इंदौर डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन IDCA का प्रेसीडेंट पद कैलाश विजयवर्गीय ने छोड़ा, पुत्र आकाश के नाम का प्रस्ताव दिया, मंजूर हुआ

author-image
Jitendra Shrivastava
एडिट
New Update
इंदौर डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन IDCA का प्रेसीडेंट पद कैलाश विजयवर्गीय ने छोड़ा, पुत्र आकाश के नाम का प्रस्ताव दिया, मंजूर हुआ

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन (आईडीसीए) के प्रेसीडेंट का पद आखिरकार 16 साल बाद नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने छोड़ दिया। वह साल 2008 से इस पद पर थे। जिमखाना क्लब पर शनिवार, 13 जनवरी की देर शाम हुई एजीएम में विजयवर्गीय ने अपनी जगह पुत्र आकाश विजयवर्गीय का नाम प्रेसीडेंट पद के लिए आगे किया, जिसे सभी सदस्यों ने मंजूर कर लिया। बैठक में आकाश मौजूद नहीं थे।

मैं ही मांगने वाला, मैं ही देने वाला, यह ठीक नहींः विजयवर्गीय

विजयवर्गीय ने प्रेसीडेंट पद के लिए फिर उनका नाम प्रस्तावित करने पर विरोध किया और कहा कि मैं अब शासन में मंत्री हूं। मैं ही शासन से कुछ संस्था के लिए मांगू और मैं ही दूं तो यह यह उचित नहीं होगा। इसलिए ठीक होगा कि किसी नए को इस पद के लिए प्रस्तावित किया जाए। मैं इसके लिए आकाश का नाम प्रस्तावित करता हूं। कैलाश विजयवर्गीय अब आईडीसीए के मुख्य संरक्षक का दायित्व निभाएंगे। साथ ही विजयवर्गीय बोले कि संस्था की जमीन का काम करना है एक बार जमीन हो जाए फिर भले में वापस पद पर आ जाऊंगा, लेकिन ठीक नहीं लगेगा कि मैं ही जमीन देने वाला हूं और मैं ही जमीन मांगने वाला हूं।

ज्योतिरादित्य सिंधिया भी क्रिकेट विरासत पुत्र को दे चुके

उल्लेखनीय है कि ग्वालियर क्रिकेट एसोसिएशन में ज्योतिरादित्य सिंधिया के पुत्र महाआर्यमन भी मार्च 2022 में उपाध्यक्ष पद पर आ चुके हैं। सिंधिया मंत्री बनने के बाद और लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों के बाद एमपीसीए में पदों से हट चुके हैं। महाआर्यमन सिंधिया एमपीसीए में भी सदस्य है और अब वह सक्रिय रूप से एमपीसीए की एजीएम में भी अपने पिता के साथ शामिल होने लगे हैं।

विजयवर्गीय 10 साल से पद छोड़ना चाह रहे थे

विजयवर्गीय साल 2008 में क्रिकेट की राजनीति में आए थे। दरअसल तब उन्हें एमपीसीए (मप्र क्रिकेट एसोसिएशन) की राजनीति के हिसाब से लाया गया था, तब उद्देश्य था का वहां पर ज्योतिरादित्य सिंधिया का एकाधिकार खत्म करना। एमपीसीए में वह चुनाव तभी लड़ सकते थे जब किसी एसोसिएशन में जुड़े होते, इसलिए वह आईडीसीए में प्रेसीडेंट बने और फिर साल 2010 और 2012 में सिंधिया के सामने चुनाव लड़ा, लेकिन दोनों ही बार हार गए थे। फिर साल 2014 में दोनों के बीच सुलह हो गई और चुनाव नहीं हुए।

विजयवर्गीय ने दो हार के बाद क्रिकेट की राजनीति से कर ली थी तौबा

इसके बाद विजयवर्गीय ने क्रिकेट की राजनीति से तौबा कर ली। उन्होंने कहा भी था कि यही एक मैदान रहा जहां मैं बोल्ड हो गया, यानि केवल यही चुनाव था जिसमें वह हारे थे। बाकी राजनीति में वह कोई चुनाव नहीं हारे। वह आईडीसीए प्रेसीडेंट पद भी छोड़ना चाहते थे, लेकिन आईडीसीए में समर्थकों और सदस्यों ने उन्हें पद नहीं छोड़ने दिया। उनके रहते एसोसिएशन में काफी काम हुए और क्रिकेट को काफी बढ़ावा मिला। एसोसिएशन की हर एजीएम में विजयवर्गीय पद छोड़ने की गुहार लगाते रहे, लेकिन सदस्य उन्हें मनाते रहे। लेकिन विजयवर्गीय 2015 के बाद शासन में किसी पद पर भी नहीं थे, लेकिन अब 2023 के चुनाव में वह इंदौर विधानसभा एक से विधायक बने और फिर नगरीय प्रशासन मंत्री भी बन गए, जिसके बाद उन्होंने इस पद पर नहीं रहने के लिए एक बार फिर घोषणा की।

Indore Divisional Cricket Association इंदौर डिवीजनल क्रिकेट एसोसिएशन President post of IDCA Vijayvargiya left IDCA Kailash proposed Akash's name proposal for Akash's name accepted in IDCA IDCA का प्रेसीडेंट पद विजयवर्गीय ने छोड़ा आईडीसीए कैलाश ने आकाश के नाम का प्रस्ताव दिया IDCA में आकाश के नाम का प्रस्ताव मंजूर