इंदौर हाईकोर्ट कमेटी भूमाफियाओं से दिलाएगी दस फीसदी का ब्याज, द सूत्र की खबर के बाद कमेटी कर रही है विचार

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The Sootr
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इंदौर हाईकोर्ट कमेटी भूमाफियाओं से दिलाएगी दस फीसदी का ब्याज, द सूत्र की खबर के बाद कमेटी कर रही है विचार

संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफियाओं की तीन कॉलोनियों कालिंदी गोल्ड, फिनिक्स, सेटेलाइट के मामले में पीड़ितों के हक में हाईकोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली कमेटी बडा फैसले लेने पर विचार कर रही है। भूमाफियाओं ने छह फीसदी की दर से राशि लौटाने का प्रस्ताव रखा था। इसमें कमेटी 6.6 फीसदी लगाने पर विचार कर रही थी लेकिन द सूत्र ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था, यह पीड़ितों के साथ अन्याय होगा। अब कमेटी ने मोटे तौर पर तय किया है कि जिस तरह रेरा द्वारा पीड़ितों को ब्याज दिया जाता है, उसी दर से यहां भी ब्याज दर तय की जाए। यह मोटे तौर पर दस फीसदी होती है। यानि यदि दस साल पहले पांच लाख जमा थे तो पीड़ित को दोगुनी राशि यानि दस लाख रुपए मिलेंगे, जबकि पूर्व दर से यह केवल आठ से साढे आठ लाख रुपए के बीच ही आती।



रेरा का क्या है ब्याज दर देने का फार्मूला



बिल्डर्स से पीड़ित ग्राहकों के लिए रेरा एसबीआई की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट यानि एमसीएलआर पर दो फीसदी ज्यादा ब्याज देने का आदेश जारी करती है। एसबीआई की एमसीएलआर 7.95 से 8.70 फीसदी के बीच चलती है। यदि इसे आठ फीसदी माना जाए तो इस पर दो फीसदी और यानि कुल दस फीसदी की ब्याज दर पीड़ितों के लिए बनती है। ऐसे में पीड़ितों का एक बड़ी राहत मिल सकेगी।



उपभोक्ता फोरम 9 फीसदी लगाती है, सरकारी विभाग पेनल्टी 18 फीसदी लेते हैं



उपभोक्ता फोरम द्वारा तो ग्राहकों को विविध मामलों में नौ फीसदी ब्याज दर से राशि देने का आदेश करती है। हाल ही में तनिष्क ज्वेलरी को लेकर आए कोर्ट आदेश में यही नौ फीसदी की दर से जुर्माना लगाया गया है। वहीं सरकारी विभाग तो आम व्यक्ति से 12 से लेकर 18 फीसदी तक की दर से पेनल्टी लेते हैं। जीएसटी में करदाता से मूल राशि पर 15 फीसदी की दर से ब्याद लिया जाता है। वहीं सामान्य आयकर करदाता से यह ब्याज 12 फीसदी की दर से और टीडीएस मामले में 18 फीसदी की दर से करदाता से टैक्स की वसूली की जाती है। यानि सरकारी टैक्स एजेंसी आम करदाताओं से टैक्स पर भारी ब्याज दर वसूलती है। 



डायरियों को लेकर अभी तक उलझन बाकी



वहीं डायरियों पर हुए सौदों को लेकर अभी तक कोई स्पष्ट नीति तय नहीं हो पा रही है कि इन सौदों को कितना वैध माना जाए। हालांकि जिन्होंने इस भुगतान के बदले में रसीद ली है या कोई बैंक खाते से पेमेंट किया है तो उनके लिए यह सौदे होना बताना संभव है लेकिन जिन्होंने राशि का भुगतान पूरा कैश में किया और इसके बदले में ना कोई राशि ली और ना ही उनके पास किसी तरह के बैंक स्टेटमेंट या अन्य दस्तावेज है, उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। खासकर यह मुद्दा कालिंदी गोल्ड में उठ रहा है, जहां भूमाफियाओं ने कुछ डायरियों के नकली होने की ही बात कह दी है, ऐसे में पीड़ितों को यह बताना होगा कि डायरी सौदे असली है नहीं तो दूसरा रास्ता यही है कि हैंडराइटिंग एक्सपर्ट की रिपोर्ट बुलाकर सत्यापन कराया जाए, जिसमें फिर लंबा समय लगेगा।


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