड़ा कारण है।