जशपुर में 10 गांवों के ग्रामीणों ने अभी से ही कर दिया विधानसभा चुनाव का बहिष्कार, मांग पूरी नहीं होने से हैं नाराज

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Vikram Jain
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जशपुर में 10 गांवों के ग्रामीणों ने अभी से ही कर दिया विधानसभा चुनाव का बहिष्कार, मांग पूरी नहीं होने से हैं नाराज

JASHPUR. इस साल के अंत में होने वाले छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले जनता में सरकार के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है। मूलभूत सुविधाओं में शामिल सड़क की मांग की पूरी नहीं होने से जशपुर जिले के ग्रामीणों में असंतोष देखा जा रहा है। अब गांव में सड़क के अभाव ने लोगों को चुनाव के बहिष्कार करने पर मजबूर कर दिया है। असुविधाओं वाले क्षेत्रों में अब एक बार फिर चुनाव बहिष्कार का सिलसिला शुरू हो गया है। जशपुर जिले में बादलखोल वन अभ्यारण्य के बीच बसे तीन ग्राम पंचायतों के दस गांवों के ग्रामीणों ने इस विधानसभा चुनाव में वोट नहीं देने का ऐलान किया हैं। 



ग्रामीण बोले- सड़क नहीं तो वोट नहीं



चुनाव के बहिष्कार करने का कारण ये सामने आया है कि ग्रामीण अभ्यारण्य क्षेत्र में होने की वजह से सड़क निर्माण में बार बार वन विभाग की आपत्ति लगाये जाने से नाराज हैं। दरअसल, नारायणपुर विकासखंड के बादलखोल वन अभ्यारण्य क्षेत्र के अंदर कई गांव मौजूद हैं। सड़क निर्माण नहीं होने से नाराज कलिया, बुटूँगा और गायलूँगा ग्राम पंचायत के दस गांवों के प्रमुख लोगों ने बैठक आयोजित की। इस बैठक में जोराजाम से गायलूँगा, गायलूँगा से बछरांव, और कलिया से साहीडाँड़ मार्ग निर्माण के मांग पर चर्चा हुई। ग्रामीणों में सबसे ज्यादा नाराजगी जोराजाम से गायलूँगा तक बन रही सड़क में 4 किलोमीटर की अधूरी सड़क को लेकर है। इस सड़क का निर्माण काफी हद तक हो गया है, लेकिन 4 किलोमीटर तक की सड़क पर वन विभाग के द्वारा आपत्ति लगाए जाने से पिछले 5 साल से इस सड़क का निर्माण रुका हुआ है और इससे ग्रामीणों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।



सड़कों के नहीं बनने से ग्रामीण परेशान



ग्रामीणों की माने तो गायलूँगा से बछरांव तक 7 किलोमीटर और कलिया से साहीडाँड़ तक 9 किलोमीटर तक की सड़क भी वन क्षेत्र होने के कारण स्वीकृत नहीं हो पा रही। इन सड़कों के नहीं बनने से ग्रामीण परेशान हैं। और इसी वजह उन्होंने चुनाव बहिष्कार का फैसला किया है। ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के बाद से वो सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं पर आज तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई है जिसकी वजह से उन्हे आज तक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।




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ग्रामीणों के फैसले का कितना होगा असर ?



बहरहाल चुनाव के बहिष्कार के ऐलान के बाद राजनीतिक दल और प्रशासन के लोग अब किस प्रकार से गांव वालों को समझाएंगे या उनकी मांगों को पूरा करेंगे यह देखना होगा। आपको बता दें कि इसी साल नवंबर में​ विधानसभा चुनाव होने वाले है। इसे लेकर प्रदेश भर में राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी ह। वहीं अब चुनाव के समय ग्रामीण भी अपनी मांगों को पूरा कराने का दबाव बनाने लगे हैं।


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